“खून सुखना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Khoon Sukhna Meaning In Hindi
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Khoon Sukhna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / खून सुखना मुहावरे का क्या मतलब होता है?
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| Khoon Sukhna |
मुहावरा- “खून सुखना”।
(Muhavara- Khoon Sukhna)
अर्थ- बहुत डर जाना / भय और आशंका के कारण हिम्मत टूट जाना ।
(Arth/Meaning in Hindi- Bahut Dar Jana / Bhay Aur Aashnka Ke Karan Himmat Tut Jana)
“खून सुखना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
परिचय:
हिन्दी भाषा की विशेषता उसकी मुहावरेदार शैली है। मुहावरे भाषा को न केवल जीवंत बनाते हैं, बल्कि भावों की तीव्रता को भी अधिक प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करते हैं। जब हम सीधे-सीधे किसी भावना को शब्दों में कहते हैं, तो उसका प्रभाव सीमित होता है, परन्तु वही बात यदि किसी मुहावरे के माध्यम से कही जाए तो पाठक या श्रोता के मन में गहरी छाप छोड़ती है। ऐसा ही एक लोकप्रिय मुहावरा है “खून सुखना”।
शाब्दिक अर्थ:
“खून सुखना” का सीधा अर्थ है – शरीर से रक्त का सूख जाना। लेकिन शरीर से रक्त का सूख जाना असम्भव है, इसलिए यह शाब्दिक अर्थ नहीं लिया जाता। यह मुहावरा भावनात्मक स्थिति को प्रकट करता है, जहाँ किसी व्यक्ति के मन में अत्यधिक भय, आशंका, घबराहट या चिन्ता इतनी तीव्र हो जाती है कि उसे लगता है मानो उसके शरीर का रक्त ही सूख गया हो।
भावार्थ:
इस मुहावरे का भावार्थ है –
अत्यधिक डर जाना।
भय और आशंका के कारण हिम्मत टूट जाना।
ऐसा मानसिक आघात लगना जिससे व्यक्ति की स्थिति बेहद दयनीय हो जाए।
जब कोई व्यक्ति किसी बड़ी दुर्घटना, अनहोनी या भयानक समाचार का सामना करता है, तो उसके चेहरे का रंग उड़ जाता है, शरीर ठंडा पड़ जाता है और वह निस्तेज दिखाई देता है। यही स्थिति “खून सुखना” कहलाती है।
व्याख्या:
मनुष्य का जीवन अनेक उतार-चढ़ावों से भरा होता है। कभी प्रसन्नता की अधिकता उसे उल्लासित कर देती है, तो कभी भय या संकट की अधिकता उसकी आत्मा को हिला देती है। भय का असर शरीर और मन दोनों पर गहरा पड़ता है। जब भय असहनीय हो जाता है, तब व्यक्ति के चेहरे का रंग पीला पड़ जाता है, हाथ-पाँव ठंडे हो जाते हैं और मन में यह अहसास होता है कि मानो शरीर का खून ही सूख गया हो।
उदाहरण के लिए –
1. यदि किसी विद्यार्थी को परीक्षा कक्ष में अचानक यह पता चले कि प्रश्नपत्र उसके बिल्कुल विपरीत आया है और तैयारी अधूरी है, तो वह भयभीत होकर कह सकता है – “यह प्रश्नपत्र देखकर तो मेरा तो खून ही सूख गया।”
2. किसी व्यक्ति ने रास्ते में भयंकर दुर्घटना होते देखी, तो उसकी हालत देखकर सहज कहा जा सकता है – “दुर्घटना का दृश्य देखकर उसका खून सुख गया।”
3. कभी-कभी चोरी, डकैती या भूत-प्रेत जैसी कल्पनाओं से भी लोग इतने डर जाते हैं कि मानो उनकी सारी शक्ति समाप्त हो जाती है।
इस प्रकार यह मुहावरा अत्यधिक भय और आतंक की मानसिक अवस्था को दर्शाता है।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण:
“खून सुखना” मुहावरे के पीछे गहरी मनोवैज्ञानिक सच्चाई छिपी है। जब व्यक्ति डरता है तो उसके शरीर में रक्त का प्रवाह असामान्य हो जाता है। हृदय तेजी से धड़कने लगता है, हाथ-पाँव सुन्न हो जाते हैं और शरीर में ठंडक का अनुभव होता है। इस स्थिति में चेहरे का रंग उड़ जाना स्वाभाविक है। यही अनुभव हमारे पूर्वजों ने भाषा के माध्यम से मुहावरे के रूप में प्रस्तुत किया।
साहित्यिक प्रयोग:
हिन्दी साहित्य में “खून सुखना” मुहावरे का प्रयोग कई लेखकों और कवियों ने किया है। विशेषकर कहानियों और उपन्यासों में जब पात्र किसी भयावह घटना का सामना करते हैं, तो लेखक उनकी मानसिक स्थिति को व्यक्त करने के लिए इस मुहावरे का उपयोग करता है। यह मुहावरा पात्र की मनोदशा को पाठक के सामने सजीव बना देता है।
नैतिक शिक्षा:
यह मुहावरा हमें यह भी सिखाता है कि भयभीत होना स्वाभाविक है, लेकिन भय पर काबू पाना आवश्यक है। यदि हर छोटी-बड़ी समस्या पर हमारा खून सूखने लगे तो हम जीवन में कोई बड़ा कार्य नहीं कर पाएंगे। इसलिए भय को साहस में बदलना ही सच्चे मनुष्य का धर्म है।
“खून सुखना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Khoon Sukhna Muhavare Ka Vakya Prayog.
1. भूतिया फिल्म देखते ही उसका खून सुख गया।
2. परीक्षा परिणाम का नाम सुनते ही विद्यार्थियों का खून सुख गया।
3. जंगल में शेर को सामने देखकर यात्रियों का खून सुख गया।
4. अचानक तेज धमाका सुनकर गाँववालों का खून सुख गया।
5. चोरी करते समय पुलिस देखकर चोर का खून सुख गया।
6. बाढ़ का पानी घर में घुसते ही परिवार का खून सुख गया।
7. ट्रेन दुर्घटना का दृश्य देखकर सबका खून सुख गया।
8. अंधेरी गली में संदिग्ध व्यक्ति दिखते ही उसका खून सुख गया।
9. डॉक्टर ने गंभीर बीमारी बताई तो रोगी का खून सुख गया।
10. रिजल्ट में नाम गायब देखकर छात्र का खून सुख गया।
11. बिजली गिरते ही खेत में काम कर रहे मजदूरों का खून सुख गया।
12. घर में अचानक सांप देखकर बच्चों का खून सुख गया।
13. भूकंप के झटके लगते ही लोगों का खून सुख गया।
14. हवाई जहाज में अचानक तेज झटका आने पर यात्रियों का खून सुख गया।
15. अजनबी से धमकी भरा फोन आते ही व्यापारी का खून सुख गया।
16. जंगल में रास्ता भटकते ही उनका खून सुख गया।
17. रात को दरवाज़े पर जोर की आहट सुनकर उसका खून सुख गया।
18. परीक्षा कक्ष में कठिन प्रश्नपत्र देखकर विद्यार्थियों का खून सुख गया।
19. ट्रेन छूट जाने का डर लगते ही यात्री का खून सुख गया।
20. डूबते बच्चे को देखकर माँ का खून सुख गया।
निष्कर्ष:
“खून सुखना” मुहावरा हिन्दी भाषा की भावसम्पन्नता और उसकी अभिव्यक्ति क्षमता का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मुहावरा न केवल भय की तीव्रता को व्यक्त करता है बल्कि मानवीय मनोविज्ञान का यथार्थ चित्र भी प्रस्तुत करता है। जब भी किसी व्यक्ति को असहनीय भय या घबराहट होती है, तब यह मुहावरा पूरी सजीवता के साथ उसकी मानसिक अवस्था को प्रकट करता है। इस प्रकार यह मुहावरा हमारे साहित्य और दैनिक जीवन दोनों में समान रूप से महत्त्वपूर्ण है।
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