“गले पड़ना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Gale Padna Meaning In Hindi

  Gale Padna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / गले पड़ना मुहावरे का क्या मतलब होता है? मुहावरा: “गले पड़ना”। (Muhavara- Gale Padna) अर्थ- अनचाही जिम्मेदारी, झंझट या मुसीबत का अपने सिर पर आ जाना। (Arth/Meaning in Hindi- Anchahi Zimmedari, Jhanjhat Ya Musibat Ka Apane Sir Par Aa Jana) “गले पड़ना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है- शब्दार्थ: “गले पड़ना” का शाब्दिक अर्थ है, किसी के गले में लिपट जाना या किसी के ऊपर चिपक जाना। मुहावरे का अर्थ: यह मुहावरा उस स्थिति के लिए प्रयोग किया जाता है जब कोई व्यक्ति या कोई झंझट, जिम्मेदारी या मुसीबत बिना चाहे किसी पर थोप दी जाए या अपने आप आ जाए। अर्थात्, अनचाही जिम्मेदारी, बोझ या परेशानी का अपने सिर पर आ जाना। व्याख्या: जीवन में कई बार ऐसा होता है कि हम किसी व्यक्ति या काम से दूर रहना चाहते हैं, परंतु परिस्थितियाँ ऐसी बन जाती हैं कि वही व्यक्ति या कार्य हमसे चिपक जाता है। इस स्थिति को ही “गले पड़ना” कहा जाता है। यह मुहावरा अक्सर नकारात्मक अर्थ में प्रयुक्त होता है। जब कोई व्यक्ति अपनी चालाकी या लापरवाही से किसी और को कठिन परिस्थिति में डाल देता...

अर्श से फर्श तक मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Arsh Se Farsh Tak Meaning In Hindi

Arsharsh Tak Muhavare Ka Arth aur Vakya Prayog / अर्श से फर्श तक मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग।

 

अर्श से फर्श तक मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Arsh Se Farsh Tak Meaning In Hindi
अर्श से फर्श तक




मुहावरा- “अर्श से फर्श तक” ।


Muhavara- Arsh Se Farsh Tak



अर्थ- आसमान से धरती तक / उपर से नीचे तक / किसी चीज की पूरी स्तिथि या क्षेत्र में दर्शाने या बढ़ाने तक ।


( Arth/Meaning in Hindi- Aasman Se Dharti Tak / Upar se Niche Tak / Kisi Chij Ki Puri Stithi Ya Kshetra Me Darshane Ya Badhane Tak )





“अर्श से फर्श तक” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


अर्श से फर्श तक यह हिंदी भाषा में बोले जाने वाला एक अति महत्वपूर्ण मुहावरा है। इसका अर्थ आसमान से धरती तक या फिर उपर से नीचे तक आने के लिए प्रयोग किया जाता है।


इस मुहावरे का यह भी अर्थ होता है कि किसी चीज का पुरी स्तिथि अथवा क्षेत्र में बढ़ावा देने में। इसका प्रयोग किसी क्षेत्र के पुरे भाग अथवा परिधि को दर्शाने में किया जाता है।



 उदाहरण-


रमेश ने अपने व्यापार को अर्श से फर्श तक बढ़ाया और उसे पूरे देश में फैलाने में कामयाब हुआ।

शहर में रमेश ने पापड़ का बहोत बड़ा व्यापार शुरु किया। रमेश ने अपने पापड़ की मार्केटिंग भी खूब अच्छे के की। पर वह सिर्फ शहर में ही सीमित रह गया। 

रमेश अपने व्यापार को और अधिक बढ़ाना चाहता था। वह हर घर में इस पापड़ को पहुंचना चाहता था। इसके लिए रमेश ने सौ लोगो को अपने साथ जोड़ा। फिर उन्हे पांच पांच लोगो में बांट दिया और उनको हर क्षेत्र में भेजा। उन लोगो ने जमीनी स्तर तक काम किया और पापड़ के खूबियों के बारे में बताया। 

रमेश का यह जुगाड़ काम कर गया। कुछ ही दिनों में उसका व्यापार शहर से होकर पूरे देश में फैल गया यहां तक की उसका यह प्रोडक्ट हर एक गांव तक पहुंच गया। 

अब रमेश का व्यापार पूरे क्षेत्र में बढ़ चुका था। अर्थात रमेश के लोगो ने उसके व्यापार को अर्श से फर्श तक पहुचाने में अहम भूमिका निभाई।



अर्श से फर्श तक मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Arsh Se Farsh Tak Muhavare Ka Vakya Prayog.



“अर्श से फर्श तक” मुहावरे का अर्थ नीचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं -



वाक्य प्रयोग- 1.


सावित्री ने परियोजना को पुरी दृष्टि से देखने के बाद उसे अर्श से फर्श तक समझा कि किस प्रकार इस परियोजना को सब तक पहुंचाया जाय। 

सावित्री ने एक परियोजना बनाया जो महिलाओं के हित में था। पर उसे पुरा करने के लिए उसके पास अनुभव की कमी थी। 

सावित्री ने पहले उस परियोजना पर पुरी जानकारी इकठ्ठा किया और उसका अध्ययन किया। अब सावित्री के पास उस परियोजना को लेकर काफी ज्यादा अनुभव हो गया था। 

कुछ लोगो के साथ मिलकर सावित्री ने अपनी परियोजना को घर घर जा कर सभी महिलाओं को बताया और समझया कि यह किस प्रकार उनकी मदत कर सकता है। 

कुछ महीनों के बाद सावित्री ने अपनी परियोजना का लाभ घर घर पहुचा दिया। और यह परियोजना महिलाओं के लिए काफी मददगार सावित हुवा। 

इस प्रकार हम कह सकते है कि सावित्री ने अपनी परियोजना को अर्श से फर्श तक पहुंचाया।


वाक्य प्रयोग- 2.


सरस्वती शिशु मंदिर के अध्यापको ने स्कूल की खूबियों को अर्श से फर्श तक पहुचाने का काम किया।

सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में बच्चों की संख्या काफ़ी कम थी।

फिर स्कूल के सभी अध्यापकों ने मिलकर ये फैसला किया कि वो घर घर जा कर अपने स्कूल की खूबियों बारे में सबको बताएंगे। 

सभी अध्यापकों ने मिलकर बहोत मेहनत किया। फिर अगले ही सत्र में स्कूल में बच्चों की संख्या काफी बढ़ने लगी। और स्कूल भी नाम बढ़ने लगा। 

ऐसा इसलिए संभव हुया क्युकी सभी अध्यापकों ने मिलकर पूरे क्षेत्र में स्कूल का प्रचार प्रसार किया। इस प्रकार स्कूल को अर्श से फर्श तक पहुचानें में विद्यालय परिवार का योगदान काफी सराहनीय रहा।



वाक्य प्रयोग- 3.


शिवा ने चुनाव लड़ने की प्रक्रिया के बारे में अर्श से फर्श तक सम्पूर्ण अध्ययन किया और अपनी एक नई पहचान बनाई। 

शिवा अपनी कॉलेज की पढ़ाई पुरी करने के बाद राजनीति में कदम बढ़ाना चाहता था। इसलिए उसने चुनाव लड़ने की प्रकिया के बारे में पुरी जानकारी इकठ्ठा किया। 

अब शिवा लोगो के बीच में जाकर उनकी समस्याओ को भी जाना कि आम लोगो को किस प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। और इसका निवारण कैसे किया जा सकता है।

अंत में शिवा ने चुनाव जीत लिया। और लोगो की समस्याओं को भी दूर किया। शिवा अब हर जगह चर्चा में था। हर तरफ उसकी ही बातें हो रही थी। 

शिवा अपना नाम कमाने के लिए अर्श से फर्श तक मेहनत किया था। तभी वो आज अपना पहचान बना पाया है।




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