राम-भरत मिलाप : प्रेम, त्याग और धर्म की महागाथा / Ram Bharat Milap Hindi Story

Ram Bharat Milap Ki Kahani / Ram Bharat Milap Story In Hindi / राम भरत मिलाप कहानी / राम भरत मिलाप रामायण की कहानी । प्रस्तावना : अयोध्या का सूर्य अस्त और वनवास का उदय- अयोध्या, जो वर्षों से समृद्धि, सौहार्द, धर्म और नीति का आधार रही थी, अचानक एक ऐसे वैराग्य और शोक से घिर गई थी जो किसी के लिए भी सहन करना सरल न था। महाराज दशरथ का देहावसान हो चुका था—अपने प्रिय पुत्र राम के वियोग में। तीनों रानियाँ—कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी—सब अपने-अपने दुःख की परतों में डूबी थीं। अयोध्या की प्रजा मानो दिशाहीन हो गई थी। लेकिन इस अंधकार के बीच एक ज्योति चमकी—भरत। वे नंदिग्राम में तपस्वी की तरह रहकर राज्य को राम के नाम से चलाने लगे। राम के वनवास के अन्यायपूर्ण आदेश को सुनते ही भरत का हृदय छिन्न-भिन्न हो गया था। उन्हें न केवल राम के वियोग का दुःख था, बल्कि अपनी माता कैकेयी के कठोर और अनुचित आग्रह के कारण उपजे संकट की भी गहन पीड़ा थी। इसी पीड़ा को अंत करने और धर्म को पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से भरत का निर्णय हुआ—वे राम को खोजकर लाएँगे, उन्हें अयोध्या का राजमुकुट पहनाएँगे और स्वयं दासी का जीवन स्वीकार ...

अधजल गगरी छलकत जाए मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Adhajal Gagari Chhalkat Jaye Meaning In Hindi


Adhajal Gagari Chhalkat Jaye Muhavre Ka Arth Aur Vakya Prayog / अधजल गगरी छलकत जाए मुहावरे का अर्थ क्या होता है?

 

अधजल गगरी छलकत जाए मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Adhajal Gagari Chhalkat Jaye Meaning In Hindi
अधजल गगरी छलकत जाए 




मुहावरा- “अधजल गगरी छलकत जाए” ।


अर्थ- ज्ञान कम और दिखावा ज्यादा / बीना मतलब के अपनी बात रखना / जो है ही नही उसे दिखाने का प्रयास करना / बात में सच्चाई कम और दिखावा ज्यादा ।



Muhavara- Adhajal Gagari Chhalkat Jaye


(Arth/Meaning in Hindi- Gyan Kam Aur Dhikhawa Jyada / Bina Matlab Ke Apni Baat Rakhna / Jo Hai Hi Nahi Use Dikhane Ka Prayas Karna / Baat Me Sachhai Kam Aur Dikhawa Jayada.)





“अधजल गगरी छलकत जाए” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-



“अधजल गगरी छलकत जाए” यह एक हिंदी मुहावरा है, जिसका अर्थ ज्ञान कम और दिखावा ज्यादा करना होता है । या फिर यूँ कहे कि जो है ही नही उसका दिखावा करना भी होता है ।


इस मुहावारे का मतलब यह भी होता है, कि कोई ऐसा काम जिसमे कोई समर्थन नही हो, या फिर कोई काम जो किसी स्तिथि को बिना तैयारी या सुझाव को किया जा रहा है और उस कार्य में असमर्थता की संभावना हो ।


उदाहरण- 


बिना किसी सही तैयारी के मांडवी ने परीक्षा मे भाग लेने का निर्णय लिया, पर उसे सायद ये मालूम हो कि “अधजल गगरी छलकत जाए” ।

अर्थात कि मांडवी ने SSC की परीक्षा मे भाग 

लेना चाहती थी । पर मांडवी ने उस परीक्षा की तैयारी नही थी । फिर भी वो परीक्षा देना चाहती थी । मंडवी के पास इस परीक्षा में पास होने की बहुत ही कम जानकारी थी । लेकिन वो सबको ये दिखा रही थी कि उसे उस परीक्षा की पुरी जानकारी है । मांडवी को ज्ञान तो कम है पर वो उस ज्ञान का दिखावा ज्यादा कर रही थी । यही वजह है कि मांडवी ने परीक्षा की तैयारी ना होते हुए भी उस परीक्षा मे भाग लेने का निर्णय लिया और “अधजल गगरी छलकत जाए” मुहावरे को और बढ़ावा दिया ।



“अधजल गगरी छलकत जाए” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Adhajal Gagari Chhalkat Jaye Muhavare Ka Vakya Prayog.



‘अधजल गगरी छलकत जाए’ इस मुहावरे का अर्थ हम नीचे दिये हुए कुछ वाक्य प्रयोगो के माध्यम से समझ सकते हैं । जो कि इस प्रकार हैं -



वाक्य प्रयोग- 1.


इस बार के चुनाव में सरकार ने जानता को लुभाने के लिए नये-नये लुभावने स्कीम ला रही है । जानता के बीच में इन लुभावने स्कीमो की खूब चर्चा हो रही है । कुछ लोगो को ये वादे सही लग रहे थे पर कुछ लोगो को इन वादों मे सच्चाई कम और दिखावा ज्यादा लग रहा था । चुनाव समाप्त होते ही सरकार के द्वारा नये नीतियों को लागू करने का निर्णय लिया गया, पर इस निर्णय पर यह देखा जा रहा है कि इसमें “अधजल गगरी छलकत जाए” की संभावना ज्यादा है ।



वाक्य प्रयोग- 2.


शेखर हर मुद्दे पर अपनी राय रखता था । पर सबको पता था कि उसका राय “अधजल गगरी छलकत जाए” की तरह है ।

घर में जब भी किसी विषय पर चर्चा होती और राय ली जाती तो शेखर अपनी राय सबसे पहले रखता था । हालांकि किसी को भी शेखर के राय की जरूरत नही होती थी । फिर भी शेखर अपनी राय जरूर देता था । घर में सबको पता था कि शेखर के पास किसी भी विषय पर कम ज्ञान है पर वो दिखावा ऐसा करता है कि उसी के पास इसकी जानकारी है । शेखर की बातों में सच्चाई कम होती थी और दिखावा ज्यादा । इसी वजह से शेखर को घर में “अधजल गगरी छलकत जाए” के सामन देखा जाता था । 



वाक्य प्रयोग- 3.


रमेश ने एक नया व्यापार शुरु करने का निर्णय लिया । पर उस व्यापार में “अधजल गगरी छलकत जाए” का खतरा दिख रहा है ।

रमेश को उसके एक करीबी रिश्तेदार ने किसी व्यापार के बारे में बताया । रमेश को वो व्यापार बहोत अच्छा लगा । पर रमेश को उस व्यापार के बारे में जानकारी बहोत कम थी । क्योकि रमेश ने इस व्यापार के बारे में पहले से ही थोड़ी बहुत जानकारी प्राप्त किया था । रिश्तेदार के बार बार कहने पर रमेश ने व्यापार को करने का निर्णय ले लिया । रमेश को इस व्यापार में “अधजल गगरी छलकत जाए” का खतरा साफ दिखाई दे रहा था ।





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