निर्यात किसे कहते हैं? / What Is The Meaning Of Export In Hindi
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Niryat Kya Hota Hai / निर्यात करना किसे कहते हैं?
निर्यात (Export) का अर्थ:
किसी देश में उत्पादित वस्तुओं या सेवाओं को दूसरे देश में बेचना या भेजना। सरल शब्दों में कहा जाए तो जब कोई देश अपनी बनाई हुई वस्तुएँ, कच्चा माल या सेवाएँ किसी अन्य देश को बेचता है, तो उसे निर्यात कहा जाता है।
निर्यात की परिभाषा:
निर्यात वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत कोई देश अपनी वस्तुएँ या सेवाएँ विदेशी देशों को भेजकर उनसे विदेशी मुद्रा (Foreign Exchange) प्राप्त करता है।
उदाहरण के लिए — भारत से अमेरिका को दवाइयाँ, चाय, कपड़े या सॉफ़्टवेयर सेवाएँ भेजी जाती हैं, तो यह भारत का निर्यात कहलाता है।
निर्यात के प्रकार:
निर्यात को मुख्यतः तीन प्रकारों में बाँटा जा सकता है
1.प्रत्यक्ष निर्यात (Direct Export)
इसमें निर्माता स्वयं विदेशी खरीदार से संपर्क करके वस्तुएँ बेचता है। जैसे — कोई भारतीय कंपनी सीधे जापान को हैंडीक्राफ्ट बेचती है।
2.अप्रत्यक्ष निर्यात (Indirect Export)
इसमें निर्माता किसी एजेंट या व्यापारी के माध्यम से अपनी वस्तुएँ विदेश भेजता है। उदाहरण — कोई लघु उद्योग अपनी वस्तुएँ किसी निर्यातक संस्था को बेच देता है, जो आगे विदेश भेजती है।
3.सेवा निर्यात (Service Export)
इसमें वस्तुओं के बजाय सेवाएँ बेची जाती हैं। जैसे — भारतीय आईटी कंपनियाँ (TCS, Infosys) विदेशों में सॉफ़्टवेयर सेवाएँ देती हैं।
निर्यात के उद्देश्य:
निर्यात करने के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं —
1.विदेशी मुद्रा अर्जन करना
जिससे देश की आर्थिक स्थिति मज़बूत होती है।
2.अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहचान बनाना
जिससे देश की वस्तुओं की वैश्विक मांग बढ़ती है।
3.उद्योग और उत्पादन को बढ़ावा देना
निर्यात से उत्पादन बढ़ता है, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं।
4.व्यापार संतुलन में सुधार
यदि निर्यात आयात से अधिक हो तो देश का व्यापार संतुलन सकारात्मक रहता है।
5.तकनीकी उन्नति
निर्यात करने से विदेशी बाजार की प्रतिस्पर्धा में बने रहने हेतु गुणवत्ता और तकनीक में सुधार होता है।
निर्यात की प्रक्रिया:
निर्यात की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है —
1.विदेशी खरीदार की पहचान
निर्यातक पहले यह पता लगाता है कि कौन-सा देश और कौन-सा खरीदार उसकी वस्तु में रुचि रखता है।
2.ऑर्डर प्राप्त करना (Order/Contract)
खरीदार और विक्रेता के बीच एक अनुबंध होता है जिसमें मूल्य, मात्रा, समय आदि तय होते हैं।
3.वस्तुओं की तैयारी
अनुबंध के अनुसार वस्तुओं का उत्पादन या पैकिंग की जाती है।
4.शिपमेंट और कस्टम की प्रक्रिया
माल को बंदरगाह या हवाई अड्डे पर भेजकर सीमा शुल्क (Customs Duty) की औपचारिकताएँ पूरी की जाती हैं।
5.माल का प्रेषण (Shipment)
वस्तुएँ जहाज या हवाई जहाज द्वारा खरीदार के देश भेज दी जाती हैं।
6.भुगतान प्राप्ति (Payment)
खरीदार से भुगतान विदेशी मुद्रा में प्राप्त किया जाता है।
निर्यात के लाभ:
1.विदेशी मुद्रा की प्राप्ति
2.रोजगार सृजन
3.उत्पादन और औद्योगिक विकास
4.अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सुधार
5.तकनीकी ज्ञान और प्रबंधन में उन्नति
भारत में निर्यात के प्रमुख उत्पाद:
भारत निम्नलिखित वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात करता है —
1.पेट्रोलियम उत्पाद
2.रत्न और आभूषण
3.दवाइयाँ
4.वस्त्र और परिधान
5.कृषि उत्पाद (चाय, कॉफी, मसाले)
6.सॉफ्टवेयर सेवाएँ और आईटी समाधान
निष्कर्ष:
निर्यात किसी भी देश की आर्थिक प्रगति की रीढ़ होता है। इससे देश की उत्पादन क्षमता, विदेशी मुद्रा भंडार और वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ती है। निर्यात न केवल व्यापारिक दृष्टि से बल्कि सा
माजिक और तकनीकी दृष्टि से भी देश को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाता है।
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