“कमर सीधी करना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kamar Sidhi Karna Meaning In Hindi

  Kamar Sidhi Karna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / कमर सीधी करना मुहावरे का अर्थ क्या होता है? मुहावरा- “कमर सीधी करना”। ( Muhavara- Kamar Sidhi Karna ) अर्थ- आराम करना / थकावट दूर करना / शरीर को आराम देना । ( Arth/ Meaning In Hindi- Aaram Karna / Thakawat Dur Karna / Sharir Ko Aaram Dena ) “कमर सीधी करना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है- अर्थ: "कमर सीधी करना" एक हिंदी मुहावरा है जिसका सामान्य अर्थ होता है — आराम करना, थकावट के बाद शरीर को विश्राम देना, या थोड़ी देर के लिए सुस्ताना। यह मुहावरा आमतौर पर शारीरिक परिश्रम या कठिन कार्य के बाद व्यक्ति के थोड़ी देर के लिए आराम करने की स्थिति को दर्शाने के लिए प्रयोग किया जाता है। व्याख्या: हिंदी भाषा में मुहावरों का विशेष स्थान है। ये न केवल भाषा को रोचक और प्रभावशाली बनाते हैं, बल्कि किसी स्थिति या भावना को चुटीले, संक्षिप्त और प्रभावशाली तरीके से अभिव्यक्त करने का भी माध्यम होते हैं। "कमर सीधी करना" एक ऐसा ही प्रसिद्ध मुहावरा है, जो मुख्य रूप से श्रम के बाद मिलने वाले थोड़े विश्राम या राहत की स्थिति को दर्शात...

हिन्दी कहानी “अंधेरी रात” / डरावनी कहानियाँ / Hindi Horror Story Andheri Raat

 

Hindi Kahani Andheri Raat / Darawani Kahaniya / Horror Story In Hindi / पुरानी हवेली / Purani Haweli

 
हिन्दी कहानी “अंधेरी रात” / डरावनी कहानियाँ / Hindi Horror Story Andheri Raat
Hindi Story "Andheri Raat"






कहानी अंधेरी रात :


एक ठंडी और अंधेरी रात थी। आसमान काले बादलों से ढका हुआ था, और चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था। गांव के बाहर एक पुरानी हवेली थी, जो अब वीरान पड़ी थी। उस हवेली की छत टपक रही थी और दीवारों पर काई जम चुकी थी। गांव वाले कहते थे कि इस हवेली में कभी कोई आया तो वापस नहीं लौटा। हवेली के अंदर किसी आत्मा का वास था, और हर पूर्णिमा की रात को वहां से अजीब-अजीब आवाज़ें आती थीं।


उस दिन भी पूर्णिमा की रात थी। चांद बादलों के पीछे से झांक रहा था, लेकिन उसकी रोशनी धरती पर नहीं पड़ रही थी। गांव के युवा लड़कों में से एक, आर्यन, हमेशा से उन कहानियों पर शक करता था। उसे नहीं लगता था कि हवेली में कुछ अलौकिक है। उसे लगा कि यह सिर्फ एक अफवाह है, जिससे गांव वाले डरते हैं।


आर्यन के दोस्तों ने उसे चुनौती दी, "अगर तुम इतना ही बहादुर हो तो उस हवेली में जाकर दिखाओ।"


चुनौती स्वीकार करते हुए, आर्यन ने तय किया कि वह उस रात हवेली में जाएगा। उसके दोस्त, मोहित, करण, और निशा भी उसके साथ जाने को तैयार हो गए। सभी ने सोचा कि यह एक रोमांचक अनुभव होगा, और वे एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते हुए हवेली की ओर चल पड़े।


हवेली के पास पहुंचते ही उन्हें एक अजीब सी ठंडक महसूस हुई, जो हड्डियों तक घुस गई। हवेली के बड़े और भारी दरवाजे को देखकर मोहित ने कहा, "शायद ये बंद होगा। वापस चलते हैं।" लेकिन आर्यन ने दरवाजे को धक्का दिया, और उसकी चरमराहट के साथ दरवाजा खुल गया।


अंदर घुसते ही एक अजीब सी बू हवा में फैली थी। सीढ़ियों की ओर बढ़ते हुए उनके कदमों की आहट गूंजने लगी। करण ने मज़ाक में कहा, "क्या हो अगर यहां कोई भूत सच में हो?" निशा ने उसे चुप रहने का इशारा किया और कहा, "हम यहां सिर्फ यह साबित करने आए हैं कि कोई भूत-प्रेत नहीं होते।"


वे धीरे-धीरे हवेली के अंदर गहराई तक जाने लगे। हर कमरे का दरवाजा खोलते ही वहां धूल और मकड़ी के जाले ही मिले। लेकिन जैसे ही वे सबसे बड़े हॉल में पहुंचे, एक जोरदार आवाज हुई, जैसे कोई भारी चीज़ गिर गई हो। सभी सहम गए, और उनकी सांसें तेज हो गईं।


मोहित ने कांपती आवाज़ में कहा, "ये क्या था?" आर्यन ने हिम्मत दिखाते हुए कहा, "शायद ये हवेली पुरानी है, इसलिए कुछ गिर गया होगा। डरने की जरूरत नहीं है।" लेकिन फिर एक और जोरदार आवाज़ आई, और इस बार हवेली की छत से एक झटके से हवा का झोंका अंदर आया, जिससे खिड़कियां ज़ोर से बजने लगीं।


अब सभी को डर लगने लगा था, लेकिन आर्यन ने खुद को शांत रखते हुए कहा, "चलो, ऊपर की ओर चलते हैं।" वे सीढ़ियों की तरफ बढ़े, लेकिन निशा के पैर अचानक ठिठक गए। उसे लगा कि किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा है। उसने मुड़कर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। उसके चेहरे पर पसीना छलकने लगा, और वह घबरा गई।


"यहां कुछ सही नहीं है," उसने धीमी आवाज़ में कहा। लेकिन आर्यन ने उसे ढांढस बंधाया और आगे बढ़ने के लिए कहा।


वे सब ऊपर पहुंच गए। वहां एक बड़ा कमरा था, जिसके दरवाजे पर जंग लगा ताला था। आर्यन ने ताले को तोड़ने की कोशिश की, और आखिरकार दरवाजा खुल गया। जैसे ही दरवाजा खुला, उनके सामने एक अंधेरी गुफा जैसी जगह खुल गई। कमरे के बीचों-बीच एक पुराना लकड़ी का बक्सा रखा था, जो देखने में बहुत रहस्यमयी लग रहा था।


करण ने मजाकिया लहजे में कहा, "शायद इसमें कोई खजाना हो!" आर्यन ने बक्से की ओर बढ़ते हुए कहा, "देखते हैं क्या है इसके अंदर।" उसने बक्से का ढक्कन उठाया, और जैसे ही उसने ढक्कन खोला, हवेली की सारी बत्तियां अचानक जलने लगीं।


सभी चौंक गए, क्योंकि वहां कोई बिजली नहीं थी। बक्से के अंदर एक पुरानी किताब रखी थी। किताब पर धूल जमी हुई थी, और उसके ऊपर कुछ अजीब चिह्न बने हुए थे। आर्यन ने किताब को उठाने के लिए हाथ बढ़ाया, तभी हवेली में ज़ोर की हंसी गूंजने लगी।


अब तक आर्यन भी डरने लगा था। उन्होंने किताब को हाथ नहीं लगाया और भागने का फैसला किया। सभी जल्दी से बाहर की ओर भागे, लेकिन जैसे ही वे दरवाजे के पास पहुंचे, दरवाजा अपने आप बंद हो गया। उन्हें लगने लगा कि हवेली में कुछ गड़बड़ है।


मोहित ने डरते हुए कहा, "हमें यहां से जल्दी निकलना होगा।" निशा की आंखों में आंसू थे। वह दरवाजे को खोलने की कोशिश कर रही थी, लेकिन दरवाजा नहीं खुल रहा था। तभी अचानक से हवेली की सारी खिड़कियां भी जोर से बंद हो गईं।


अब उनकी हालत गंभीर हो गई थी। आर्यन ने चिल्लाकर कहा, "कोई है? हमें बाहर जाने दो!" लेकिन कोई जवाब नहीं आया। हवेली की दीवारों पर हलचल होने लगी, जैसे वहां किसी की परछाईं चल रही हो। करण ने कहा, "ये जगह शापित है। हमने गलती कर दी।"


आखिरकार, उन्होंने सोचा कि उन्हें किसी तरह हवेली से बाहर निकलने का रास्ता खोजना होगा। तभी निशा को दीवार पर एक छोटा सा दरवाजा दिखाई दिया। वह दौड़कर उस दरवाजे की ओर गई और उसे धक्का दिया। दरवाजा खुल गया, और वे सब एक छोटे से रास्ते से होकर बाहर निकलने में कामयाब हो गए।


जैसे ही वे हवेली के बाहर पहुंचे, उन्हें ऐसा लगा जैसे किसी ने उनकी पीठ से भारी बोझ हटा लिया हो। हवेली अब पीछे छूट चुकी थी, लेकिन उसके अंदर जो डरावनी ताकत थी, वह उनके दिलों में गहरी छाप छोड़ गई। आर्यन ने गहरी सांस ली और कहा, "शायद गांव वालों की कहानियां सच थीं। हमें इस हवेली में दोबारा कभी नहीं जाना चाहिए।"


वे सब वापस गांव की ओर चल पड़े, लेकिन उस रात का डर हमेशा उनके दिलों में बसा रहा। हवेली के बारे में उनके विचार हमेशा के लिए बदल गए थे। अब वे जानते थे कि कुछ रहस्य ऐसे होते हैं, जिन्हें खुला छोड़ देना ही बेहतर होता है।


अंधेरी रात खत्म हो चुकी थी, लेकिन हवेली के अंदर की कहानी शायद कभी खत्म नहीं होगी।



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