“गुलर का फूल होना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Gular Ka Phool Hona Meaning In Hindi

 


Gular Ka Phul Hona Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / गुलर का फूल होमा मुहावरे का क्या मतलब है?


मुहावरा- “गुलर का फूल होना”।

(Muhavara- Gular Ka Phool Hona)


अर्थ- दिखाई न देना / दुर्लभ या असंभव घटना होना / विलक्षण घटना

(Arth/Meaning in Hindi- Dikhai N dena / Durlabh Ya Asambhav Ghatna Hona / Vilakshan Ghatna)

प्रयोग- आश्चर्य, विलक्षणता या दुर्लभता दिखाने के लिए


“गुलर का फूल होना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


परिचय:

हिन्दी भाषा के मुहावरे और लोकोक्तियाँ हमारी बोलचाल और साहित्य को जीवंत बनाती हैं। यह केवल शब्दों का मेल नहीं, बल्कि अनुभव, संस्कृति और जीवन दर्शन का सार होती हैं। “गुलर का फूल होना” ऐसा ही एक प्रसिद्ध मुहावरा है। इसे बोलचाल में किसी अत्यन्त दुर्लभ, असंभव या विलक्षण घटना के लिए कहा जाता है।


शब्दार्थ:

गुलर – यह बरगद और पीपल की तरह का एक बड़ा वृक्ष है। इसका फल अंजीर जैसा दिखाई देता है।

फूल होना – किसी वृक्ष पर फूल खिलना।

अब सवाल है कि गुलर का फूल क्यों नहीं देखा जाता। दरअसल, गुलर के पेड़ पर फूल तो आते हैं, लेकिन वे अंदर छिपे रहते हैं। बाहर की ओर कभी दिखाई नहीं देते। यही कारण है कि लोक में यह मान्यता बन गई कि “गुलर का फूल नहीं होता” या “गुलर का फूल मिलना दुर्लभ है।” इसी से यह मुहावरा जन्मा।


मुहावरे का सामान्य अर्थ:

“गुलर का फूल होना” का अर्थ होता है बहुत ही दुर्लभ, असंभव या अद्भुत घटना। जिस तरह गुलर के पेड़ पर फूल देख पाना लगभग असंभव है, उसी प्रकार किसी विशेष, विरल या अप्रत्याशित घटना के घटित होने पर लोग कहते हैं – “अरे, यह तो गुलर का फूल हो गया!”

उदाहरण:

“इतनी जल्दी इतना बड़ा पुरस्कार मिलना तो गुलर का फूल होना है।”

“उसका समय पर आना तो गुलर का फूल होना है।”


भावार्थ:

मुहावरा केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि समाज की दृष्टि और अनुभव का भी प्रतीक होता है। “गुलर का फूल होना” हमें यह बताता है कि कुछ घटनाएँ इतनी कम घटित होती हैं कि उनकी तुलना केवल अदृश्य या काल्पनिक चीज़ों से की जा सकती है।


सांस्कृतिक संदर्भ:

भारतीय ग्रामीण जीवन में गुलर के पेड़ आम हैं। लोग इसके फल देखते हैं, पर फूल कभी नहीं देखते। यही रहस्य या अद्भुतता लोककथाओं, कविताओं और मुहावरों में समाहित हो गई। लोकमान्यता में गुलर का फूल मिलना सौभाग्य या किसी चमत्कारिक घटना के समान माना जाता है। कई लोकगीतों और कहावतों में भी इसका उल्लेख आता है।


भाषा और प्रयोग:

इस मुहावरे का प्रयोग दो मुख्य स्थितियों में होता है –

1. दुर्लभता दिखाने के लिए – जब किसी घटना या व्यक्ति की तुलना असंभव से करनी हो।

जैसे: “इतने ईमानदार लोग आजकल मिलना तो गुलर का फूल होना है।”

2. आश्चर्य व्यक्त करने के लिए – जब कोई अप्रत्याशित काम हो जाए।

जैसे: “उसने बिना कहे ही मदद कर दी, यह तो गुलर का फूल है।”


मनोवैज्ञानिक पक्ष:

मानव स्वभाव दुर्लभ या रहस्यमय चीज़ों को लेकर आकर्षित रहता है। यह मुहावरा भी उसी मानसिकता का परिचायक है। जब हम कहते हैं “गुलर का फूल होना”, तो हम केवल दुर्लभता नहीं, बल्कि किसी अदृश्य चमत्कार या सौभाग्य की भावना भी जोड़ते हैं।


साहित्यिक प्रयोग:

हिन्दी के कई कवि और लेखक भी इस मुहावरे का प्रयोग करते हैं। इससे भाषा में मिठास और गहराई आती है। उदाहरण के लिए, किसी कहानी में अगर कोई पात्र लंबे समय बाद लौटकर आता है तो लेखक कह सकता है – “उसका लौट आना तो गुलर का फूल होना था।”


सामाजिक सीख:

यह मुहावरा हमें यह भी सिखाता है कि जीवन में कुछ चीज़ें इतनी दुर्लभ होती हैं कि हमें उनके होने पर आश्चर्य और कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए। साथ ही यह यह भी बताता है कि सब कुछ हमारे नियंत्रण में नहीं होता; कुछ चीज़ें स्वभावतः ही अद्भुत और दुर्लभ हैं।


आधुनिक संदर्भ:

आज के युग में भी “गुलर का फूल होना” उतना ही प्रासंगिक है। तकनीक, राजनीति, खेल या व्यक्तिगत जीवन – हर क्षेत्र में जब कोई असंभव-सा कार्य सफल होता है, लोग यह मुहावरा प्रयोग करते हैं।

जैसे:

“क्रिकेट मैच के आख़िरी ओवर में लगातार छह छक्के मारना तो गुलर का फूल होना है।”

“उसने बिना रिश्वत दिए सरकारी काम करवा लिया – यह तो गुलर का फूल हुआ।”


व्याख्या का सार:

मुहावरा: गुलर का फूल होना

शाब्दिक अर्थ: गुलर के पेड़ पर फूल खिलना (जो दिखता नहीं)

भावार्थ: अत्यन्त दुर्लभ या असंभव घटना होना

प्रयोग: किसी विलक्षण या अप्रत्याशित कार्य/घटना के लिए



“गुलर का फूल होना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Gular Ka Phool Hona Muhavare Ka Vakya Prayog 


1. गाँव के उस बूढ़े व्यक्ति की याददाश्त आज भी इतनी तेज है कि लोग हैरान रह जाते हैं; अस्सी साल की उम्र में बिना चश्मे के अखबार पढ़ लेना तो सचमुच गुलर का फूल होना है।

2. इतने बड़े शहर में बिना किसी पहचान के सरकारी दफ़्तर में काम तुरंत हो जाना किसी चमत्कार से कम नहीं, लोग कहते हैं यह तो गुलर का फूल होना है।

3. पुराने दोस्त से अचानक रेलवे स्टेशन पर मिल जाना और वह भी कई साल बाद; यह तो सच में गुलर का फूल होना ही है, ऐसा अक्सर नहीं होता।

4. इस कॉलेज में पढ़ाई तो अच्छी है लेकिन बिना दान दिए प्रवेश मिल जाना गुलर का फूल होना कहा जाता है क्योंकि सबको यही मुश्किल लगता है।

5. रामू ने पूरे गाँव को हैरान कर दिया जब उसने बिना किसी को बताए अपना बड़ा कर्ज चुका दिया; यह तो सच में गुलर का फूल होना लगा।

6. आज के समय में इतनी ईमानदारी से चुनाव लड़ना और जीतना लोगों के लिए गुलर का फूल होना है, इसलिए वे उम्मीदवार की तारीफ करते नहीं थकते।

7. इतने व्यस्त समय में अध्यापक का स्वयं घर आकर छात्र को पढ़ाना गाँव वालों को गुलर का फूल होना लगा क्योंकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।

8. नौकरी के पहले ही महीने में इतनी बड़ी पदोन्नति मिलना गुलर का फूल होना माना जाता है, इसलिए सबने उसकी किस्मत की सराहना की।

9. बिना तैयारी के प्रतियोगी परीक्षा में प्रथम आना उसके दोस्तों के लिए गुलर का फूल होना था, वे समझ ही नहीं पाए यह कैसे हुआ।

10. इतना बड़ा उद्योगपति अपने कर्मचारियों के घर जाकर हाल पूछे यह गाँव वालों को गुलर का फूल होना लगा क्योंकि बड़े लोग ऐसा कम ही करते हैं।

11. रेल विभाग का समय पर ट्रेन चलाना और गंतव्य पर सही समय पहुंचाना आजकल के यात्रियों को गुलर का फूल होना लगता है।

12. इतने सालों बाद भी उनका प्यार पहले जैसा गहरा और सच्चा है; यह उनके दोस्तों को गुलर का फूल होना लगता है क्योंकि आजकल रिश्ते जल्दी बदल जाते हैं।

13. बिना किसी सिफारिश के सरकारी अस्पताल में मुफ्त और अच्छा इलाज मिलना मरीज के परिवार को गुलर का फूल होना महसूस हुआ।

14. गाँव के छोटे लड़के ने अंतरराष्ट्रीय विज्ञान प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता; यह सभी शिक्षकों को गुलर का फूल होना लगा क्योंकि संसाधन बहुत कम थे।

15. बरसों से बंद पड़ा कुआँ अचानक पानी देने लगा; ग्रामीणों के लिए यह गुलर का फूल होना था क्योंकि वे उम्मीद छोड़ चुके थे।

16. पुलिस विभाग ने बिना रिश्वत लिए तुरंत एफआईआर दर्ज कर ली; शिकायतकर्ता ने इसे गुलर का फूल होना कहा क्योंकि आमतौर पर ऐसा अनुभव नहीं होता।

17. इतने सालों बाद अपने खोए हुए पालतू कुत्ते का वापस मिल जाना परिवार को गुलर का फूल होना लगा, उन्होंने सोचा यह चमत्कार है।

18. किसी सरकारी दफ्तर में अधिकारी का मुस्कुराकर स्वागत करना और काम करना आज के समय में गुलर का फूल होना माना जाता है।

19. उसके पिता का अचानक पुरानी बीमारी से पूरी तरह ठीक हो जाना परिवार के लिए गुलर का फूल होना था क्योंकि डॉक्टर भी आश्चर्यचकित रह गए।

20. बिना किसी विवाद के पंचायत चुनाव संपन्न हो जाना गाँववालों को गुलर का फूल होना लगा क्योंकि पहले हमेशा झगड़े होते थे।


निष्कर्ष:

“गुलर का फूल होना” केवल एक कहावत नहीं, बल्कि लोकजीवन की गहराई को व्यक्त करने वाला मुहावरा है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में कुछ घटनाएँ इतनी दुर्लभ होती हैं कि उनकी तुलना केवल काल्पनिक या छिपी हुई चीज़ों से ही की जा सकती है। जिस प्रकार गुलर के पेड़ पर फूल छिपे रहते हैं, उसी तरह कुछ घटनाएँ भी सामान्य जीवन में दिखाई नहीं देतीं, लेकिन जब घटित होती हैं तो आश्चर्यचकित कर देती हैं।



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