“संस्कृति” शब्द का क्या अर्थ होता है? / Meaning Of Culture In Hindi

 

Sanskriti Ka Kya Arth Hota Hai / संस्कृति का क्या मतलब होता है?



1. संस्कृति का शाब्दिक अर्थ

संस्कृति शब्द संस्कृत की ‘संस्कृ’ धातु से बना है।

‘सं’ का अर्थ होता है – संपूर्णता, अच्छी प्रकार।

‘कृ’ का अर्थ होता है – करना।

अर्थात्, “अच्छी प्रकार से करना” या “उत्कृष्ट बनाना” संस्कृति का मूल अर्थ है।

इस प्रकार, संस्कृति का शाब्दिक अर्थ है – परिष्कार, शुद्धिकरण, परिशोधन, सुसंस्कार, विकास और उत्कृष्टता।


2. संस्कृति की परिभाषाएँ

 डॉ. राधाकमल मुखर्जी:

“संस्कृति जीवन जीने की कला है, जो व्यक्ति के आचरण व व्यवहार को दिशा देती है।”


टेलर (Taylor):

“संस्कृति वह जटिल संहति है, जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, विधि, रीति-रिवाज और अन्य क्षमताएँ व आदतें शामिल होती हैं, जो मनुष्य समाज का सदस्य होने के नाते अर्जित करता है।”


मैकाइवर (MacIver):

“संस्कृति वह सम्पूर्ण सामाजिक विरासत है, जिसे मनुष्य प्राप्त करता है और आगे बढ़ाता है।”


महात्मा गांधी:

“संस्कृति आत्मा की सूक्ष्मतम और सर्वोत्तम अभिव्यक्ति है।”


डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन:

“संस्कृति का तात्पर्य जीवन के आदर्शों और मूल्यों से है।”


3. संस्कृति के अंग

संस्कृति में निम्नलिखित अंग सम्मिलित होते हैं:

1. ज्ञान (Knowledge):

जो व्यक्ति को समाज में उचित व्यवहार सिखाता है।

जैसे – इतिहास, साहित्य, विज्ञान।

2. विश्वास (Belief):

ईश्वर, आत्मा, पुनर्जन्म, कर्मफल जैसे धार्मिक विश्वास।

3. कला (Art):

चित्रकला, संगीत, नृत्य, स्थापत्य कला।

4. नैतिकता (Morality):

सत्य, अहिंसा, दया, करुणा जैसे मूल्य।

5. रीति-रिवाज और परम्पराएँ:

विवाह, उत्सव, जन्म संस्कार, मृत्यु संस्कार आदि।

6. भाषा:

संस्कृति के संप्रेषण और विस्तार का माध्यम।

7. धर्म:

धर्म संस्कृति को दिशा प्रदान करता है।

8. आजीविका के साधन:

कृषि, उद्योग, व्यवसाय, शिल्प आदि संस्कृति का भाग होते हैं।


4. संस्कृति की विशेषताएँ

1. समूहगत होती है – संस्कृति समाज में रहने वाले लोगों द्वारा अपनाई जाती है।

2. विरासत में प्राप्त होती है – यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाती है।

3. सीखी जाती है – संस्कृति जन्मजात नहीं होती, व्यक्ति समाज में रहकर इसे सीखता है।

4. सामाजिक नियंत्रण का कार्य करती है – यह व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित करती है।

5. गतिशील होती है – यह समयानुसार परिवर्तनशील होती है।

6. विभिन्नतापूर्ण होती है – विभिन्न देशों व समाजों की संस्कृतियाँ अलग-अलग होती हैं।

7. मानव निर्मित होती है – संस्कृति का निर्माण मनुष्य द्वारा किया जाता है।

8. संपूर्ण जीवन को प्रभावित करती है – संस्कृति व्यक्ति के रहन-सहन, सोच, भाषा, आहार सभी पर प्रभाव डालती है।


5. संस्कृति के प्रकार

(1) भौतिक संस्कृति (Material Culture)

इसमें भवन, वस्त्र, वाहन, औजार, तकनीकी उपकरण आदि आते हैं।

यह संस्कृति का बाह्य रूप है।

(2) अमूर्त संस्कृति (Non-Material Culture)

इसमें विचार, मूल्य, विश्वास, भाषा, धर्म, कला, नैतिकता आदि शामिल होते हैं।

यह संस्कृति का आंतरिक व आत्मिक स्वरूप है।


6. संस्कृति के घटक (Elements)

1. भाषा – संस्कृति का वाहक।

2. कला – समाज की रुचियों को दर्शाती है।

3. धर्म और विश्वास – नैतिकता व आस्था प्रदान करते हैं।

4. रीति-रिवाज – समाज में नियमबद्धता लाते हैं।

5. मूल्य व आदर्श – व्यक्ति के व्यवहार का निर्धारण करते हैं।

6. विज्ञान और तकनीक – जीवन को सरल बनाते हैं।

7. सामाजिक संस्थाएँ – विवाह, परिवार, शिक्षा आदि संस्कृति को संरक्षित करते हैं।


7. संस्कृति के कार्य

* सामाजिक नियंत्रण: संस्कृति समाज में अनुशासन बनाए रखने में सहायक होती है।

* व्यक्तित्व निर्माण: व्यक्ति के सोचने, बोलने, कार्य करने की शैली संस्कृति पर निर्भर करती है।

* सामाजिक एकता: समान संस्कृति सामाजिक एकता व सहयोग को बढ़ाती है।

* परंपराओं का संरक्षण: संस्कृति के माध्यम से परंपराएँ व मूल्यों का संरक्षण होता है।

* सामाजिक परिवर्तन में सहायक: संस्कृति में नए तत्वों को समाहित कर समाज में परिवर्तन लाती है।

* आर्थिक विकास में सहायक: संस्कृति उत्पादन व उपभोग की प्रवृत्तियों को भी प्रभावित करती है।


8. भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ

भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है, जिसकी विशेषताएँ हैं:

* धर्म और अध्यात्म प्रधानता

* सहिष्णुता और समरसता

* परिवार व्यवस्था (संयुक्त परिवार प्रणाली)

* अतिथि देवो भव: की भावना

* मानव मात्र में एकता की भावना

* विविधता में एकता

* अहिंसा और सत्य का पालन

* कला, साहित्य और संगीत में समृद्धता

* योग और आयुर्वेद का ज्ञान

* प्रकृति के प्रति सम्मान


9. संस्कृति के स्रोत

* भारतीय संस्कृति के मुख्य स्रोत हैं:

* वेद, उपनिषद, पुराण

* रामायण, महाभारत

* स्मृतियाँ

* आचार संहिता

* लोक परंपराएँ और लोकगीत

* वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला

* भारतीय संगीत, नृत्य


10. संस्कृति का समाज में महत्व

* व्यक्ति को समाज में जीने की कला सिखाती है।

* आदर्श, नैतिकता और मूल्यों का विकास करती है।

* एकता और अखंडता बनाए रखती है।

* आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्र को दिशा देती है।

* संस्कार और परंपराओं को संरक्षित करती है।

* समाज में आत्मीयता और सह-अस्तित्व की भावना लाती है।

* रचनात्मकता और नवीनता को प्रोत्साहित करती है।


11. संस्कृति और सामाजिक परिवर्तन

* संस्कृति गतिशील है, यह समय और समाज के अनुसार बदलती रहती है।

* नई तकनीकें, विचार, शिक्षा, औद्योगिकीकरण, वैश्वीकरण संस्कृति को प्रभावित करते हैं।

* परंपरा और नवीनता का संतुलन संस्कृति को जीवंत बनाए रखता है।

जैसे – भारत में इंटरनेट और मोबाइल संस्कृति में बदलाव ला रहे हैं, परंतु इसके मूल में परिवार, धर्म और सामाजिक मूल्यों की संस्कृति बनी हुई है।


12. वैश्वीकरण और संस्कृति

वैश्वीकरण से संस्कृति पर निम्न प्रभाव पड़ते हैं:

* सांस्कृतिक आदान-प्रदान में वृद्धि।

* पश्चिमी जीवन शैली का प्रभाव।

* भाषा, भोजन, पहनावे में परिवर्तन।

* आर्थिक गतिविधियों में परिवर्तन।

* कुछ परंपराओं में ह्रास, परंतु नए दृष्टिकोण का विकास।

फिर भी भारतीय संस्कृति की विशेषता है कि वह नए तत्वों को आत्मसात कर मूल स्वरूप को बनाए रखती है।


13. संस्कृति संरक्षण की आवश्यकता

आज की बदलती दुनिया में संस्कृति के संरक्षण की आवश्यकता है, क्योंकि:

* यह हमारी पहचान है।

* यह नैतिक मूल्यों का संरक्षण करती है।

* यह पीढ़ियों के बीच संबंध जोड़ती है।

* यह सामाजिक बंधन को मजबूत करती है।

इसके लिए:

* पारंपरिक कला, शिल्प और लोककलाओं का संरक्षण।

* मातृभाषा के संरक्षण और प्रचार।

* परिवार व्यवस्था और संस्कारों को सुदृढ़ करना।

* युवा वर्ग में संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाना. आवश्यक है।


14. निष्कर्ष

* संस्कृति समाज की आत्मा होती है। यह न केवल हमें पहचान देती है, बल्कि हमारे जीवन को दिशा भी देती है।

* भारत की संस्कृति बहुआयामी, सहिष्णु, सार्वभौमिक व विश्व बंधुत्व की भावना से युक्त है।

*आज की आधुनिक तकनीकी दुनिया में भी यदि हमें संतुलित और मूल्यों पर आधारित जीवन जीना है तो हमें अपनी संस्कृति के मूल तत्वों को संरक्षित रखते हुए उसे नई परिस्थितियों में आत्मसात करना होगा।  

* संस्कृति ही वह आधार है, जिससे व्यक्ति का संपूर्ण विकास और समाज की उन्नति संभव है।



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