"खून सवार होना" मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Khoon Sawar Hona Meaning In Hindi

  Khoon Sawar Hona Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / खून सवार होना मुहावरे का क्या मतलब होता है? मुहावरा- “खून सवार होना”। (Muhavara- Khoon Sawar Hona) अर्थ- अत्यधिक क्रोधित होना / किसी को मार डालने के लिए आतुर होना । (Arth/Meaning In Hindi- Atyadhik Krodhit Hona / Kisi Ko Mar Dalne Ke Liye Aatur Hona) “खून सवार होना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है- परिचय: हिंदी भाषा के मुहावरे जीवन की गहरी सच्चाइयों, भावनाओं और अनुभवों को संक्षेप में और प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करने का एक सशक्त साधन हैं। इनमें सामान्य शब्दों के माध्यम से ऐसी स्थिति या भावना को व्यक्त किया जाता है जिसे साधारण वाक्यों में कहना लंबा और कम प्रभावी हो सकता है। ऐसा ही एक प्रचलित और भावपूर्ण मुहावरा है — "खून सवार होना"। यह मुहावरा आमतौर पर उस समय प्रयोग किया जाता है जब किसी व्यक्ति पर गुस्सा, बदले की भावना या आक्रोश इस हद तक हावी हो जाए कि वह अपने होश और संयम खो दे। शाब्दिक अर्थ: "खून" का संबंध यहाँ शरीर में प्रवाहित होने वाले रक्त से है, जो जीवन का मूल तत्व है। "सवार होना" का अर्थ ह...

“अतिश्योक्ति” का अर्थ, परिभाषा और व्याख्या / What Is The Meaning Of Exaggeration In Hindi


Atishyokti Ka Arth Kya Hota Hai / Atishyokti Ka Paribhasha / अतिश्योक्ति किसे कहते हैं? / अतिशयोक्ति का मतलब क्या होता है?

 

“अतिश्योक्ति” का अर्थ, परिभाषा और व्याख्या / What Is The Meaning Of Exaggeration In Hindi
Atishyokti Ka Matlab



1. अतिश्योक्ति की परिभाषा

“अति” + “शयोक्ति” से बना है ‘अतिशयोक्ति’।

‘अति’ का अर्थ होता है – बहुत अधिक या अत्यधिक।

‘शयोक्ति’ का अर्थ होता है – कहना या व्यक्त करना।

अतः ‘अतिशयोक्ति’ का शाब्दिक अर्थ है – किसी वस्तु, गुण, अवस्था या भाव को वास्तविकता से अधिक बढ़ा-चढ़ाकर कहना।


पारिभाषिक अर्थ में:

“जब किसी वस्तु, व्यक्ति, कार्य या भावना को उसकी वास्तविकता से बढ़ा-चढ़ाकर, अत्यधिक रूप में प्रस्तुत किया जाता है ताकि उसमें विशेष प्रभाव उत्पन्न हो, उसे अतिशयोक्ति कहते हैं।”

हिंदी काव्यशास्त्र में अतिशयोक्ति अलंकार का भी रूप है, जिसमें कवि किसी भाव, वस्तु या स्थिति को इतना बढ़ा-चढ़ाकर कहता है कि वह असंभव या अकल्पनीय प्रतीत होती है, परंतु उसका उद्देश्य प्रभाव उत्पन्न करना होता है।


2. अतिशयोक्ति की विशेषताएँ

* वस्तु या भावना का बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन।

* वास्तविकता से परे होकर भी भाव प्रभावी बनाना।

* पाठक या श्रोता पर गहरा प्रभाव डालना।

* काव्य, गद्य, भाषण, विज्ञापन आदि में प्रभावी प्रस्तुति हेतु उपयोग।

* कभी हास्य, व्यंग्य या व्याख्या में भी प्रयुक्त होती है।


3. अतिशयोक्ति का उद्देश्य

* भावनाओं को तीव्र रूप में प्रस्तुत करना।

* सामान्य सी बात को विशेष बनाकर ध्यान आकर्षित करना।

* साहित्य में सौंदर्य और रस का संचार करना।

* विषय की महत्ता को उजागर करना।

* मनोरंजन या हास्य पैदा करना।

* भाषण या लेखन में प्रभाव उत्पन्न करना।


4. अतिशयोक्ति के प्रकार

अतिशयोक्ति के कई प्रकार माने जाते हैं, जैसे:

1. आकारगत अतिशयोक्ति – किसी वस्तु के आकार को अत्यधिक बड़ा या छोटा बताना।

उदाहरण: “उसके हाथ तो पेड़ की डाल जैसे लंबे हैं।”

2. संख्या की अतिशयोक्ति – संख्याओं को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करना।

उदाहरण: “सैकड़ों बार कहा, फिर भी नहीं माना।”

3. दूरी की अतिशयोक्ति – दूरी को बढ़ा-चढ़ाकर बताना।

उदाहरण: “वह तो कदम रखते ही हजारों मील चल लेता है।”

4. गुण की अतिशयोक्ति – किसी गुण को अत्यधिक बढ़ाकर प्रस्तुत करना।

उदाहरण: “उसका साहस पर्वत से भी ऊँचा है।”

5. गति की अतिशयोक्ति – किसी की गति को अति तेज़ बताना।

उदाहरण: “वह तो बिजली की गति से भागता है।”


5. अतिशयोक्ति के उदाहरण

उदाहरण 1:

“उसके आँसू तो आसमान में बादल बन गए।”

यहाँ आँसू को बढ़ा-चढ़ाकर बादल बनने जैसा बताया गया है।

उदाहरण 2:

“वह तो एक ही झटके में पहाड़ उखाड़ सकता है।”

यहाँ किसी के बल को बढ़ा-चढ़ाकर बताकर अतिशयोक्ति की गई है।

उदाहरण 3:

“तेरे आने से तो इस बगीचे में बहार आ गई।”

यहाँ किसी के आने को बगीचे में बहार आने जैसा बताया गया है।

उदाहरण 4:

“मैंने तुझे हजार बार समझाया, पर तू मानता ही नहीं।”

यहाँ हजार बार कहना अतिशयोक्ति है।


6. अतिशयोक्ति का साहित्यिक महत्त्व

* अलंकारों में इसे विशेष स्थान प्राप्त है।

* काव्य में रस की सृष्टि और भावोत्कर्ष उत्पन्न करने में सहायक होती है।

* सरल सी घटना या भावना को प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत करने में मदद करती है।

* पाठकों में रोचकता और कल्पनाशीलता को जन्म देती है।

* उपन्यास, कहानियाँ, गीत, नाटक, विज्ञापन, भाषण, व्यंग्य आदि में इसका व्यापक उपयोग होता है।


7. अतिशयोक्ति और वास्तविकता

यद्यपि अतिशयोक्ति में वास्तविकता से भिन्नता होती है, परंतु इसका उद्देश्य असत्य बोलना नहीं होता, बल्कि भावों को प्रकट करने में उसे बल देना होता है।

उदाहरण के लिए,

“उसकी हँसी तो फूलों को भी मुस्कुराना सिखा दे।”

इसका तात्पर्य यह नहीं कि फूल सचमुच मुस्कुराने लगते हैं, बल्कि उसकी हँसी को अत्यधिक मधुर बताना है।


8. अतिशयोक्ति के लाभ

* वाक्य प्रभावी और आकर्षक बनते हैं।

* भाव की तीव्रता को स्पष्ट किया जा सकता है।

* कवि या लेखक की कल्पनाशीलता का पता चलता है।

* भाषा में सौंदर्य और रस का संचार होता है।

* पाठक में भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है।


9. अतिशयोक्ति के दुष्प्रभाव

* यदि अतिशयोक्ति का अति प्रयोग हो, तो वह हास्यास्पद या अविश्वसनीय हो जाती है।

* कभी-कभी असंबंधित अतिशयोक्ति से विषय का मूल भाव भटक सकता है।

* शुष्क और गंभीर विषयों में इसका अनुचित उपयोग पाठक की गंभीरता को नष्ट कर सकता है।

इसलिए, अतिशयोक्ति का उपयोग संतुलित और संदर्भानुकूल होना चाहिए।


10. अतिशयोक्ति का उपयोग कहाँ-कहाँ होता है?

* कविता लेखन में

* कहानी और उपन्यास में

* नाटक और मंच लेखन में

* विज्ञापन और मार्केटिंग में (उत्पाद को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करना)

* भाषण और लेख में

* व्यंग्य और हास्य रचनाओं में


11. काव्य में अतिशयोक्ति अलंकार

अतिशयोक्ति अलंकार के लिए कहा गया है:

“यत्रार्थस्यातिवृद्धिर्भवति स अतिशयोक्तिः”

(जहाँ अर्थ की अत्यधिक वृद्धि हो, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।)


हिंदी काव्य में इसके सुंदर उदाहरण हैं:

तुलसीदास:

“राम बाण सब कपि कर लाऊँ।”

(राम के बाण सब वानरों को एक साथ खींच ला सकते हैं।)

सूरदास:

“बरसों बीत गए, बिनु देखे, दरस कीन्हें।“

(यहाँ समय की अतिशयोक्ति की गई है।)


12. सारांश

* अतिशयोक्ति में किसी वस्तु, गुण या भावना को वास्तविकता से अधिक बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है।

* इसका उद्देश्य भावों को प्रभावी बनाना और काव्य सौंदर्य में वृद्धि करना होता है।

* इसके प्रकार – आकारगत, संख्या, दूरी, गति और गुण की अतिशयोक्ति हैं।

* यह साहित्य में अत्यंत उपयोगी उपकरण है, परंतु इसका उचित मात्रा में उपयोग ही उचित होता है।

* काव्य, लेखन, भाषण, विज्ञापन, हास्य व व्यंग्य आदि में इसका प्रयोग किया जाता है।


13.निष्कर्ष

अतिशयोक्ति का अर्थ है किसी बात, वस्तु, व्यक्ति, गुण या भावना को वास्तविकता से अधिक बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करना ताकि उसमें प्रभाव उत्पन्न हो। यह हिंदी साहित्य, काव्य, कहानियों, भाषण, विज्ञापन आदि में भावनाओं को तीव्रता और आकर्षण प्रदान करने के लिए किया जाता है। अतिशयोक्ति से भाषा में सौंदर्य और रस का संचार होता है तथा पाठक या श्रोता पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यद्यपि अतिशयोक्ति में वास्तविकता से भिन्नता होती है, इसका उद्देश्य असत्य दिखाना नहीं बल्कि अभिव्यक्ति को प्रभावी और रोचक बनाना होता है।


कुल मिलाकर, अतिशयोक्ति भाषा और साहित्य में ऐसा प्रभावशाली उपकरण है जो सामान्य कथन को असाधारण बनाकर पाठकों में रोचकता उत्पन्न करता है और भावनाओं को तीव्रता से प्रकट करने में सहायक होता है। इसका उचित और सटीक प्रयोग किसी भी रचना में आकर्षण, गहराई और प्रभाव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।




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