“उसने कहा था” चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ द्वारा लिखित कहानी / Hindi Story Usane Kaha Tha

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Usane Kaha Tha Hindi Kahani / चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी “उसने कहा था”।   कहानी- उसने कहा था "उसने कहा था" — यह हिंदी साहित्य की एक प्रसिद्ध और मार्मिक कहानी है, जिसे चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ ने लिखा है। यह कहानी प्रेम, बलिदान और कर्तव्यभाव का एक सुंदर उदाहरण है।  पूरा कहानी-पाठ थोड़ी लंबी है, इसलिए इसे भागों में बाँटा गया है, जो कि इस प्रकार से है- भाग 1. बचपन की मुलाक़ात अमृतसर के भीड़-भरे बाजार में, लोगों की चहल-पहल के बीच एक बारह-तेरह वर्ष का लड़का दुकान-दुकान की ओर देखता फिर रहा था। एक दुकान के सामने एक लड़की अपने माता-पिता के साथ खड़ी थी, और कुछ सामान खरीद रही थी। अचानक वह लड़की दुकान के किनारे खड़े उस लड़के की ओर देखकर मुस्कुराई। लड़के ने भी मुस्कुराकर उत्तर दिया। लड़की ने पूछा: “तुम्हारी माँ मर गई?” लड़का चौंक गया, लेकिन बोला, “हाँ, बहुत पहले।” “तुम्हारा नाम क्या है?” “लहना सिंह।” “मैं स्कूल जाती हूँ,” लड़की ने कहा। लहना सिंह को यह बात बहुत भली लगी। वह लड़की की बातें ध्यान से सुनता रहा। उस लड़की की मासूमियत, सादगी और सरलता ने बालक लहना के मन में कोई गहरा असर डाला। प...

"अंत बुरे का बुरा" मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Ant Bure Ka Bura Meaning In Hindi

 

Ant Bure Ka Bura Muhavare Ka Arth Aur Vakya / अंत बुरे का बुरा मुहावरे का अर्थ क्या होता है?

 

"अंत बुरे का बुरा" मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Ant Bure Ka Bura Meaning In Hindi
Ant Bure Ka Bura



मुहावरा- “अंत बुरे का बुरा”।

( Muhavara- Ant Bure Ka Bura )


अर्थ- बुरे कार्य का परिणाम अंत में बुरा ही होता है ।

( Arth/Meaning in Hindi- Bure Karya Ka Parinam  Ant Me Bura Hi Hota Hai )




“अंत बुरे का बुरा” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


परिचय


हिंदी भाषा में मुहावरे और कहावतें जीवन के अनुभवों से जुड़े होते हैं। ये न केवल भाषा को रोचक बनाते हैं बल्कि हमें नैतिक शिक्षाएँ भी देते हैं। "अंत बुरे का बुरा" भी एक ऐसा ही प्रसिद्ध मुहावरा है, जिसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी बुरे व्यक्ति या बुरे कार्य का परिणाम अंततः बुरा ही होता है।


मुहावरे का अर्थ


मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है –

"जो व्यक्ति या कार्य बुरा होता है, उसका परिणाम भी अंततः बुरा ही होता है।"


यह कहावत हमें यह सिखाती है कि यदि कोई व्यक्ति गलत रास्ते पर चलता है, छल-कपट करता है, अन्याय करता है, या बुराई का सहारा लेता है, तो अंत में उसे उसका दंड अवश्य मिलता है।


उदाहरण:

1. रावण ने अहंकार और अन्याय का मार्ग अपनाया, जिसका परिणाम उसका विनाश हुआ। यही इस कहावत को दर्शाता है – "अंत बुरे का बुरा।"


2. दुर्योधन ने अधर्म और छल के सहारे राज्य हथियाने की कोशिश की, लेकिन महाभारत के युद्ध में उसका नाश हो गया।


3. भ्रष्ट नेता जो जनता का शोषण करते हैं, अंत में कानूनी कार्रवाई के कारण जेल चले जाते हैं।


मुहावरे की उत्पत्ति और ऐतिहासिक संदर्भ


यह मुहावरा न्याय और कर्मफल सिद्धांत पर आधारित है। भारतीय दर्शन और धार्मिक ग्रंथों में भी यह विचार मिलता है कि बुरे कर्मों का अंत बुरा ही होता है।


रामायण में: रावण का चरित्र इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उसने अहंकारवश सीता का हरण किया, लेकिन अंत में उसे अपने कर्मों का दंड भुगतना पड़ा।


महाभारत में: दुर्योधन ने पांडवों को छल से हराने का प्रयास किया, लेकिन अंत में उसका पूरा वंश समाप्त हो गया।


इतिहास में: कई तानाशाह और क्रूर शासकों का अंत भी दुखद रहा, जैसे कि हिटलर और मुसोलिनी।


यह सिद्ध करता है कि अन्याय, अहंकार और अत्याचार का अंत सदैव बुरा ही होता है।


मुहावरे का उपयोग और सामाजिक परिप्रेक्ष्य


यह मुहावरा उन स्थितियों में प्रयोग किया जाता है जहाँ कोई व्यक्ति बुरे कर्म करता है और अंत में उसे दंड मिलता है। इसे विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में देखा जा सकता है –


1. राजनीति में


राजनीति में कई नेता सत्ता पाने के लिए भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और अन्याय का सहारा लेते हैं। लेकिन जब जनता के सामने उनकी सच्चाई उजागर होती है, तो उनका अंत बुरा होता है।


उदाहरण:

भ्रष्ट नेताओं का पर्दाफाश होने के बाद उन्हें जेल जाना पड़ता है।


तानाशाह शासक जिनका शासन अन्यायपूर्ण होता है, वे क्रांति या विद्रोह में मारे जाते हैं।


2. अपराध की दुनिया में


अपराधी कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों, अंततः उनका अंत बुरा ही होता है।


उदाहरण:

डाकू और माफिया जो सालों तक आतंक मचाते हैं, अंत में पुलिस द्वारा मारे जाते हैं।


घोटालेबाज व्यापारियों का अंत जेल में होता है।


3. व्यापार और भ्रष्टाचार में


जो लोग व्यापार में छल-कपट से दूसरों को नुकसान पहुँचाते हैं, वे कुछ समय के लिए सफल हो सकते हैं, लेकिन अंत में उनका भी बुरा हाल होता है।


उदाहरण:

कई कंपनियाँ जो ग्राहकों को धोखा देती हैं, वे अंततः बंद हो जाती हैं।


रिश्वत लेने वाले अधिकारियों को एक न एक दिन पकड़ा ही जाता है।


4. व्यक्तिगत जीवन में


जो लोग छल, झूठ और अहंकार के सहारे जीवन जीते हैं, उनका अंत बुरा होता है।


उदाहरण:

अहंकारी व्यक्ति अंत में अकेला रह जाता है।

दूसरों को दुख देने वाले लोग खुद भी दुखी होते हैं।


साहित्य, सिनेमा और लोककथाओं में संदर्भ


यह मुहावरा हिंदी साहित्य, फिल्मों और लोककथाओं में भी देखने को मिलता है।


1. साहित्य में:


प्रेमचंद की कहानियाँ बुराई के अंत की सच्चाई को दर्शाती हैं।


हरिशंकर परसाई और शरद जोशी के व्यंग्य लेखों में भ्रष्ट नेताओं के बुरे अंत का जिक्र मिलता है।


2. फिल्मों में:


हिंदी फिल्मों में अक्सर यह दिखाया जाता है कि विलेन (खलनायक) कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में उसका बुरा हश्र होता है।


शोले फिल्म में गब्बर सिंह का अंत बुरा होता है, जो इस कहावत को सही ठहराता है।


3. लोककथाओं में:


कई भारतीय लोककथाओं में अत्याचारी राजा का अंत बुरा दिखाया जाता है।


पंचतंत्र और जातक कथाओं में यह संदेश दिया गया है कि बुरे कर्मों का परिणाम बुरा ही होता है।


मुहावरे का नैतिक और दार्शनिक दृष्टिकोण


यह मुहावरा हमें कई नैतिक शिक्षा देता है –


1. बुराई का अंत निश्चित है।

2. अच्छे कर्म ही सफलता की कुंजी हैं।

3. किसी को दुख देने वाला खुद भी दुखी होता है।

4. अहंकार, लालच और अन्याय से बचना चाहिए।



"अंत बुरे का बुरा" मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Ant Bure Ka Bura Muhavare Ka Vakya Prayog. 


1. रावण ने अहंकार और अधर्म का रास्ता चुना, इसलिए उसका अंत बुरा हुआ – "अंत बुरे का बुरा।"


2. दुर्योधन ने छल-कपट से राजपाट हथियाने की कोशिश की, लेकिन अंत में वह मारा गया – "अंत बुरे का बुरा।"


3. भ्रष्टाचारी नेता ने जनता को धोखा दिया, लेकिन घोटाले उजागर होने पर उसे जेल जाना पड़ा – "अंत बुरे का बुरा।"


4. लालच में आकर व्यापारी ने मिलावट की, लेकिन बाद में उसकी दुकान बंद हो गई – "अंत बुरे का बुरा।"


5. अपराधी कितने भी चालाक क्यों न हों, पुलिस एक दिन उन्हें पकड़ ही लेती है – "अंत बुरे का बुरा।"


6. क्रूर राजा ने प्रजा पर अत्याचार किया, लेकिन अंत में उसे गद्दी से उतार दिया गया – "अंत बुरे का बुरा।"


7. हिटलर ने लाखों लोगों पर अत्याचार किए, लेकिन उसका अंत भी बहुत बुरा हुआ – "अंत बुरे का बुरा।"


8. जिसने अपने दोस्तों को धोखा दिया, बाद में उसे भी अकेलेपन का सामना करना पड़ा – "अंत बुरे का बुरा।"


9. गलत तरीके से पैसे कमाने वाले व्यक्ति का अंत हमेशा कर्ज और बदनामी में होता है – "अंत बुरे का बुरा।"


10. जिसने अपने माता-पिता का अपमान किया, बाद में उसके बच्चे भी उसे छोड़कर चले गए – "अंत बुरे का बुरा।"


11. अत्याचारी राजा का शासन लंबे समय तक नहीं चलता, उसका विनाश निश्चित होता है – "अंत बुरे का बुरा।"


12. रिश्वतखोरी में लिप्त अफसर को एक दिन रंगे हाथों पकड़ा गया – "अंत बुरे का बुरा।"


13. धोखेबाज दोस्त ने कई लोगों को ठगा, लेकिन बाद में खुद ठगी का शिकार हो गया – "अंत बुरे का बुरा।"


14. जो व्यक्ति अहंकार में दूसरों को नीचा दिखाता है, एक दिन खुद गिर जाता है – "अंत बुरे का बुरा।"


15. जंगल का वह क्रूर शिकारी, जो निर्दोष जानवरों को मारता था, अंत में शेर का शिकार बन गया – "अंत बुरे का बुरा।"


16. परीक्षा में नकल करने वाला छात्र एक दिन पकड़ा गया और उसे स्कूल से निकाल दिया गया – "अंत बुरे का बुरा।"


17. लालची साहूकार ने गरीबों का शोषण किया, लेकिन बाद में खुद कंगाल हो गया – "अंत बुरे का बुरा।"


18. जिसने अपने कर्मचारियों के साथ अन्याय किया, उसकी कंपनी भी घाटे में चली गई – "अंत बुरे का बुरा।"


19. धोखाधड़ी करके अमीर बना व्यक्ति बाद में जेल में सड़ने को मजबूर हो गया – "अंत बुरे का बुरा।"


20. अपने घमंड के कारण उसने सबको अपमानित किया, लेकिन एक दिन खुद अपमानित होकर गया – "अंत बुरे का बुरा।"


21. शेर ने जंगल के सभी जानवरों पर अत्याचार किया, लेकिन शिकारी के जाल में फंसकर मारा गया – "अंत बुरे का बुरा।"


22. लालच में आकर लोगों ने पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया, लेकिन अब खुद जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव झेल रहे हैं – "अंत बुरे का बुरा।"


23. जिसने दूसरों के साथ विश्वासघात किया, बाद में उसका भी कोई साथ नहीं देता – "अंत बुरे का बुरा।"


24. झूठ बोलकर मुकदमा जीतने वाले को बाद में सच सामने आने पर सजा मिली – "अंत बुरे का बुरा।"


25. जो व्यक्ति छल-कपट से दूसरों को नुकसान पहुंचाता है, वह एक दिन खुद बर्बाद हो जाता है – "अंत बुरे का बुरा।"



निष्कर्ष


"अंत बुरे का बुरा" एक महत्वपूर्ण मुहावरा है, जो हमें यह सिखाता है कि बुराई का अंत बुरा ही होता है। यह केवल एक कहावत नहीं, बल्कि जीवन का कड़वा सत्य भी है।


अगर समाज में न्याय और सद्भावना बनाए रखनी है, तो हमें इस कहावत को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए और हमेशा सच्चाई, ईमानदारी और अच्छे कर्मों के मार्ग पर चलना चाहिए।



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