“गले मढ़ना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Gale Madhana Meaning In Hindi

 

Gale Madhana Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / गले मढ़ना मुहावरे का क्या मतलब होता है?



मुहावरा- “गले मढ़ना”।

(Muhavara- Gale Madhana)


अर्थ- किसी को ज़बरदस्ती कोई काम, ज़िम्मेदारी, दोष या बोझ सौंप देना।

(Arth/Meaning in Hindi- Kisi Ko Jabardasti Koi Kam, Jimmedari, Dosh Ya Bojh Saup Dena)



“गले मढ़ना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार हैं


परिचय:

हिंदी भाषा में मुहावरों का विशेष स्थान है। मुहावरे भाषा को रोचक, प्रभावशाली और भावपूर्ण बनाते हैं। कम शब्दों में गहरी बात कह देना मुहावरों की सबसे बड़ी विशेषता है। ऐसा ही एक प्रचलित और अर्थपूर्ण मुहावरा है — “गले मढ़ना”। यह मुहावरा दैनिक बोलचाल, साहित्य, समाचारों और सामाजिक चर्चाओं में खूब प्रयोग किया जाता है।


मुहावरे का शाब्दिक अर्थ:

“गले मढ़ना” का शाब्दिक अर्थ होता है — किसी वस्तु या भार को किसी के गले पर डाल देना। यहाँ ‘गला’ शरीर का वह भाग है जिस पर यदि कोई भारी वस्तु डाल दी जाए तो व्यक्ति असहज महसूस करता है। लेकिन मुहावरे के रूप में इसका अर्थ शाब्दिक नहीं बल्कि भावात्मक होता है।


“गले मढ़ना” का भावार्थ है:

अपनी गलती, दोष, जिम्मेदारी या अपराध को किसी और के सिर थोप देना।

जब कोई व्यक्ति स्वयं की भूल स्वीकार करने के बजाय उसे किसी निर्दोष या कमजोर व्यक्ति पर डाल देता है, तब कहा जाता है कि उसने अपनी गलती दूसरे के गले मढ़ दी।


मुहावरे की व्याख्या:

मानव स्वभाव में यह देखा गया है कि अधिकांश लोग अपनी गलतियों को स्वीकार करने से बचते हैं। गलती मान लेने से अपमान, दंड या आलोचना का भय रहता है। इसी भय के कारण कुछ लोग चतुराई या कपट से अपने दोष दूसरों पर डाल देते हैं। यही प्रवृत्ति “गले मढ़ना” मुहावरे के माध्यम से व्यक्त की जाती है।

उदाहरण के लिए, यदि कार्यालय में कोई महत्वपूर्ण फाइल गुम हो जाए और उसका वास्तविक जिम्मेदार कर्मचारी अपनी गलती मानने के बजाय किसी नए या कनिष्ठ कर्मचारी पर दोष डाल दे, तो कहा जाएगा कि उसने अपनी गलती उस कर्मचारी के गले मढ़ दी।

यह मुहावरा केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और पारिवारिक संदर्भों में भी खूब प्रयुक्त होता है। राजनीति में नेता अपनी नाकामियों का दोष पूर्व सरकार, अधिकारियों या जनता पर मढ़ देते हैं। पारिवारिक जीवन में भी कई बार घर के बड़े सदस्य अपनी भूल बच्चों या बहुओं के गले मढ़ देते हैं।


साहित्य और समाज में प्रयोग:

हिंदी साहित्य में इस मुहावरे का प्रयोग पात्रों के चरित्र को उजागर करने के लिए किया जाता है। नकारात्मक पात्र अक्सर अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए दूसरों पर दोषारोपण करते हैं। वहीं सकारात्मक पात्र अपनी गलती स्वीकार करते हैं, जिससे उनके चरित्र की महानता प्रकट होती है।

समाज में “गले मढ़ना” जैसी प्रवृत्ति नैतिक पतन का संकेत मानी जाती है। यह विश्वास, संबंधों और सामाजिक संतुलन को बिगाड़ देती है। जिस समाज में लोग जिम्मेदारी लेने से बचते हैं और दोष दूसरों पर डालते हैं, वहाँ आपसी विश्वास कमजोर हो जाता है।


मनोवैज्ञानिक पक्ष:

मनोविज्ञान के अनुसार, अपनी गलती को स्वीकार करना साहस और आत्मविश्वास का परिचायक है। जो व्यक्ति अपनी गलती दूसरों के गले मढ़ता है, वह अक्सर असुरक्षा, भय या अहंकार से ग्रस्त होता है। यह मुहावरा ऐसे व्यक्तियों की मानसिकता को भी उजागर करता है, जो स्वयं को हमेशा सही साबित करना चाहते हैं।


“गले मढ़ना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Gale Madhana Muhavare Ka Vakya Prayog.


1. गलती खुद की थी, लेकिन उसने सारा दोष मेरे गले मढ़ दिया।

2. हार के बाद कप्तान ने अपनी नाकामी टीम के गले मढ़ दी।

3. चोरी पकड़ी जाने पर वह अपराध नौकर के गले मढ़ने लगा।

4. शिक्षक की गलती बच्चों के गले मढ़ना बिल्कुल गलत है।

5. उसने अपनी लापरवाही का आरोप साथी के गले मढ़ दिया।

6. अफसर ने फाइल गुम होने का दोष क्लर्क के गले मढ़ दिया।

7. परीक्षा में असफल होकर वह किस्मत के गले मढ़ने लगा।

8. झगड़े की शुरुआत उसी ने की थी, फिर भी आरोप दूसरों के गले मढ़ दिए।

9. नेता अपनी विफलताओं को पिछली सरकार के गले मढ़ते रहते हैं।

10. अपनी भूल स्वीकार करने के बजाय वह दूसरों के गले मढ़ देता है।

11. गलत फैसला लेकर उसने परिणाम कर्मचारियों के गले मढ़ दिए।

12. अपराध खुद किया और सजा किसी और के गले मढ़ दी।

13. कमजोर व्यक्ति के गले मढ़ना आसान होता है।

14. घर का नुकसान बच्चों के गले मढ़ देना समझदारी नहीं है।

15. उसने पूरे मामले की जिम्मेदारी मित्र के गले मढ़ दी।

16. दुर्घटना के लिए चालक ने सड़क के गले मढ़ दिया।

17. अपनी नाकामी दूसरों के गले मढ़ना कायरता है।

18. प्रबंधक ने परियोजना की विफलता टीम के गले मढ़ दी।

19. वह हमेशा अपनी गलतियों का दोष हालात के गले मढ़ देता है।

20. सच्चा इंसान कभी अपनी गलती किसी और के गले मढ़ता नहीं है।

21. झूठ पकड़े जाने पर उसने कहानी किसी और के गले मढ़ दी।

22. पिता ने अपनी गलती बेटे के गले मढ़ दी, यह उचित नहीं था।

23. अदालत में आरोपी ने अपराध साथी के गले मढ़ने की कोशिश की।

24. अपनी जिम्मेदारी दूसरों के गले मढ़ना अच्छी आदत नहीं है।

25. उसने सारा दोष परिस्थितियों के गले मढ़ दिया।

26. अपनी हार को वह रेफरी के गले मढ़ने लगा।

27. काम बिगड़ने पर वह हर बार किसी न किसी के गले मढ़ देता है।

28. गलत रिपोर्ट का दोष पत्रकार के गले मढ़ दिया गया।

29. अपनी असफलता को समय के गले मढ़ देना आसान होता है।

30. गलती मानने के बजाय लोग अक्सर उसे दूसरों के गले मढ़ देते हैं।


निष्कर्ष:

“गले मढ़ना” मुहावरा मानव स्वभाव की एक नकारात्मक प्रवृत्ति को उजागर करता है। यह हमें सिखाता है कि दोषारोपण की प्रवृत्ति समाज के लिए हानिकारक है। सच्चा और जिम्मेदार व्यक्ति वही होता है जो अपनी गलती स्वीकार करे और उसे सुधारने का प्रयास करे। हिंदी भाषा का यह मुहावरा न के

वल भाषा को समृद्ध बनाता है, बल्कि हमें नैतिक मूल्यों की भी सीख देता है।




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