“कलेजा टुकड़े टुकड़े होना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kaleja Tukade Tukade Hona Meaning In Hindi

Kaleja Tukde Tukde Hona Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / कलेजा टुकड़े टुकड़े होना मुहावरे का क्या अर्थ होता है? मुहावरा- "कलेजा टुकड़े-टुकड़े होना"। (Muhavara- Kaleja Tukade Tukade Hona) अर्थ- बहुत दुःखी होना / पीड़ा से टूट जाना / अत्यंत दुखी या व्यथित होना । (Arth/Meanings in Hindi- Bahut Dukhi Hona / Pida Se Tut Jana / Atyant Dukhi Ya Vyathit Hona) “कलेजा टुकड़े टुकड़े होना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है- हिंदी भाषा में मुहावरों का विशेष स्थान है। ये मुहावरे न केवल भाषा को सजीव और प्रभावशाली बनाते हैं, बल्कि भावनाओं को भी गहराई से व्यक्त करते हैं। ऐसा ही एक अत्यंत भावनात्मक और मार्मिक मुहावरा है — "कलेजा टुकड़े-टुकड़े होना"। अर्थ: "कलेजा टुकड़े-टुकड़े होना" का अर्थ है — अत्यधिक दुख, पीड़ा या करुणा के कारण भावनात्मक रूप से पूरी तरह से टूट जाना। जब कोई व्यक्ति किसी हृदय विदारक घटना को देखता है या अनुभव करता है, तो उसे ऐसा महसूस होता है मानो उसका दिल टुकड़े-टुकड़े हो गया हो। यह मुहावरा भावनात्मक आघात, गहरे दुःख और असहनीय पीड़ा को दर्शाने के लिए प्रयोग...

ज़मीन पर पैर न रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Jameen Par Pair Na Rakhna Meaning In Hindi


Jamin Par Pair Na Rakhna Muhavre Ka Arth Aur Vakya Prayog / जमीन पर पैर न रखना मुहावरे का अर्थ क्या होता है?

 

ज़मीन पर पैर न रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Jameen Par Pair Na Rakhna Meaning In Hindi
ज़मीन पर पैर न रखना






मुहावरा- “ज़मीन पर पैर न रखना”।


( Muhavara- Zameen Par Pair Na Rakhna )



( अर्थ- अत्यधिक अभिमान में रहना / बहुत खुश रहना / घमंडी होना / शेखी दिखाना / घमंड में चूर होना ।


( Arth/Meaning in Hindi- Atyadhik Abhiman Me Rahna / Bahut Khush Rahna / Ghamandi Hona / Shekhi Dikhana / Ghamand Me Chur Hona )






“ज़मीन पर पैर न रखना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-



ज़मीन पर पैर न रखना”, यह हिंदी भाषा में प्रयुक्त होने वाला एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण व प्रचलित मुहावरा है । इस मुहावरे का अर्थ व्यक्ति का अत्यधिक अभिमान में रहना, शेखी दिखाना या घमंडी होना होता है ।


इस मुहावरे को हम उस समय प्रयोग करते हैं जब किसी व्यक्ति को सफलता मिल जाती है, या व्यक्ति के किसी करीबी को सफलता मिलती है तो वह व्यक्ति बहुत खुश हो जाता है । इसी खुशी में अर्थात कि सफलता मिलने की खुशी में व्यक्ति अभिमान दिखाने लगता है या फिर शेखी दिखाने लगता है । कभी कभी तो व्यक्ति घमंडी भी हो जाता है । इन्ही संदर्भों को व्यक्त करने के लिए हम जमीन पर पैर न रखना मुहावरे का उपयोग करते हैं ।


जैसे-


1. सोहन जब से एग्जाम में प्रथम स्थान प्राप्त किया है, तब से उसके पिता जी के पैर जमीन पर नही पड़ रहे हैं ।


2. मुखिया जी की लड़की दरोगा बन गयी । इसी खुशी में मुखिया जी के पैर अब जमीन पर नही टिक रहे हैं ।


3. जबसे मोहन की लॉटरी लगी है तब से उसके पैर धरती पर नही पड़ रहे हैं ।


4. नेता जी चुनाव क्या जीत गये, अब तो उनके पैर जमीन पर टिक ही नही रहे हैं ।


5. वर्मा जी के दोनों बेटों की सरकारी नौकरी क्या लग गयी अब तो उनके परिवार के किसी भी सदस्य के पैर जमीन पर नही दिख रहे हैं ।




“ज़मीन पर पैर न रखना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Jameen Per Pair Na Rakhna Muhavare Ka Vakya Prayog. 


ज़मीन पर पैर न रखना” इस मुहावरे का अर्थ नीचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं -



वाक्य प्रयोग- 1.


मीना बहुत ही गरीब घर की लड़की है । उसकी सादी भी एक सामान्य परिवार में ही हुआ है । कुछ दिनों पहले ही मीना के पति की बिजली विभाग में सरकारी नौकरी लगी है । पति को नौकरी मिलने से मीना बहुत खुश रहने लगी । पति के नौकरी मिलने के कुछ ही महीनों के बाद मीना की भी आंगनवाड़ी में नौकरी लग गयी । खुद की नौकरी लगने से मीना अत्यधिक अभिमान में रहने लगी । मीना जब भी अपने मायके आती अपनी शेखी दिखाती रहती है । अर्थात मीना का इस प्रकार से सफलता के समय में अत्यधिक अभिमान मे रहने लगना अथवा शेखी दिखाना ही “ज़मीन पर पैर न रखना” मुहावरे के समान है ।



वाक्य प्रयोग- 2.


शर्मा जी बहुत ही नेक और सभ्य आदमी हैं । उनका एक बेटा है जिसका नाम अलोक है । अलोक कई सालों से सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा है । बेटे को सफलता ना मिलने पर शर्मा जी को लोग बहुत कुछ कहते थे । शर्मा जी लोगो के बीच में हसी मज़ाक का पात्र बन जाते थे । पर इस बार को सिविल की परीक्षा में उनका बेटा आलोक पास हो गया । ये खबर मिलते ही शर्मा जी बहुत खुश हुए । बेटे के अधिकारी बनते ही शर्मा जी लोगों को खूब शेखी दिखाने लगे । अब तो लोग ये भी कहने लगे कि शर्मा जी का बेटा जबसे अधिकारी बना है, तब से शर्मा जी के पैर ज़मीन पर नही टिक रहे हैं ।



वाक्य प्रयोग- 3.


मुकेश पहले बहोत घूमता था । पर अब वह पढ़ाई करने लगा है । मुकेश जब से पढ़ाई में व्यस्त हो गया है तब से वह घमंडी हो गया है । उसके साथी कहते कि पता नही इसको किस बात का घमंड है । जब से यह पढ़ाई कर रहा है तब से इसके पैर जमीन पर नही पड़ रहा है । मुकेश अपनी पढ़ाई के दम पर एक अच्छी सी कम्पनी में नौकरी पा गया । नौकरी मिलते ही मुकेश अब घमंड में चूर रहने लगा । उसको अब किसी की भी परवाह नही है । मुकेश का इस प्रकार से घमंड में चूर होना ही या अत्यधिक अभिमान होना ही “ज़मीन पर पैर न रखना” कहलाता है ।



वाक्य प्रयोग- 4.


लाला जी के चार बेटे हैं पर उनमें से कोई भी कमाता नही हैं । लाला जी ने एक दिन अपने चारों बेटों को बुला कर ये कहा कि जो ज्यादा पैसे कमायेगा मै उसी को अपना वारिस बनाऊंगा । फिर क्या था उनके चारो बेटे मेहनत करने लगे और खूब सारा पैसे कमाने लगे । लाला जी अब जब भी घर से निकलते तो वो घमंड में चूर रहते क्योंकि उनके चारो बेटे अब निकम्मा नही थे वो काम करने लगे है और अच्छे पैसे भी कमा रहे हैं । पर पहले लाला जी को लोगो के सामने शर्मिंदा होना पड़ता था । लोग कहते की लाला जी के सब बेटे निकम्मा है किसी काम के नही हैं । इसीलिए लाला जी ने अपने बेटों से वारिस बनाने वाली बात कही ताकि वो सब सफल बने और लाला जी का अभिमान भी । यही वजह है कि जब से लाला जी के चारो बेटे कमाने लगे हैं और सफलता प्राप्त किये हैं तब से लाला जी के पैर ज़मीन पर नही पड़ रहे हैं ।



वाक्य प्रयोग- 5.


नेता जी चुनाव जितने से पहले जनता के हाथ जोड़ कर वोट मांगते थे । पर अब चुनाव जीत जाने के बाद वो उन्ही जनता के सामने धमंड में चूर होकर चलते हैं और जनता से बात तक नही करते हैं । चुनाव जितने के बाद नेता जी हर समय अभिमान में ही रहते हैं । वो जनता के मुद्दों पर अब ध्यान भी नही देते हैं । इस बार जब नेता जी जनता के सामने आये तो लोगों ने उनसे कहा, कि नेता जी जबसे आपको हम लोगो ने वोट देकर जिताया है, तब से हम लोग देख रहे हैं कि ज़मीन पर पैर नही पड़ रहे हैं आपके ।


दोस्तों, हम आशा करते हैं कि आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा । अपने सुझाव देने के लिए हमें कमैंट्स जरूर करें ।


आपका दिन शुभ हो । 😊






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