“कोठे पर बैठाना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kothe Par Baithana Meaning In Hindi
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Kothe Par Baithana Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / कोठे पर बैठाना मुहावरे का क्या मतलब होता है?
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Kothe Par Baithana |
मुहावरा: "कोठे पर बैठाना"।
अर्थ: किसी स्त्री को सामाजिक दृष्टि से गिरा देना, उसके चरित्र को कलंकित करना, या उसे मजबूरीवश उस जीवन की ओर धकेल देना जिसे समाज हेय दृष्टि से देखता है।
“कोठे पर बैठाना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
परिचय:
हिंदी भाषा में मुहावरों का विशेष स्थान है। ये न केवल भाषा को रोचक और प्रभावशाली बनाते हैं, बल्कि समाज की सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक चेतना को भी दर्शाते हैं। "कोठे पर बैठाना" ऐसा ही एक मुहावरा है जो प्राचीन भारतीय समाज के सामाजिक ढाँचे और सांस्कृतिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है।
मुहावरे का शाब्दिक अर्थ:
"कोठा" शब्द पारंपरिक हिंदी में उस ऊँचे स्थान या मकान की ऊपरी मंज़िल को कहा जाता था जहाँ आमतौर पर महिलाएँ बैठती थीं या विशेष कार्यक्रम होते थे। विशेष रूप से मुगल और नवाबी संस्कृति में "कोठा" उस स्थान को भी कहा जाता था जहाँ तवायफें (नर्तकियाँ/गायिकाएँ) नृत्य-गान का प्रदर्शन करती थीं। इसलिए "कोठे पर बैठाना" मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है – किसी महिला को तवायफ बना देना या नाचने-गाने के पेशे में डाल देना।
मुहावरे का प्रचलित अर्थ:
"कोठे पर बैठाना" का व्यापक और गहरा अर्थ है — किसी स्त्री को सामाजिक दृष्टि से गिरा देना, उसके चरित्र को कलंकित करना, या उसे मजबूरीवश उस जीवन की ओर धकेल देना जिसे समाज हेय दृष्टि से देखता है।
यह मुहावरा उस क्रिया या स्थिति को दर्शाता है जहाँ कोई व्यक्ति किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध या लालच देकर उसे ऐसे पेशे में धकेल देता है, जिसे समाज नीचा मानता है — जैसे कि वेश्यावृत्ति या सार्वजनिक नृत्य-गान।
ऐतिहासिक और सामाजिक सन्दर्भ:
भारतीय समाज में 'कोठा' शब्द का प्रयोग प्राचीन काल में राजाओं और नवाबों के दरबारों में कला, संगीत और नृत्य की संस्था के रूप में होता था। कोठे पर बैठने वाली महिलाएँ शास्त्रीय संगीत, कत्थक और उर्दू शायरी की ज्ञाता होती थीं। परंतु कालांतर में जब कोठों का स्वरूप बदलने लगा और इनका संबंध केवल देह व्यापार से जोड़ दिया गया, तब से "कोठे पर बैठाना" एक नकारात्मक, अपमानजनक और पीड़ादायक मुहावरा बन गया।
यह मुहावरा केवल एक स्त्री की सामाजिक स्थिति को ही नहीं, बल्कि उस व्यक्ति की क्रूरता और लालच को भी दर्शाता है जो उसे इस हालत तक पहुँचाता है।
समाज में उपयोग:
"कोठे पर बैठाना" का प्रयोग आज भी समाज में तब किया जाता है जब कोई व्यक्ति किसी निर्दोष या मजबूर महिला को धोखे से या दबाव डालकर उसे ऐसे पेशे में धकेल देता है जिसे समाज में सम्मान नहीं मिलता।
उदाहरणस्वरूप:
* "उसने अपनी सौतेली बेटी को कोठे पर बैठा दिया।"
* "गरीबी और लाचारी ने उसे कोठे पर बैठने पर मजबूर कर दिया।"
इस प्रकार, यह मुहावरा सामाजिक अन्याय, लैंगिक शोषण और नैतिक पतन को उजागर करता है।
नैतिक और संवेदनात्मक पहलू:
"कोठे पर बैठाना" मुहावरा न केवल एक सामाजिक अपराध को दर्शाता है, बल्कि इसके पीछे छिपे हुए मानसिक, भावनात्मक और नैतिक शोषण की गहराई को भी सामने लाता है। यह महिलाओं के प्रति समाज की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है जहाँ एक ओर उन्हें 'देवी' कहा जाता है और दूसरी ओर जब वे असहाय होती हैं, तो उन्हें ‘कोठे पर बैठा’ दिया जाता है।
यह मुहावरा स्त्री-शोषण के विरुद्ध एक चेतावनी की तरह भी काम करता है कि कैसे समाज में कमजोर वर्ग, विशेषकर स्त्रियाँ, शोषण का शिकार बनती हैं।
आधुनिक सन्दर्भ में:
आज भले ही 'कोठे' का रूप और स्वरूप बदल गया हो, परंतु "कोठे पर बैठाना" मुहावरे का अर्थ अब भी उसी पीड़ा, शोषण और अमानवीय व्यवहार की ओर संकेत करता है। आज इसे प्रतीकात्मक रूप से उस स्थिति के लिए भी उपयोग किया जाता है जहाँ किसी को मजबूरन अपमानजनक या अनैच्छिक कार्यों में लगाया जाए।
उदाहरण के लिए:
* किसी महिला को मानसिक या आर्थिक रूप से इतना कमजोर बना देना कि वह आत्मसम्मान खो बैठे।
* किसी को अपनी इच्छा के विरुद्ध ऐसे पेशे में धकेलना जहाँ उसकी गरिमा को ठेस पहुँचे।
"कोठे पर बैठाना" मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Kothe Par Baithana Muhavare Ka Vakya Prayog.
1. लालच देकर दलाल ने उस भोली लड़की को कोठे पर बैठा दिया।
2. गरीबी ने उसे मजबूर कर दिया और अंततः वह कोठे पर बैठा दी गई।
3. सौतेली माँ ने अपनी बेटी को छल से कोठे पर बैठा दिया।
4. समाज के कुछ लालची लोगों ने उसे कोठे पर बैठाने की साजिश रची।
5. मजबूरी इंसान से कुछ भी करवा सकती है, यहाँ तक कि किसी को कोठे पर भी बैठा सकती है।
6. उसने अपने स्वार्थ के लिए अपनी ही बहन को कोठे पर बैठा दिया।
7. तस्कर गिरोह मासूम लड़कियों को कोठे पर बैठाने का काम करता है।
8. वह लड़की पढ़ना चाहती थी, मगर किस्मत ने उसे कोठे पर बैठा दिया।
9. जब पिता की मृत्यु हुई, तो रिश्तेदारों ने उसे कोठे पर बैठा दिया।
10. बचपन में ही उसे उठाकर शहर लाया गया और कोठे पर बैठा दिया गया।
11. उस औरत ने अदालत में बताया कि कैसे उसे जबरन कोठे पर बैठाया गया था।
12. उसने भरोसे में लेकर लड़की को काम दिलाने का वादा किया और फिर कोठे पर बैठा दिया।
13. अपराधी महिलाओं को झाँसा देकर कोठे पर बैठाने का धंधा चलाते हैं।
14. पुलिस ने छापा मारकर कई लड़कियों को कोठे से आज़ाद कराया।
15. यह जानकर दुःख हुआ कि उसकी छोटी बहन को भी कोठे पर बैठा दिया गया है।
निष्कर्ष:
"कोठे पर बैठाना" मुहावरा केवल एक वाक्यांश नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की उस कड़वी सच्चाई को उजागर करता है जो स्त्रियों के प्रति अन्याय, शोषण और सामाजिक गिरावट का प्रतीक है। यह मुहावरा हमें सोचने पर मजबूर करता है कि हम एक सभ्य समाज में रहते हुए भी कितने असंवेदनशील हो सकते हैं।
हमें इस मुहावरे के सामाजिक और भावनात्मक पक्ष को समझते हुए समाज में ऐसी परिस्थितियों के विरुद्ध आवाज़ उठानी चाहिए, ताकि कोई भी स्त्री अपनी अस्मिता और सम्मान से वंचित न हो।
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