“गिरगिट की तरह रंग बदलना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Girgit Ki Tarah Rang Badalna Meaning In Hindi
Girgit Ki Tarah Rang Badalna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / गिरगिट की तरह रंग बदलना मुहावरे का क्या मतलब होता है?
मुहावरा- “गिरगिट की तरह रंग बदलना”।
(Muhavara- Girgit Ki Tarah Rang Badlna)
अर्थ- एक बात पर स्थिर न रहना / अवसरवादी होना / बातें बदलना / बार बार अपना सिद्धांत बदलना ।
(Arth/Meaning in Hindi- Ek Bat Par Sthir Na Rahna / Avsarvadi Hona / Batein Badlna / Bar Bar Apna Siddhant Badlna)
“गिरगिट की तरह रंग बदलना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
अर्थ:
इस मुहावरे का आशय है – व्यक्ति का परिस्थितियों या लाभ-हानि के अनुसार अपने विचार, आचरण, स्वभाव या पक्ष बदल लेना। यानी अवसर या परिस्थिति के हिसाब से अपनी पहचान और चरित्र में बदलाव करना। यह एक नकारात्मक गुण को प्रकट करता है, क्योंकि गिरगिट जिस तरह अपने वातावरण के अनुसार रंग बदलता है, उसी प्रकार ऐसे लोग अपने लाभ के लिए अपना रूप, व्यवहार या वचन बदल लेते हैं।
व्याख्या (विस्तार से):
मानव समाज में ऐसे अनेक लोग पाए जाते हैं जो स्थिर विचारधारा नहीं रखते। वे परिस्थितियों और स्वार्थ के हिसाब से अपना रूप, भाषा और विचार बदल लेते हैं। किसी के सामने कुछ और कहते हैं और पीछे हटकर उसके ठीक विपरीत बातें करने लगते हैं। ऐसे लोग भरोसे के योग्य नहीं माने जाते। इन्हें ही हिंदी के इस लोकप्रिय मुहावरे द्वारा संबोधित किया जाता है – “गिरगिट की तरह रंग बदलना”।
गिरगिट का प्राकृतिक गुण और मुहावरे का जन्म:
गिरगिट एक ऐसा जीव है जो अपनी त्वचा का रंग वातावरण के अनुसार बदल लेता है। यह उसकी प्राकृतिक रक्षात्मक क्षमता है। जंगल या झाड़ियों में रहने वाला गिरगिट दुश्मनों से बचने के लिए या शिकार पर अचानक झपटने के लिए अपने रंग को बदलकर अपने आसपास के वातावरण में घुल-मिल जाता है। यह क्रिया विज्ञान के स्तर पर तो अद्भुत है, लेकिन समाज ने इसे एक प्रतीकात्मक अर्थ में ले लिया। जब इंसान अपने विचार या व्यवहार बदलकर किसी को धोखा देता है या स्वार्थ साधता है, तो उसकी तुलना गिरगिट से की जाती है।
विश्वासघात और अवसरवादिता:
“गिरगिट की तरह रंग बदलना” इस बात को भी दर्शाता है कि व्यक्ति के अंदर स्थिरता, सच्चाई और नैतिकता का अभाव है। वह समय, परिस्थिति और अवसर के अनुसार अपने संबंधों और विचारों में बदलाव कर लेता है। उदाहरण के तौर पर जब किसी व्यक्ति से लाभ होता है तो वह उसके समर्थन में बोलता है, और जब लाभ की संभावना नहीं रहती तो वह उसी व्यक्ति की बुराई करने लगता है। ऐसे लोग समाज में अविश्वसनीय और अस्थिर माने जाते हैं।
सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण:
समाज की दृष्टि में ईमानदारी, स्थिरता और सच्चाई सर्वोत्तम गुण माने जाते हैं। एक ऐसा व्यक्ति जिस पर भरोसा किया जा सके, वही सम्मान का अधिकारी होता है। इसके विपरीत जो व्यक्ति गिरगिट की तरह रंग बदलता है, वह भरोसे के लायक नहीं होता। उसे मित्र, सहकर्मी या नेता के रूप में लोग पसंद नहीं करते। साहित्य, नाटक और फिल्मों में भी ऐसे चरित्रों को अक्सर नकारात्मक रूप में दिखाया जाता है।
राजनीति और गिरगिट का मुहावरा:
राजनीति में यह मुहावरा अक्सर सुनने को मिलता है। दल बदल करने वाले नेता, समय और परिस्थिति के अनुसार अपनी विचारधारा बदलने वाले व्यक्ति, या सत्ता के मोह में अपने पुराने आदर्श छोड़ने वाले लोगों को इस मुहावरे से संबोधित किया जाता है। यहाँ “गिरगिट की तरह रंग बदलना” उनकी अवसरवादी सोच और नैतिक पतन को उजागर करने के लिए प्रयुक्त होता है।
व्यक्तिगत जीवन में उदाहरण:
दैनिक जीवन में भी हमें ऐसे लोग मिल जाते हैं जो सामने मुस्कुराते हैं, मीठी बातें करते हैं, लेकिन पीठ पीछे निंदा करते हैं। कभी वह किसी के साथ मित्रता दिखाते हैं, तो कभी उसी व्यक्ति के विरोध में खड़े हो जाते हैं। उदाहरण के लिए – कार्यस्थल पर कोई सहकर्मी बॉस के सामने हमारी तारीफ़ करता है, लेकिन अकेले में हमारी बुराई करता है। ऐसे लोग गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं।
विश्वास और स्थिरता का महत्व:
मानव संबंध विश्वास पर टिके होते हैं। यदि व्यक्ति बार-बार अपने विचार और व्यवहार बदलता रहे, तो उसके प्रति विश्वास समाप्त हो जाता है। स्थिरता का अर्थ है – अपने मूल्यों, सिद्धांतों और मित्रताओं में दृढ़ रहना। गिरगिट की तरह रंग बदलने वाला व्यक्ति अल्पकाल में भले ही कुछ लाभ उठा ले, लेकिन दीर्घकाल में उसकी छवि नकारात्मक ही बनती है।
साहित्यिक दृष्टि:
हिंदी साहित्य में भी इस मुहावरे का उपयोग चरित्र-चित्रण में किया जाता है। कवि और लेखक इसे व्यंग्य, आलोचना और चरित्र की अस्थिरता को उजागर करने के लिए प्रयोग करते हैं। कहानियों, उपन्यासों और नाटकों में अक्सर कोई पात्र ऐसा होता है जो स्वार्थ या भयवश अपना पक्ष बदलता है – तब लेखक उसके लिए “गिरगिट की तरह रंग बदलना” मुहावरे का उपयोग करता है।
मानसिक और नैतिक संतुलन:
जो लोग गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं, उनके भीतर मानसिक और नैतिक संतुलन की कमी होती है। वे यह सोचकर कि हर परिस्थिति में खुद को सुरक्षित रखना है, अपने मूल्यों को बदलते रहते हैं। लेकिन सच्चे और नैतिक व्यक्ति विपरीत परिस्थिति में भी अपने सिद्धांतों पर डटे रहते हैं।
शिक्षाप्रद पहलू:
यह मुहावरा हमें एक शिक्षा भी देता है। हमें जीवन में ऐसा बनने से बचना चाहिए। हमें अपने सिद्धांतों और चरित्र में स्थिरता रखनी चाहिए। परिस्थितियों के अनुसार व्यवहार में लचीलापन तो आवश्यक है, लेकिन अपने मूल्यों को त्यागना, किसी को धोखा देना या बार-बार विचार बदलना उचित नहीं। स्थिर और सच्चा चरित्र ही दीर्घकाल में सम्मान दिलाता है।
“गिरगिट की तरह रंग बदलना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Girgit Ki Tarah Rang Badalna Muhavare Ka Vakya Prayog.
1. चुनाव जीतने के बाद नेता ने गिरगिट की तरह रंग बदल लिया।
2. संकट आते ही उसने अपने दोस्तों के साथ गिरगिट की तरह रंग बदल लिया।
3. स्वार्थ साधने के बाद वह गिरगिट की तरह रंग बदलकर दूसरी पार्टी में चला गया।
4. बॉस के सामने वह ईमानदार बनता है, लेकिन पीछे गिरगिट की तरह रंग बदल लेता है।
5. ऐसे लोगों पर भरोसा मत करो जो गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं।
6. व्यापार में उसका साथी गिरगिट की तरह रंग बदल गया और सारा लाभ खुद रख लिया।
7. नौकरी मिलने से पहले वह बहुत विनम्र था, लेकिन बाद में गिरगिट की तरह रंग बदल गया।
8. वह दोस्त सामने तो मिठास दिखाता है, लेकिन पीछे गिरगिट की तरह रंग बदलता है।
9. आजकल राजनीति में गिरगिट की तरह रंग बदलना आम हो गया है।
10. शिक्षक ने छात्रों को चेतावनी दी कि गिरगिट की तरह रंग बदलने वालों पर भरोसा न करें।
11. मुश्किल वक्त में असली दोस्त पहचान में आते हैं, जो गिरगिट की तरह रंग नहीं बदलते।
12. काम निकलते ही उसने गिरगिट की तरह रंग बदलकर पहचानने से इनकार कर दिया।
13. संकट में साथ देने का वादा किया, लेकिन समय आने पर गिरगिट की तरह रंग बदल गया।
14. ऑफिस में वह हर किसी की हाँ में हाँ मिलाता है और गिरगिट की तरह रंग बदलता है।
15. जब तक फायदे की उम्मीद रही, वह साथ रहा; जैसे ही फायदा खत्म हुआ, गिरगिट की तरह रंग बदल लिया।
16. बुरे वक्त में लोगों का असली स्वभाव पता चलता है कि कौन गिरगिट की तरह रंग बदलता है।
17. अदालत में बयान देते समय उसने गिरगिट की तरह रंग बदल डाला।
18. नए बॉस के आते ही कर्मचारी गिरगिट की तरह रंग बदलने लगे।
19. वह हर नई परिस्थिति में गिरगिट की तरह रंग बदलता है ताकि खुद को सुरक्षित रख सके।
20. हमारी दोस्ती पर उसे गर्व था, लेकिन पैसे की बात आते ही गिरगिट की तरह रंग बदल गया।
निष्कर्ष:
“गिरगिट की तरह रंग बदलना” मुहावरा केवल एक जीव के स्वाभाविक गुण को ही नहीं, बल्कि मनुष्य के अस्थिर, स्वार्थी और अवसरवादी आचरण को भी चित्रित करता है। यह मुहावरा हमें सचेत करता है कि समाज में ऐसे लोग मौजूद हैं जिन पर आसानी से भरोसा नहीं किया जा सकता। साथ ही यह हमें प्रेरणा देता है कि हम अपने जीवन में ईमानदारी, सच्चाई और स्थिरता बनाए रखें, ताकि हमारा चरित्र मजबूत और आदर्श बन सके।
संक्षिप्त उदाहरण:
“उसने चुनाव से पहले तो जनता से कई वादे किए, लेकिन जीतने के बाद गिरगिट की तरह रंग बदल लिया।”
“ऐसे मित्रों से सावधान रहो जो गिरगिट की तरह रंग बदलते रहते हैं।”
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