“गिन-गिन कर पैर रखना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Gin Gin Kar Pair Rakhna Meaning In Hindi
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Gin Gin Kar Pair Rakhna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / गिन गिन कर पैर रखना मुहावरे का क्या मतलब होता है?
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| Gin Gin Kar Pair Rakhna |
मुहावरा- “गिन-गिन कर पैर रखना”।
(Muhavara- Gin Gin Kar Pair Rakhna)
अर्थ- अत्यधिन सतर्कता बरतना / हर कदम सावधानी और सोच समझ कर उठाना।
(Arth/Meaning in Hindi- Atyadhik Satrkata Bartna / Har Kadam Savdhani Aur Soch Samajh Kar Uthana)
“गिन-गिन कर पैर रखना” मुहावरे का मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
भूमिका:
हिन्दी भाषा के मुहावरे और लोकोक्तियाँ केवल शब्दों का खेल नहीं हैं, बल्कि वे समाज के अनुभव, लोकजीवन की संवेदनाएँ और मानवीय व्यवहार की झलक भी प्रस्तुत करते हैं। मुहावरे किसी बात को संक्षिप्त, रोचक और प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करते हैं। “गिन-गिन कर पैर रखना” ऐसा ही एक बहुचर्चित मुहावरा है, जो सावधानी, सोच-समझ और सतर्कता की ओर संकेत करता है।
मुहावरे का शाब्दिक अर्थ:
“गिन-गिन कर पैर रखना” का शाब्दिक अर्थ होगा —
पैर रखने से पहले उन्हें गिनना, अर्थात् अत्यधिक सावधानीपूर्वक चलना। स्वाभाविक रूप से कोई व्यक्ति चलते समय अपने कदम गिनता नहीं, इसलिए यह शाब्दिक रूप से असंभव सा लगता है। यही इसकी विशेषता है कि यह मुहावरा शाब्दिक नहीं बल्कि रूपकात्मक अर्थ देता है।
भावार्थ / मुख्य अर्थ:
इस मुहावरे का भावार्थ है —
“बहुत अधिक सतर्कता और सोच-समझ के साथ काम करना”
या
“हर कदम बड़ी सावधानी से और सोच-विचार कर उठाना।”
जब किसी स्थिति में गलती करने या नुकसान उठाने की संभावना अधिक हो, तब लोग कदम-कदम पर सोच-समझ कर कार्य करते हैं। इसी संदर्भ में कहा जाता है कि वह व्यक्ति “गिन-गिन कर पैर रखता है”।
प्रयोग की पृष्ठभूमि:
हमारे सामाजिक और व्यावहारिक जीवन में कई बार परिस्थितियाँ ऐसी बनती हैं जहाँ जरा-सी असावधानी भी बड़ी समस्या पैदा कर सकती है। उदाहरण के लिए –
कोई नया व्यवसाय शुरू करते समय
कठिन परीक्षा या साक्षात्कार की तैयारी करते समय
किसी बड़े अधिकारी के सामने अपनी बात रखते समय
राजनीति में, जहाँ हर शब्द और कदम मायने रखता है
इन सब परिस्थितियों में व्यक्ति को हर कदम फूँक-फूँक कर उठाना पड़ता है। यही भाव इस मुहावरे से व्यक्त होता है।
व्याख्या (विस्तृत विश्लेषण):
(क) सावधानी और सतर्कता की आवश्यकता
मानव जीवन में सफलता पाने के लिए आत्मविश्वास के साथ-साथ सतर्कता भी आवश्यक होती है। यदि हम बिना सोचे-समझे निर्णय लेते हैं तो असफलता की संभावना बढ़ जाती है। “गिन-गिन कर पैर रखना” मुहावरा हमें यही सिखाता है कि कठिन या संवेदनशील स्थितियों में जल्दबाजी से नहीं, बल्कि सोच-समझ कर कदम उठाना चाहिए।
(ख) धैर्य और संयम का संकेत
यह मुहावरा धैर्य और संयम का भी प्रतीक है। जो व्यक्ति आवेश में आकर कोई काम नहीं करता, बल्कि सोच-विचार कर निर्णय लेता है, वही जीवन में अधिक सफल होता है। इस प्रकार, मुहावरा मानसिक परिपक्वता और धैर्य के महत्व को उजागर करता है।
(ग) जोखिम कम करना
जब कोई व्यक्ति हर कदम गिन-गिन कर रखता है, तो वह स्वाभाविक रूप से जोखिम को कम करता है। यह नीति, व्यापार, राजनीति या व्यक्तिगत जीवन—सभी जगह लागू होती है।
(घ) सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश
भारतीय संस्कृति में “सावधानी हटी, दुर्घटना घटी” जैसी उक्तियाँ भी मिलती हैं। यह मुहावरा उसी चेतावनी और सावधानी की भावना को और प्रभावशाली रूप से व्यक्त करता है।
व्यावहारिक उदाहरण:
व्यापार में –
कोई व्यापारी नया सौदा करता है। यदि वह बिना जानकारी जुटाए निवेश कर दे तो नुकसान उठाना पड़ सकता है। लेकिन यदि वह हर बात की जाँच-परख कर निर्णय ले, तो कहा जाएगा – “वह व्यापारी तो गिन-गिन कर पैर रखता है।”
राजनीति में –
किसी नेता को संवेदनशील मुद्दे पर बयान देना है। वह हर शब्द सोच-समझ कर बोलता है ताकि किसी समुदाय की भावनाएँ न आहत हों। लोग कहेंगे – “यह नेता गिन-गिन कर पैर रखता है।”
व्यक्तिगत जीवन में –
कोई छात्र अपनी पढ़ाई या कैरियर के चयन में जल्दबाज़ी नहीं करता, बल्कि हर विकल्प को ध्यान से देखता है। यह भी “गिन-गिन कर पैर रखना” कहलाएगा।
अन्य समानार्थी मुहावरे/वाक्यांश:
फूँक-फूँक कर कदम रखना
सोच-समझ कर बोलना
हर कदम पर चौकसी रखना
तौल-तौल कर बात करना
इन सभी मुहावरों में सतर्कता और सावधानी की ही भावना व्यक्त होती है।
इस मुहावरे का महत्व:
यह मुहावरा केवल बोलचाल की भाषा को समृद्ध नहीं करता, बल्कि जीवन के लिए एक सीख भी देता है। यह बताता है कि सफलता पाने के लिए आवेश या जल्दबाजी की जगह योजनाबद्ध सोच और संतुलित दृष्टिकोण जरूरी है।
“गिन-गिन कर पैर रखना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Gin Gin Kar Pair Rakhna Muhavare Ka Vakya Prayog.
1. आजकल के प्रतियोगी माहौल में हर छात्र को गिन-गिन कर पैर रखना पड़ता है।
2. राजनीति के इस कठिन दौर में नेताओं को गिन-गिन कर पैर रखना पड़ रहा है।
3. बड़े अधिकारियों के सामने बोलते समय उसने गिन-गिन कर पैर रखा।
4. नई नौकरी में उसने हर काम गिन-गिन कर पैर रखकर किया।
5. इस कठिन परीक्षा में सफल होने के लिए गिन-गिन कर पैर रखना जरूरी है।
6. व्यवसाय में नये सौदे करते समय हमें गिन-गिन कर पैर रखना चाहिए।
7. परिवार की आर्थिक स्थिति देखते हुए उसने गिन-गिन कर पैर रखकर खर्च किया।
8. सोशल मीडिया पर पोस्ट करते समय अब लोगों को गिन-गिन कर पैर रखना पड़ता है।
9. नई जगह जाकर उसने गिन-गिन कर पैर रखा ताकि गलती न हो।
10. अपने बॉस के सामने बात करते हुए वह गिन-गिन कर पैर रख रहा था।
11. चुनाव में खड़े होने से पहले उसने गिन-गिन कर पैर रखकर रणनीति बनाई।
12. व्यापार में नये निवेश के समय गिन-गिन कर पैर रखना ही समझदारी है।
13. कानूनी मामलों में गिन-गिन कर पैर रखना जरूरी होता है।
14. प्रतियोगिता के मंच पर उसने हर शब्द गिन-गिन कर कहा।
15. नई कंपनी में पहली बार जाते हुए उसने गिन-गिन कर पैर रखा।
16. नये शहर में रहना शुरू किया तो उसने हर रिश्ते में गिन-गिन कर पैर रखा।
17. संवेदनशील मुद्दों पर बोलते समय पत्रकार को गिन-गिन कर पैर रखना चाहिए।
18. किसी बड़े अधिकारी से मिलते वक्त गिन-गिन कर पैर रखना ही भला है।
19. नौकरी बदलने का फैसला उसने गिन-गिन कर पैर रखकर किया।
20. परीक्षा में उत्तर लिखते समय उसने गिन-गिन कर पैर रखा।
21. शादी के निर्णय में उसने गिन-गिन कर पैर रखा और फिर हाँ की।
22. बड़े सौदे पर हस्ताक्षर करने से पहले वह गिन-गिन कर पैर रख रहा था।
23. कठिन परिस्थिति में गिन-गिन कर पैर रखना ही सबसे सुरक्षित तरीका है।
24. क्रिकेट मैच में कप्तान ने गिन-गिन कर पैर रखकर हर चाल चली।
25. विदेश जाने से पहले उसने गिन-गिन कर पैर रखकर सभी कागज़ तैयार किए।
26. बॉस के मूड को देखते हुए वह गिन-गिन कर पैर रखकर बातें कर रहा था।
27. नया कारोबार शुरू करने से पहले गिन-गिन कर पैर रखना अनिवार्य है।
28. अदालत में बयान देते समय गिन-गिन कर पैर रखना पड़ता है।
29. सोशल मीडिया के दौर में हर शब्द गिन-गिन कर पैर रखकर लिखना पड़ता है।
30. कठिन समय में समझदारी यही है कि गिन-गिन कर पैर रखा जाए।
निष्कर्ष:
“गिन-गिन कर पैर रखना” मुहावरा हिन्दी भाषा की गहनता और उसके व्यावहारिक अनुभव का प्रमाण है। यह हमें जीवन में सावधानी, संयम और समझदारी से कदम उठाने की प्रेरणा देता है। बदलते समय में, जब प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है और हर कदम पर चुनौतियाँ हैं, तब यह मुहावरा और भी प्रासंगिक हो जाता है।
संक्षेप में, इसका अर्थ है —
“हर कदम सावधानी और सोच-समझकर उठाना, ताकि किसी भी प्रकार की गलती या हानि से बचा जा सके।”
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