आयात क्या होता है? / What Is The Meaning Of Import In Hindi
- Get link
- X
- Other Apps
Aayat Kya Hota Hai / आयात करना किसे कहते है?
आयात (Import) का अर्थ:
किसी देश द्वारा विदेश से वस्तुएँ या सेवाएँ खरीदना या उन्हें अपने देश में मंगवाना।
सरल शब्दों में कहा जाए तो जब कोई देश दूसरे देश से आवश्यक वस्तुएँ, कच्चा माल या सेवाएँ खरीदकर अपने देश में लाता है, तो उस क्रिया को आयात कहा जाता है।
आयात की परिभाषा:
आयात वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत कोई देश अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ या सेवाएँ विदेशी देशों से मँगवाकर उनके बदले विदेशी मुद्रा का भुगतान करता है।
उदाहरण:
भारत जब सऊदी अरब से कच्चा तेल (Crude Oil) या अमेरिका से मशीनरी खरीदता है, तो यह भारत का आयात कहलाता है।
आयात के प्रकार:
आयात को सामान्यतः तीन प्रमुख श्रेणियों में बाँटा जा सकता है —
1.प्रत्यक्ष आयात (Direct Import)
जब खरीदार (देश या कंपनी) सीधे विदेशी विक्रेता से वस्तु खरीदता है।
उदाहरण: भारत की एक कंपनी सीधे जर्मनी से मशीनरी खरीदती है।
2.अप्रत्यक्ष आयात (Indirect Import)
जब विदेशी वस्तु किसी मध्यस्थ एजेंट या व्यापारी के माध्यम से खरीदी जाती है।
उदाहरण: भारत का व्यापारी किसी विदेशी एजेंसी से सामान मँगवाता है।
3.सेवा आयात (Service Import)
जब कोई देश विदेशी सेवाएँ खरीदता है — जैसे तकनीकी सलाह, बैंकिंग, या सॉफ्टवेयर सेवाएँ।
उदाहरण: भारत द्वारा अमेरिका की सॉफ्टवेयर कंपनी से तकनीकी सेवा लेना।
आयात के उद्देश्य:
किसी देश द्वारा आयात करने के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं —
1.आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति
देश में जिन वस्तुओं का उत्पादन नहीं होता या कम मात्रा में होता है, उन्हें विदेश से मँगाया जाता है।
जैसे — पेट्रोलियम, इलेक्ट्रॉनिक चिप्स, मशीनरी आदि।
2.तकनीकी विकास
उन्नत देशों से नई तकनीकें और उपकरण आयात करके देश अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाता है।
3.उद्योगों के लिए कच्चा माल प्राप्त करना
कई उद्योगों को उत्पादन के लिए कच्चे माल की आवश्यकता होती है, जो विदेशी स्रोतों से आता है।
4.उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं की पूर्ति
विदेशी ब्रांडों या वस्तुओं की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए आयात किया जाता है।
5.अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संबंध मजबूत करना
आयात-निर्यात के माध्यम से देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक संबंध मजबूत होते हैं।
आयात की प्रक्रिया:
आयात एक निश्चित कानूनी और वाणिज्यिक प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है। इसमें प्रमुख चरण हैं —
1.विदेशी विक्रेता की खोज
खरीदार यह तय करता है कि किस देश या कंपनी से वस्तु खरीदी जाए।
2.ऑर्डर देना और अनुबंध करना (Import Order)
मूल्य, मात्रा, पैकिंग, डिलीवरी आदि की शर्तें तय की जाती हैं।
3.विदेशी मुद्रा की व्यवस्था
आयातक को भुगतान विदेशी मुद्रा में करना पड़ता है, जिसके लिए केंद्रीय बैंक की अनुमति आवश्यक होती है।
4.शिपमेंट और कस्टम प्रक्रिया
विदेशी विक्रेता वस्तु भेजता है, और भारतीय बंदरगाह पर कस्टम जाँच के बाद वस्तु प्राप्त की जाती है।
5.भुगतान और वितरण
खरीदार भुगतान करता है और वस्तु घरेलू बाजार में बेची या उपयोग की जाती है।
आयात के लाभ:
1.देश की आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति
2.नई तकनीक और ज्ञान का आगमन
3.उद्योगों के लिए कच्चे माल की उपलब्धता
4.उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प
5.अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संबंधों में वृद्धि
आयात के दुष्प्रभाव:
हालाँकि आयात के लाभ हैं, लेकिन कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं —
1.विदेशी वस्तुओं पर अत्यधिक निर्भरता
2.घरेलू उद्योगों को प्रतिस्पर्धा का सामना
3.विदेशी मुद्रा भंडार में कमी
4.व्यापार संतुलन में घाटा (यदि आयात निर्यात से अधिक हो जाए)
भारत के प्रमुख आयातित उत्पाद:
भारत मुख्यतः निम्नलिखित वस्तुएँ विदेशों से आयात करता है —
1.कच्चा तेल (Crude Oil)
2.सोना और चाँदी
3.इलेक्ट्रॉनिक उपकरण
4.मशीनरी और रसायन
5.उर्वरक
5.औद्योगिक कच्चा माल
निष्कर्ष:
आयात किसी देश की आर्थिक आवश्यकता और विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
जहाँ एक ओर यह देश को तकनीकी, औद्योगिक और उपभोक्ता दृष्टि से लाभ पहुँचाता है, वहीं अत्यधिक आयात से देश की विदेशी मुद्रा पर दबाव बढ़ सकता है।
इसलिए किसी भी देश को अपने आयात और निर्यात के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए ताकि आर्थिक स्थिरता बनी रहे।
- Get link
- X
- Other Apps
Comments
Post a Comment