“गरम होना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Garam Hona Meaning In Hindi

 

Garam Hona Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / गरम होना मुहावरे का क्या मतलब होता है?


मुहावरा- “गरम होना”।

(Muhavara- Garam Hona)


अर्थ: क्रोधित होना, गुस्सा आना, आवेश में आना या किसी बात पर उत्तेजित हो जाना।

(Arth/Meaning in Hindi- Krodhit Hona, Gussa Ana, Avesh Me Ana Ya Kisi Bat Par Uttejit Ho Jana)


“गरम होना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


परिचय:

हिन्दी भाषा में मुहावरों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। मुहावरे न केवल भाषा को सजीव और प्रभावशाली बनाते हैं, बल्कि वे भावनाओं, विचारों और परिस्थितियों को अत्यंत संक्षिप्त तथा सटीक ढंग से व्यक्त करने का माध्यम भी हैं। “गरम होना” ऐसा ही एक प्रचलित मुहावरा है, जो मनुष्य के क्रोध, आवेश या मानसिक उत्तेजना की स्थिति को प्रकट करता है। यह मुहावरा रोज़मर्रा की बोलचाल से लेकर साहित्यिक रचनाओं तक, हर स्तर पर प्रयुक्त होता है।


अर्थ और व्याख्या:

“गरम होना” मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है, किसी वस्तु का तापमान बढ़ जाना। जैसे पानी गरम होता है, या आग गरम होती है। किंतु जब यही शब्द मुहावरे के रूप में प्रयुक्त होता है, तो इसका भावार्थ होता है क्रोध आना या गुस्से में आ जाना। अर्थात, जब किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति शांत न रहकर उत्तेजित या क्रोधयुक्त हो जाती है, तो कहा जाता है कि वह “गरम हो गया” या “गरम हो रही है”।

उदाहरण के लिए-

1. मास्टर जी छात्रों की शरारत देखकर गरम हो गए।

2. पिता जी मेरे देर से घर आने पर गरम हो गए।

3. वह बात-बात पर गरम हो जाता है।

इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि “गरम होना” का प्रयोग उस स्थिति के लिए किया जाता है, जब व्यक्ति अपनी मानसिक शांति खो देता है और क्रोध के प्रभाव में आ जाता है।

भावार्थ और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से विश्लेषण:

मानव स्वभाव में क्रोध एक सामान्य भावना है। जब कोई व्यक्ति अपनी इच्छा के विपरीत कोई घटना घटित होते देखता है, या कोई व्यक्ति उसकी भावनाओं को ठेस पहुँचाता है, तब उसके भीतर असंतोष उत्पन्न होता है और वह असंतोष धीरे-धीरे क्रोध में बदल जाता है। यही स्थिति “गरम होना” कहलाती है।

इस मुहावरे में “गरम” शब्द केवल ताप का प्रतीक नहीं, बल्कि भावनात्मक ऊष्मा का भी प्रतीक है। जैसे किसी पदार्थ को गरम करने पर वह उबलने लगता है, वैसे ही मनुष्य जब किसी बात से उत्तेजित होता है, तो उसका संयम टूट जाता है और वह “गरम” यानी क्रोधित हो जाता है।


सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ:

भारतीय समाज में संयम, शांति और सहनशीलता को श्रेष्ठ गुण माना गया है। अतः “गरम होना” सामान्यतः एक नकारात्मक प्रवृत्ति समझी जाती है। किसी व्यक्ति को अगर “जल्दी गरम होने वाला” कहा जाए, तो इसका अर्थ होता है कि वह व्यक्ति जल्द ही अपना धैर्य खो देता है।

परंतु, कुछ परिस्थितियों में “गरम होना” उचित भी माना जाता है। उदाहरण के लिए, अन्याय या अत्याचार के विरुद्ध गरम होना एक सकारात्मक प्रतिक्रिया है। जब किसी के भीतर धर्म, सत्य और न्याय की रक्षा का भाव जागृत होता है, तो उसका “गरम होना” समाज के लिए हितकारी हो सकता है। जैसे-

“स्वामी विवेकानंद अन्याय देखकर गरम हो उठते थे।”

यहाँ “गरम होना” का अर्थ है, उत्साह और जोश से भर जाना, जो कि एक सकारात्मक रूप है।


नैतिक शिक्षा:

“गरम होना” एक स्वाभाविक मानवीय गुण है, परंतु यदि व्यक्ति इस पर नियंत्रण न रखे तो यह उसके संबंधों, कार्यों और निर्णयों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि व्यक्ति अपने क्रोध को संयम और विवेक से नियंत्रित करे। कहा भी गया है,

“क्रोध में किया गया कार्य सदैव पश्चाताप का कारण बनता है।”

इसलिए, जीवन में सफलता पाने और अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए व्यक्ति को “गरम होने” की प्रवृत्ति से बचना चाहिए और शांत चित्त रहकर हर परिस्थिति का सामना करना चाहिए।


“गरम होना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Garam Hona Muhavare Ka Vakya Prayog. 


1. पिता जी मेरी गलती पर बहुत गरम हो गए।

2. मास्टर जी बच्चों की शरारत देखकर गरम हो उठे।

3. वह ज़रा-सी बात पर ही गरम हो जाता है।

4. मीटिंग में मैनेजर कर्मचारियों पर गरम हो गए।

5. बहस के दौरान दोनों पक्ष गरम हो गए।

6. माँ रसोई में बिखराव देखकर गरम हो उठीं।

7. पुलिसवाला नियम तोड़ने वालों पर गरम हो गया।

8. मेरे मज़ाक पर वह बेवजह गरम हो गया।

9. भाई का स्वभाव ऐसा है कि वह जल्दी गरम हो जाता है।

10. प्रधान जी गाँव की लापरवाही देखकर गरम पड़ गए।

11. खिलाड़ी अंपायर के फ़ैसले पर गरम हो उठा।

12. बॉस की डांट सुनकर सबके चेहरे गरम हो गए।

13. अनुशासन तोड़ने पर कोच गरम हो गए।

14. दोस्त की बात से वह इतना गरम हो गया कि चिल्लाने लगा।

15. भीड़ के उकसाने पर लोग गरम हो उठे।

16. बच्चों की गलती पर माँ को गरम होना पड़ा।

17. नेता मंच पर सवाल सुनकर गरम हो गए।

18. बात का रुख बिगड़ते ही माहौल गरम हो गया।

19. दुकानदार से झगड़ा हुआ तो ग्राहक गरम पड़ गया।

20. छोटी-छोटी बातों पर गरम होना ठीक नहीं है।

21. दादी ने समझाया कि हर बात पर गरम नहीं होना चाहिए।

22. परीक्षा में नकल देखकर निरीक्षक गरम हो गया।

23. कार्यस्थल पर अनुशासन तोड़ने पर अधिकारी गरम हो गए।

24. पिताजी मेरी देरी पर गरम हो उठे, पर बाद में शांत हो गए।

25. टीचर की चेतावनी के बाद छात्र गरम नहीं हुए और शांत रहे।

26. भाई ने जब सच बताया, तो पापा का दिल गरम हो गया।

27. मुझे देखकर वह पहले तो गरम हुआ, फिर मुस्कुराने लगा।

28. ट्रैफिक जाम में फँसे लोग धीरे-धीरे गरम हो उठे।

29. बहन की बात सुनकर माँ गरम पड़ गईं, पर बाद में समझ गईं।

30. कोई समझदार व्यक्ति हर छोटी बात पर गरम नहीं होता, बल्कि धैर्य रखता है।


निष्कर्ष:

“गरम होना” मुहावरा हिन्दी भाषा का अत्यंत सजीव और सारगर्भित मुहावरा है, जो मानव मन की उस अवस्था को दर्शाता है जब व्यक्ति क्रोध या उत्तेजना से भर उठता है। इसका प्रयोग प्रायः नकारात्मक अर्थ में होता है, परंतु कभी-कभी यह सकारात्मक उत्साह और जोश का भी प्रतीक बन जाता है।

इस मुहावरे से हमें यह शिक्षा मिलती है कि क्रोध करना सहज है, पर उसे नियंत्रित करना ही वास्तविक बुद्धिमत्ता है।

इस प्रकार, “गरम होना” केवल एक मुहावरा नहीं, बल्कि मानव स्वभाव की गहराई को व्यक्त करने वाला एक जीवंत भाषाई प्रतीक है।

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