"गुरु घंटाल" मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Guru Ghantal Meaning In Hindi

  Guru Ghantal Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / गुरु घंटाल मुहावरे का क्या मतलब होता है? मुहावरा- “गुरु घंटाल”। (Muhavara- Guru Ghantal) अर्थ- धूर्त इंसान / मूर्खों का सरदार / चालक और कपटी व्यक्ति। (Arth/Meaning in Hindi- Chutti Insan / Murkho Ka Sardar / Chalak Aur Kapati Vyakti)  “गुरु घंटाल” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है- प्रस्तावना: हिन्दी भाषा का संसार अत्यंत समृद्ध और अभिव्यंजक है। इसमें ऐसे अनेक मुहावरे और लोकोक्तियाँ हैं, जो बहुत ही सरल, चुटीले और व्यंग्यपूर्ण ढंग से किसी व्यक्ति, स्थिति या व्यवहार का चित्रण कर देती हैं। ये मुहावरे समाज की मानसिकता, जीवन के अनुभव और लोकबुद्धि का जीवंत रूप हैं। इन्हीं में से एक अत्यंत चर्चित और मनोरंजक मुहावरा है — “गुरु घंटाल”। यह मुहावरा एक ओर हँसी पैदा करता है तो दूसरी ओर किसी चालाक, धूर्त या चतुर व्यक्ति की सटीक पहचान भी कराता है। मुहावरे की संरचना और उत्पत्ति: “गुरु घंटाल” दो शब्दों से मिलकर बना है — ‘गुरु’ और ‘घंटाल’। ‘गुरु’ शब्द संस्कृत मूल का है, जिसका सामान्य अर्थ होता है — शिक्षक, मार्गदर्शक या ज्ञान देने वाला व्यक्...

“इंद्र की परी” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Indra Ki Pari Meaning In Hindi


Indra Ki Pari Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / इंद्र की परी” मुहावरे का अर्थ क्या होता है?


 
“इंद्र की परी” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Indra Ki Pari Meaning In Hindi
Indra Ki Pari





मुहावरा- “इंद्र की परी” ।


( Muhavara- Indra Ki Pari )



अर्थ- अप्सरा / अत्यधिक सुंदर स्त्री / मोहिनी अर्थात मन को मोहित कर देनी वाली सुंदरता ।


( Arth/Meaning in Hindi- Apsara / Atyadhik Sundar Stree / Mohini Arthat Man Ko Mohit Kar Dene Wali Sundarta )





“इन्द्र की परी” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


“इंद्र की परी” एक प्रसिद्ध मुहावरा है, जो भारतीय साहित्य और बोली-भाषा में अपनी विशेष पहचान रखता है। इसका अर्थ और व्याख्या सुंदरता, आकर्षण और विलक्षणता के संदर्भ में की जाती है। इसे आमतौर पर उन व्यक्तियों या चीज़ों के लिए उपयोग किया जाता है, जो अतुलनीय रूप से सुंदर, आकर्षक और दिव्य प्रतीत होती हैं। इस मुहावरे का मूल भारतीय पौराणिक कथाओं और सांस्कृतिक धारणाओं में छिपा हुआ है।


मुहावरे का शाब्दिक अर्थ


'इंद्र की परी' का अर्थ है इंद्र देव की स्वर्गीय अप्सराएँ, जो अपने अद्वितीय सौंदर्य और मनमोहक आकर्षण के लिए जानी जाती हैं। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, इंद्र देव स्वर्ग के राजा हैं और उनके दरबार में अनेक दिव्य अप्सराएँ रहती हैं, जो स्वर्गलोक की शोभा बढ़ाती हैं। इन अप्सराओं को ईश्वर द्वारा अद्वितीय सुंदरता, कला और मोहकता प्रदान की गई है।


मुहावरे का भावार्थ


मुहावरे का इस्तेमाल किसी को अतुलनीय सुंदरता या अद्वितीयता के संदर्भ में प्रशंसा करने के लिए किया जाता है। यह ऐसा प्रतीक है, जो यह दर्शाता है कि वह व्यक्ति या वस्तु इतनी खूबसूरत है कि वह मानवीय कल्पना से परे लगती है।


उदाहरण के लिए:


1. वाक्य: "उसकी सुंदरता ऐसी थी मानो वह इंद्र की परी हो।"

अर्थ: वह व्यक्ति असाधारण सुंदरता का प्रतीक है।


2. वाक्य: "उसके नृत्य की मोहकता देखकर ऐसा लगा जैसे इंद्र की परी स्वर्ग से उतर आई हो।"

अर्थ: उसका नृत्य इतना सुंदर और आकर्षक था कि उसे स्वर्गीय अनुभव की संज्ञा दी जा रही है।



"इंद्र की परी" मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Indra Ki Pari Muhavare Ka Vakya Prayog. 


1. उसकी मुस्कान इतनी मोहक थी, जैसे इंद्र की परी धरती पर उतर आई हो।


2. शादी के दिन वह दुल्हन इंद्र की परी जैसी लग रही थी।


3. वह मंच पर नृत्य करते हुए ऐसी लग रही थी मानो इंद्र की परी स्वयं नाच रही हो।


4. उसकी आवाज़ इतनी मधुर थी कि सुनने वाले को इंद्र की परी का गान याद आ जाए।


5. उस खूबसूरत लड़की को देखकर सभी ने कहा, "यह तो इंद्र की परी है।"


6. चाँदनी रात में वह लड़की इंद्र की परी जैसी प्रतीत हो रही थी।


7. कलाकार ने अपनी पेंटिंग में ऐसी महिला का चित्रण किया, जो इंद्र की परी से कम नहीं लग रही थी।


8. उसके पहनावे और आभूषण ने उसे इंद्र की परी जैसा बना दिया।


9. वह जंगल में चलते हुए इंद्र की परी जैसी दिख रही थी।


10. बच्चों ने परियों की कहानियों में सुनी हुई इंद्र की परी की कल्पना उसी में देखी।


11. फिल्म की अभिनेत्री को देखकर दर्शकों ने कहा, "यह तो इंद्र की परी लग रही है।"


12. उसकी आँखों में ऐसी चमक थी, जैसे इंद्र की परी की आँखें हो।


13. बारात में दुल्हन की सहेली को देखकर सबने कहा, "यह तो इंद्र की परी है।"


14. समुद्र के किनारे खड़ी वह लड़की इंद्र की परी सी दिख रही थी।


15. उसकी हँसी की खनक ऐसी थी, जैसे इंद्र की परी स्वर्ग से बोल रही हो।


16. माँ ने अपनी बेटी को सजा-धजा कर कहा, "तू तो इंद्र की परी लग रही है।"


17. उसके सौंदर्य ने ऐसा जादू किया कि लोग उसे इंद्र की परी कहने लगे।


18. कहानी के लेखक ने नायिका का वर्णन इस प्रकार किया कि वह इंद्र की परी प्रतीत हुई।


19. नववधू की सुंदरता ने सबको इंद्र की परी की याद दिला दी।


20. शाम की पार्टी में वह महिला इंद्र की परी जैसी खूबसूरत लग रही थी।


21. बच्चे ने अपने दोस्त से कहा, "तुम्हारी बहन तो इंद्र की परी जैसी लगती है।"


22. उसका चेहरा ऐसा दमक रहा था, जैसे इंद्र की परी की चमक।


23. वह परी कथा में वर्णित इंद्र की परी की सजीव छवि लग रही थी।


24. स्कूल में नाटक में उसने इंद्र की परी का किरदार निभाया और सभी ने उसकी प्रशंसा की।


25. गाँव में उसकी सुंदरता के चर्चे ऐसे हुए, जैसे वह इंद्र की परी हो।


ये सभी वाक्य मुहावरे के सही और प्रभावशाली उपयोग को दर्शाते हैं।






“इन्द्र की परी” मुहावरे का सांस्कृतिक पृष्ठभूमि


भारत में इंद्र की परियों का उल्लेख रामायण, महाभारत और अन्य पुराणों में मिलता है। इन ग्रंथों में उर्वशी, मेनका, रंभा जैसी अप्सराओं का वर्णन किया गया है, जो अपनी सुंदरता और कला के लिए प्रसिद्ध थीं। इन अप्सराओं का काम स्वर्ग की शोभा बढ़ाना और मनोरंजन करना था। इसी पौराणिक पृष्ठभूमि के आधार पर 'इंद्र की परी' मुहावरा विकसित हुआ।


व्यवहारिक उपयोग


आधुनिक समय में 'इंद्र की परी' का उपयोग साहित्य, फिल्मों, कविताओं, गीतों और सामान्य बोलचाल में बहुतायत से होता है। इसका मुख्य उद्देश्य किसी की सुंदरता और आकर्षण की अतिशयोक्ति करते हुए प्रशंसा करना होता है।


उदाहरण:


1. जब कोई व्यक्ति विशेष रूप से सुंदर कपड़े पहनता है, तो लोग कह सकते हैं, "तुम तो आज इंद्र की परी लग रही हो।"


2. कवि या लेखक किसी महिला की सुंदरता का वर्णन करते हुए लिख सकते हैं, "उसकी आँखों में ऐसा जादू था, जैसे इंद्र की परी अपनी मोहकता लेकर आई हो।"


मुहावरे का प्रभाव


यह मुहावरा न केवल सुंदरता की व्याख्या करता है, बल्कि उसमें दिव्यता और अद्वितीयता का भाव भी जोड़ता है। यह किसी को विशेष महसूस कराने का माध्यम है। जब यह मुहावरा किसी के लिए उपयोग किया जाता है, तो वह व्यक्ति स्वयं को अनोखा और आदर्श समझता है।


सामाजिक और साहित्यिक संदर्भ


भारतीय समाज में सौंदर्य और कला की हमेशा से महत्ता रही है। 'इंद्र की परी' जैसे मुहावरे यह दर्शाते हैं कि सुंदरता और सौंदर्य केवल शारीरिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक भी हो सकता है। साहित्य में इस मुहावरे का उपयोग महिलाओं की सुंदरता और उनकी अद्वितीयता को उभारने के लिए किया जाता है।


सारांश:


'इंद्र की परी' मुहावरा सुंदरता और दिव्यता का प्रतीक है। इसका उपयोग किसी व्यक्ति या वस्तु की प्रशंसा और उसे विशेष रूप से अद्वितीय दिखाने के लिए किया जाता है। यह पौराणिक कथाओं से प्रेरित होकर भारतीय समाज में गहराई से स्थापित हुआ है और आज भी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है।




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