“कालिख पोतना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kalikh Potna Meaning In Hindi


Kalikh Potna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / कालिख पोतना मुहावरे का क्या अर्थ होता है?



मुहावरा- “कालिख पोतना”।

(Muhavara- Kalikh Potna)


अर्थ- कलंकित करना / बदनाम करना / अपमानित करना ।

(Arth/Meaning In Hindi- Kalankit Karna / Badnam Karna / Apmanit Karna)


“कालिख पोतना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


अर्थ:

यह हिंदी भाषा में प्रयोग किये जाने वाला एक महत्वपूर्ण मुहावरा है। इस मुहावरे का अर्थ किसी का नाम बदनाम करना, किसी की प्रतिष्ठा को नष्ट करना, किसी पर बदनामी का दाग लगा देना, अथवा अपमानित करना होता है।

जब कोई व्यक्ति अपने या किसी अन्य के गलत कार्यों के कारण अपने ऊपर या किसी के चेहरे पर ‘कालिख पोत देता है’, तो उसका मतलब होता है कि उसने अपने परिवार, समाज या अपने नाम को बदनाम कर दिया है।


व्याख्या:

भारत में कालिख को अशुद्धि और अपवित्रता का प्रतीक माना जाता है। जब किसी व्यक्ति के चेहरे पर कालिख पोत दी जाती है, तो समाज में यह अपमान की चरम स्थिति मानी जाती है। यह दर्शाता है कि उस व्यक्ति ने ऐसा कोई कार्य कर दिया है जिससे उसका सिर नीचा हो गया है और लोग उसकी ओर देखने में भी शर्म अनुभव करते हैं।


“कालिख पोतना” मुहावरा दो प्रकार से प्रयोग में आता है:

1. किसी पर आरोप लगाकर या उसकी प्रतिष्ठा बिगाड़कर उसे बदनाम करना।

उदाहरण: झूठे आरोप लगाकर उसने अपने पड़ोसी के चेहरे पर कालिख पोत दी।

2. कोई व्यक्ति स्वयं गलत कार्य करके अपने परिवार, समाज या खुद के नाम पर कालिख पोत देता है।

उदाहरण: चोरी करते पकड़े जाने पर रमेश ने अपने परिवार के नाम पर कालिख पोत दी।

इस मुहावरे का प्रयोग तब भी किया जाता है जब कोई व्यक्ति ऐसा कार्य कर दे जो उसके संस्कारों, समाज की अपेक्षाओं और उसकी प्रतिष्ठा के विरुद्ध हो। जैसे:

*रिश्वत लेना,

*धोखा देना,

*चोरी करना,

*अनैतिक कार्यों में शामिल होना आदि।

ऐसे कार्य समाज में व्यक्ति की छवि को नष्ट कर देते हैं, जिससे उसकी प्रतिष्ठा में धब्बा लग जाता है।


सामाजिक संदर्भ में महत्व:

भारतीय समाज में परिवार और व्यक्ति की प्रतिष्ठा को बहुत महत्व दिया जाता है। व्यक्ति की पहचान उसके आचरण और कर्मों से होती है। जब कोई व्यक्ति अनुचित आचरण करता है, तो न केवल वह स्वयं अपमानित होता है, बल्कि उसका परिवार और समुदाय भी प्रभावित होते हैं। इसलिए कहा जाता है कि गलत काम करके कोई व्यक्ति अपने कुल पर ‘कालिख पोत देता है’।


नैतिक शिक्षा:

“कालिख पोतना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि हमें अपने आचरण और कर्मों का ध्यान रखना चाहिए ताकि हमारी और हमारे परिवार की प्रतिष्ठा बनी रहे। हमें यह समझना चाहिए कि एक बुरा कार्य कई वर्षों की मेहनत और सम्मान को नष्ट कर सकता है।

यह मुहावरा हमें यह भी सिखाता है कि हमें दूसरों की छवि बिगाड़ने की बजाय उनके बारे में सत्य जानने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि झूठे आरोप लगाना भी किसी के चेहरे पर कालिख पोतने जैसा है। हमें दूसरों की प्रतिष्ठा का सम्मान करना चाहिए।

उदाहरण:

1. “रवि ने अपने ऑफिस में पैसे की हेराफेरी करके अपने पिता के नाम पर कालिख पोत दी।”

2. “राजनीतिक पार्टी ने झूठा आरोप लगाकर नेता के चेहरे पर कालिख पोत दी।”

3. “दहेज के लालच में अपनी पत्नी को प्रताड़ित करके उसने अपने परिवार की इज्जत पर कालिख पोत दी।”


“कालिख पोतना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Kalikh Potna Muhavare Ka Vakya Prayog. 


1. चोरी करते पकड़े जाने पर मोहन ने अपने परिवार के नाम पर कालिख पोत दी।

2. रिश्वत लेकर अधिकारी ने अपने पद की गरिमा पर कालिख पोत दी।

3. झूठे आरोप लगाकर उसने अपने दोस्त के चेहरे पर कालिख पोत दी।

4. बहू को घर से निकालकर ससुराल वालों ने अपनी इज्जत पर कालिख पोत दी।

5. परीक्षा में नकल करके राम ने अपने शिक्षक के विश्वास पर कालिख पोत दी।

6. लालच में आकर गलत रास्ता चुनकर उसने अपने कुल पर कालिख पोत दी।

7. दहेज मांगकर दूल्हे ने अपने विवाह की खुशी पर कालिख पोत दी।

8. झूठ बोलकर अपने भाई के नाम पर कालिख पोतना अच्छी बात नहीं है।

9. बिना सच जाने किसी पर आरोप लगाना, उसके चेहरे पर कालिख पोतने जैसा है।

10. भाई ने जुआ खेलकर पिता के नाम पर कालिख पोत दी।

11. धोखाधड़ी करके व्यापारी ने अपने व्यवसाय की साख पर कालिख पोत दी।

12. फेसबुक पर झूठी बातें फैलाकर उसने अपने मित्र की छवि पर कालिख पोत दी।

13. समाज में बुरा कार्य कर व्यक्ति ने अपने खानदान पर कालिख पोत दी।

14. गाँव में चोरी की घटना ने पूरे गाँव के नाम पर कालिख पोत दी।

15. भ्रष्टाचार में शामिल होकर नेता ने देश के नाम पर कालिख पोत दी।


निष्कर्ष:

“कालिख पोतना” एक शक्तिशाली मुहावरा है, जो भारतीय समाज में व्यक्ति की प्रतिष्ठा और उसके कार्यों की जिम्मेदारी का बोध कराता है। यह हमें यह सिखाता है कि हमारे गलत कार्य न केवल हमें बल्कि हमारे परिवार और समाज को भी बदनाम कर सकते हैं। इसलिए हमें सदैव सत्य, ईमानदारी और अच्छे आचरण का पालन करना चाहिए ताकि कभी हमारे नाम पर ‘कालिख’ न लगे। हमें दूसरों की प्रतिष्ठा का भी सम्मान करना चाहिए ताकि अनजाने में भी किसी के चेहरे पर हम ‘कालिख’ न पोत दें। यही इस मुहावरे की सबसे बड़ी शिक्षा है।




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