“सच्चा दोस्त” हिंदी शिक्षाप्रद कहानी / Saccha Dost Hindi Story
Sachcha Dost Hindi Kahani / Shikshaprad Kahaniya / हिंदी कहानी सच्चा दोस्त।
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| सच्चा दोस्त |
सच्चा दोस्त:
छोटे से गाँव सुखपुर में एक प्यारा-सा लड़का रहता था। उसका नाम मोहित था। मोहित लगभग दस साल का था। उसकी आँखों में हमेशा चमक रहती और चेहरे पर मासूम-सी मुस्कान। मोहित पढ़ाई में ठीक-ठाक था, लेकिन उसे खेलने-कूदने और नए दोस्त बनाने में बहुत मज़ा आता था।
मोहित के माता-पिता मेहनती किसान थे। वे सुबह से शाम तक खेतों में काम करते। मोहित स्कूल जाने से पहले अपनी माँ की मदद करता और शाम को पिताजी के साथ खेत देखने चला जाता। उसे गाँव का जीवन बहुत अच्छा लगता था।
नए बच्चे का आगमन:
एक दिन गाँव में एक नया परिवार आकर बस गया। उनके साथ एक लड़का भी था, जिसका नाम राजू था। राजू भी मोहित की ही उम्र का था, लेकिन वह बहुत चुप-चाप रहता था। वह किसी से ज़्यादा बात नहीं करता और अक्सर अकेले बैठा रहता।
अगले दिन जब मोहित स्कूल पहुँचा, तो उसने देखा कि राजू उसकी ही कक्षा में नया छात्र है। अध्यापक ने सब बच्चों से कहा—
“बच्चो, आज से राजू हमारे स्कूल में पढ़ेगा। इसे नया समझकर सब दोस्ती से पेश आना।”
सब बच्चों ने “जी सर” कहा, लेकिन जैसे ही अध्यापक बाहर गए, कुछ बच्चे राजू को अजीब-सी नज़रों से देखने लगे।
पहली दोस्ती:
लंच के समय मोहित ने देखा कि राजू अकेला बैठकर अपना टिफिन खा रहा है। कोई भी उसके पास नहीं बैठा था। मोहित को यह अच्छा नहीं लगा। वह अपना टिफिन लेकर राजू के पास गया।
“क्या मैं तुम्हारे पास बैठ सकता हूँ?” मोहित ने मुस्कुराते हुए पूछा।
राजू थोड़ा घबरा गया, फिर धीरे से बोला, “हाँ… बैठ सकते हो।”
मोहित बैठ गया और बोला, “मेरा नाम मोहित है। तुम्हारा नाम तो राजू है न?”
राजू ने सिर हिलाया।
“तुम बहुत कम बोलते हो,” मोहित हँसते हुए बोला, “लेकिन दोस्त बनने के लिए ज़्यादा बोलना ज़रूरी नहीं।”
राजू पहली बार हल्का-सा मुस्कुराया।
गहरी होती दोस्ती
धीरे-धीरे मोहित और राजू अच्छे दोस्त बन गए। मोहित राजू को गाँव घुमाने ले जाता, उसे खेल सिखाता और स्कूल की बातें समझाता। राजू भी अब खुलने लगा था।
एक दिन मोहित ने पूछा,
“राजू, तुम पहले इतने चुप क्यों रहते थे?”
राजू ने उदास होकर कहा,
“मेरे पुराने स्कूल में कुछ बच्चे मेरा मज़ाक उड़ाते थे। इसलिए मुझे डर लगता है।”
मोहित ने उसका कंधा थपथपाया,
“डरो मत। मैं तुम्हारा दोस्त हूँ। कोई कुछ कहे तो पहले मुझसे बात करेगा।”
राजू की आँखों में खुशी के आँसू आ गए।
मुसीबत का समय:
एक दिन गाँव में मेले का आयोजन हुआ। सभी बच्चे बहुत खुश थे। मेले में झूले, खिलौने, मिठाइयाँ और खेल थे। मोहित और राजू भी साथ-साथ मेले में घूम रहे थे।
अचानक भीड़ में राजू कहीं खो गया। मोहित ने इधर-उधर देखा, लेकिन राजू दिखाई नहीं दिया। वह घबरा गया।
“राजू! राजू!” वह ज़ोर-ज़ोर से पुकारने लगा।
कुछ बच्चे बोले,
“अरे छोड़ो, वह खुद आ जाएगा।”
लेकिन मोहित ने कहा,
“नहीं, वह मेरा दोस्त है। मैं उसे ढूँढे बिना नहीं जाऊँगा।”
मोहित पूरी भीड़ में राजू को ढूँढता रहा। काफी देर बाद उसने देखा कि राजू एक कोने में बैठा रो रहा है।
मोहित दौड़कर उसके पास गया,
“राजू! तुम यहाँ हो। मैं कितना डर गया था।”
राजू बोला,
“मैं रास्ता भूल गया था। मुझे लगा तुम मुझे छोड़कर चले गए।”
मोहित ने उसका हाथ पकड़ा,
“सच्चा दोस्त कभी दोस्त को अकेला नहीं छोड़ता।”
सच्चाई की परीक्षा:
कुछ दिनों बाद स्कूल में परीक्षा हुई। परीक्षा के दिन राजू बहुत परेशान था। उसने मोहित से कहा,
“मोहित, मुझे गणित ठीक से नहीं आती। अगर मैं फेल हो गया तो पापा नाराज़ हो जाएँगे।”
मोहित बोला,
“परेशान मत हो। जो आता है वही लिखना। नकल करना गलत है।”
परीक्षा के समय राजू ने मोहित की कॉपी देखने की कोशिश की। मोहित ने धीरे से कहा,
“नहीं राजू, यह गलत है। दोस्त वही होता है जो गलत काम से रोके।”
राजू को अपनी गलती समझ आ गई। उसने सिर झुका लिया और अपनी कॉपी में खुद लिखा।
सच्चे दोस्त का फल:
जब परीक्षा का परिणाम आया, तो राजू पास हो गया। उसे बहुत खुशी हुई। वह दौड़कर मोहित के पास आया।
“मोहित, मैं पास हो गया! अगर तुम उस दिन मुझे न समझाते तो मैं गलत रास्ते पर चला जाता।”
मोहित हँसते हुए बोला,
“देखा, सच्चाई का फल मीठा होता है।”
अब पूरे स्कूल में उनकी दोस्ती की मिसाल दी जाने लगी। अध्यापक भी कहते—
“मोहित और राजू से सीखो। यही सच्ची दोस्ती है।”
अंतिम सीख:
समय बीतता गया। मोहित और राजू और भी पक्के दोस्त बन गए। वे एक-दूसरे की मदद करते, साथ पढ़ते और साथ खेलते।
राजू अब बिल्कुल नहीं डरता था, क्योंकि उसे पता था कि उसका एक सच्चा दोस्त हमेशा उसके साथ है।
कहानी की सीख:
👉 सच्चा दोस्त वही होता है जो मुसीबत में साथ दे।
👉 जो गलत काम से रोके और
सही रास्ता दिखाए।
👉 दोस्ती विश्वास, सच्चाई और प्रेम पर टिकी होती है।

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