“उसने कहा था” चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ द्वारा लिखित कहानी / Hindi Story Usane Kaha Tha

Akal Ghas Charne Gayi Hai Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / अक्ल घास चरने गयी है मुहावरे का अर्थ क्या होता है?
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Akal Ghas Charne Gayi Hai |
मुहावरा- “अक्ल घास चरने गयी है”।
( Muhavara- Akal Ghas Charne Gayi Hai )
अर्थ- मूर्खतापूर्ण कार्य करना / अव्यवस्थित तरिके से किसी कार्य को सम्पन्न करना / काम करने में समझदारी न दिखाना ।
( Arth/Meaning In Hindi- Murkhtapurn Karya Karna / Avyavasthit Tarike Se Kisi Karya Ko Sampann Karna / Kam Karne Me Samjhdari Na Dikhana )
“अक्ल घास चरने गयी है” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
अर्थ:
“अक्ल घास चरने गयी है” मुहावरे का अर्थ है कि किसी व्यक्ति ने अपनी बुद्धि का सही उपयोग नहीं किया है या वह मूर्खता पूर्ण कार्य कर रहा है। यह तब कहा जाता है जब कोई व्यक्ति ऐसी बातें करे या ऐसे निर्णय ले, जिनमें समझदारी का अभाव हो और जो सामान्य बुद्धि के विरुद्ध हों। इसे व्यंग्यात्मक रूप से प्रयोग किया जाता है ताकि किसी की मूर्खता या असावधानी को दर्शाया जा सके।
व्याख्या:
भारतीय भाषाओं में मुहावरों का एक महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि वे भावों को प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करते हैं। "अक्ल घास चरने गयी है" मुहावरा भी ऐसा ही एक रोचक और व्यंग्यपूर्ण मुहावरा है, जिसका प्रयोग अक्सर तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति मूर्खतापूर्ण निर्णय लेता है या साधारण सी बात नहीं समझ पाता।
इस मुहावरे में 'अक्ल' का अर्थ है 'बुद्धि' और 'घास चरने जाना' का मतलब है किसी चीज़ का अनुपस्थित होना या व्यर्थ हो जाना। जब कहा जाता है कि "अक्ल घास चरने गयी है", तो इसका तात्पर्य होता है कि व्यक्ति की समझदारी जैसे गायब हो गई हो और वह बिना सोच-विचार के कार्य कर रहा हो।
यह मुहावरा दैनिक जीवन में कई बार उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र परीक्षा की तैयारी करने के बजाय पूरा समय खेलकूद में बर्बाद कर दे और फिर असफल हो जाए, तो लोग कह सकते हैं, "लगता है इसकी अक्ल घास चरने चली गई थी!" इसी प्रकार, यदि कोई व्यक्ति हानि का सौदा कर ले या किसी धोखेबाज पर आंख मूंदकर विश्वास कर ले, तो भी इस मुहावरे का प्रयोग उपयुक्त होगा।
सांस्कृतिक संदर्भ:
इस मुहावरे में 'घास चरना' एक प्रतीकात्मक क्रिया है। गाय, बकरी आदि जानवर घास चरते हैं और उन्हें बौद्धिक विचारों से कोई लेना-देना नहीं होता। जब किसी की बुद्धि को "घास चरने" भेजा जाता है, तो इसका मतलब होता है कि उस व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति अस्थायी रूप से निष्क्रिय हो गई है। यह मुहावरा इस विचार को व्यंग्यात्मक ढंग से प्रकट करता है कि व्यक्ति ने अपनी सोचने की क्षमता का त्याग कर दिया है।
सामाजिक प्रभाव:
यह मुहावरा केवल मजाक उड़ाने के लिए नहीं बल्कि किसी को सतर्क करने के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। कभी-कभी लोग इसे परामर्श के रूप में भी कहते हैं ताकि सामने वाला व्यक्ति अपनी गलती समझ सके और भविष्य में सोच-समझकर निर्णय ले। हालांकि, इसे बोलते समय संयम रखना जरूरी है क्योंकि यह किसी की बुद्धि पर सीधा प्रहार करता है और इससे व्यक्ति को ठेस भी पहुँच सकती है।
मुहावरा "अक्ल घास चरने गयी है" का वाक्य प्रयोग / Akal Ghas Charne Gayi Hai Muhavare Ka Vakya Prayog.
1. परीक्षा के दिन किताबें छोड़कर वह फिल्म देखने चला गया, सच में उसकी अक्ल घास चरने गयी है।
2. इतनी आसान बात भी नहीं समझ पाए? क्या तुम्हारी अक्ल घास चरने गयी है?
3. महंगे दाम में खराब सामान खरीद लिया, लगता है उस वक्त उसकी अक्ल घास चरने गयी थी।
4. बिना हेलमेट बाइक चलाना क्या अक्लमंदी है? लग रहा है अक्ल घास चरने चली गई है।
5. तुम बार-बार वही गलती कर रहे हो, क्या अक्ल घास चरने गई है?
6. उसने ठगों पर भरोसा कर अपने पैसे गंवा दिए, जैसे अक्ल घास चरने चली गई हो।
7. बारिश में बिजली के खंभे के पास खड़ा होना क्या अक्लमंदी है? अक्ल घास चरने गई है क्या?
8. दोस्त की मदद करने के बजाय उसका मजाक उड़ाया, सच में अक्ल घास चरने गई है।
9. इंटरव्यू में ऐसे अजीब जवाब दिए जैसे अक्ल घास चरने चली गई हो।
10. बिना प्लानिंग के बिजनेस शुरू कर दिया, फिर घाटा हुआ, अक्ल तो घास चरने चली गई थी।
11. गलती से गैस ऑन छोड़ दी और बाहर चले गए, क्या अक्ल घास चरने गई थी?
12. परीक्षा में सवालों के उल्टे-सीधे जवाब लिखे, जैसे अक्ल घास चरने चली गई हो।
13. चोरी पकड़े जाने पर भी हंस रहा था, जैसे अक्ल घास चरने गई हो।
14. जिसने सबसे झगड़ा मोल लिया, लगता है उसकी अक्ल घास चरने गई है।
15. अपनी मेहनत से कमाए पैसे जुए में हार गया, जैसे अक्ल पूरी तरह घास चरने चली गई हो।
इन वाक्यों से स्पष्ट होता है कि यह मुहावरा तब उपयोग होता है जब कोई व्यक्ति मूर्खता भरा या असावधानीपूर्ण कार्य करता है।
इस मुहावरे पर एक छोटी सी कहानी इस प्रकार है-
कहानी: "अक्ल घास चरने गई थी"
राहुल एक होशियार लेकिन थोड़ा लापरवाह लड़का था। उसके माता-पिता हमेशा उसे समझाते थे कि कोई भी काम सोच-समझकर करना चाहिए, लेकिन राहुल अक्सर बिना सोचे ही फैसले लेता था।
एक दिन राहुल के स्कूल में विज्ञान प्रदर्शनी लगी। राहुल ने सोचा कि इस बार वह सबसे अनोखा मॉडल बनाएगा ताकि उसे पहला इनाम मिले। लेकिन उसने योजना बनाने की जगह यूट्यूब पर वीडियो देखे और बिना किसी तैयारी के एक रॉकेट मॉडल बनाना शुरू कर दिया। उसने जल्दीबाजी में ऐसा रॉकेट बना डाला, जिसमें कई गलतियां थीं।
प्रदर्शनी के दिन जब उसने रॉकेट लॉन्च करने की कोशिश की, तो रॉकेट उड़ने के बजाय सीधे टूटकर गिर पड़ा। सभी बच्चे हँसने लगे और राहुल शर्मिंदा हो गया। तभी उसके दोस्त रोहन ने हँसते हुए कहा, "भाई, लगता है तेरी अक्ल तो घास चरने गई थी!"
राहुल को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने समझा कि बिना योजना और सोच-विचार के किया गया काम अक्सर असफल ही होता है। उसने ठान लिया कि अगली बार कोई भी काम करने से पहले ठीक से सोच-विचार करेगा।
सीख:
जल्दबाजी में या बिना सोच-विचार के लिए गए फैसले अक्लमंदी नहीं कहलाते। हर काम को समझदारी से करना जरूरी है।
निष्कर्ष:
"अक्ल घास चरने गयी है" एक प्रभावशाली मुहावरा है, जिसका उपयोग तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति मूर्खतापूर्ण व्यवहार करे या निर्णय लेने में असफल रहे। यह न केवल हिंदी भाषा की गहराई को दर्शाता है बल्कि मानवीय स्वभाव और समाज में प्रचलित व्यंग्यात्मक अभिव्यक्तियों का भी परिचय कराता है। इस मुहावरे का सही उपयोग संवाद को रोचक बनाने के साथ-साथ भावों को सटीक रूप में प्रकट करने में मदद करता है।
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