“आशीर्वाद” शब्द का अर्थ क्या होता है / What Is The Meaning Of Blessing In Hindi

  Ashirwad Ka Arth/Matlab Kya Hota Hai / आशीर्वाद किसे कहते हैं? / आशीर्वाद देने का मतलब क्या होता है? 1.आशीर्वाद शब्द का मूल अर्थ: “आशीर्वाद” संस्कृत शब्द है। ‘आशिष्’ = शुभकामना, अच्छी इच्छा ‘वाद’ = वाणी, शब्द अर्थात आशीर्वाद का अर्थ है किसी व्यक्ति को शुभ और मंगल की कामना करना। यह वह शब्द या भावना है जिसमें हम किसी के जीवन में सुख, सफलता, स्वास्थ्य, दीर्घायु और शांति की कामना करते हैं। 2.आशीर्वाद क्यों दिया जाता है? मनुष्य सामाजिक प्राणी है, और उसका जीवन परिवार, समाज और संस्कृति से जुड़ा है। जब हम किसी को आशीर्वाद देते हैं: *हम उसके लिए सकारात्मक ऊर्जा भेजते हैं। *यह दुआ या प्रार्थना का कार्य करता है। *बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद अनुभव और प्रेम का संचार करता है। *यह व्यक्ति के आत्मविश्वास को बढ़ाता है। उदाहरण : परीक्षा देने जा रहे बच्चे को माता-पिता कहते हैं: “ईश्वर तुम्हें सफलता दे” यह आशीर्वाद उसके आत्मबल को बढ़ाता है। 3.आशीर्वाद के प्रकार: *शब्दों द्वारा आशीर्वाद – जैसे “सुखी रहो”, “दीर्घायु हो”, “सदा स्वस्थ रहो”। *हाथ रखकर आशीर्वाद देना – सिर पर हाथ रखना सकारात्मक ऊर्जा का संच...

“कंठ का हार होना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kanth Ka Haar Hona Meaning In Hindi


Kanth Ka Har Hona Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / कंठ का हार होना मुहावरे का क्या अर्थ होता है?

 

“कंठ का हार होना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kanth Ka Haar Hona Meaning In Hindi
Kanth Ka Har Hona


मुहावरा- “कंठ का हार होना”।

( Muhavara- Kanth Ka Haar Hona )


अर्थ- अत्यधिक प्रिय होना, बहुत अधिक स्नेह या प्रेम का पात्र होना।

( Arth/Meaning In Hindi- Atyadhik Priya Hona / Bahut Adhik Sneh Ya Prem Ka Patra Hona )



“कंठ का हार होना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


परिचय:

हिंदी भाषा में मुहावरे हमारी अभिव्यक्ति को सुंदर, सजीव और प्रभावशाली बनाते हैं। ये न केवल भाषा को सजीव बनाते हैं, बल्कि बोलचाल और लेखन में भावनाओं को गहराई से व्यक्त करने का भी माध्यम बनते हैं। मुहावरों का प्रयोग साहित्य, बोलचाल, पत्र-पत्रिका, लेख और भाषणों में आमतौर पर किया जाता है।

इन्हीं में से एक प्रमुख और सुंदर मुहावरा है – “कंठ का हार होना।”


मुहावरे का अर्थ:

"कंठ का हार होना" का शाब्दिक अर्थ है – गले का हार बन जाना।

लेकिन मुहावरे के रूप में इसका अर्थ है – कोई व्यक्ति या वस्तु अत्यंत प्रिय होना, किसी के अत्यधिक निकट और स्नेहपूर्ण संबंध में होना।

जैसे कोई आभूषण गले में लटकता है और प्रिय होता है, वैसे ही कोई व्यक्ति हृदय के अत्यंत समीप, प्रिय और आवश्यक हो जाता है।


उदाहरण:

1. राधा अपने माता-पिता की कंठ की हार थी।

(अर्थ: राधा अपने माता-पिता को अत्यंत प्रिय थी।)

2. वो पुराना रेडियो तो दादी माँ के कंठ का हार था, उसे कोई छू भी नहीं सकता था।

(अर्थ: दादी माँ को वह रेडियो अत्यंत प्रिय था।)

3. उसके शब्द इतने मधुर थे कि हर श्रोता के कंठ का हार बन जाते थे।

(अर्थ: वह सबको बहुत पसंद आता था।)


मुहावरे की व्याख्या:

यह मुहावरा हिंदी भाषा की काव्यात्मकता और सांस्कृतिक प्रतीकों से जुड़ा है। गहनों में गले का हार एक अत्यंत प्रिय और महत्वपूर्ण आभूषण होता है जिसे लोग सहेज कर रखते हैं। गले का हार शरीर से जुड़ा होता है और हमेशा पास रहता है। यही विचार इस मुहावरे में अंतर्निहित है।

जिस प्रकार हार गले से चिपका होता है और उसकी शोभा बढ़ाता है, ठीक उसी तरह कोई प्रिय व्यक्ति, वस्तु या स्मृति किसी के जीवन में इस हद तक रच-बस जाती है कि वह जीवन का अभिन्न अंग बन जाती है।

यह मुहावरा केवल प्रेम संबंधों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रयोग भावनात्मक लगाव, अत्यधिक पसंद या आत्मीयता को दर्शाने के लिए भी होता है। यह साहित्यिक और भावनात्मक दोनों ही दृष्टियों से अत्यंत समृद्ध मुहावरा है।


सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ:

भारतीय संस्कृति में हार का विशेष महत्व है। विवाह, उत्सव, धार्मिक अवसरों और सम्मान समारोहों में हार पहनना या पहनाना एक स्नेह और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। हार गले से जुड़ा होता है, इसलिए वह प्रियता और आत्मीयता का द्योतक बनता है।

जब किसी को ‘कंठ का हार’ कहा जाता है, तो इसका अर्थ है – वह व्यक्ति या वस्तु उतनी ही प्रिय है जितनी कि गले की शोभा बढ़ाने वाला हार। यह संबंध केवल बाह्य नहीं, बल्कि हृदय की गहराइयों से जुड़ा होता है।


भावनात्मक पक्ष:

यह मुहावरा भावनाओं की गहराई को दर्शाता है। यह बताता है कि किसी के जीवन में कोई इतना जरूरी हो सकता है कि उसके बिना जीवन की कल्पना अधूरी लगे। यह मुहावरा उस व्यक्ति की उपस्थिति को सम्मान और स्नेह के रूप में स्वीकार करता है।

उदाहरणस्वरूप, माता-पिता के लिए संतान "कंठ का हार" होती है, प्रेमियों के लिए एक-दूसरे की उपस्थिति, शिक्षक के लिए प्रिय शिष्य, कलाकार के लिए उसकी कला, सैनिक के लिए उसका देश – ये सभी उदाहरण इस मुहावरे की भावनात्मक व्याख्या को स्पष्ट करते हैं।


साहित्यिक उपयोग:

हिंदी साहित्य में कवियों और लेखकों ने इस मुहावरे का प्रयोग अपनी रचनाओं में भावनाओं को प्रकट करने के लिए किया है। खासकर प्रेम, आत्मीयता और स्नेह को प्रकट करने वाले साहित्य में इस मुहावरे की गूंज स्पष्ट रूप से सुनाई देती है।


उदाहरण:

कबीर, तुलसीदास, सूरदास जैसे संत कवियों ने अपने भजनों और पदों में भगवान को अपने हृदय का हार कहा है, जो उनकी भक्ति की चरम अवस्था को दर्शाता है।


शब्दों का सौंदर्य और मुहावरे का स्थान:

"कंठ का हार होना" न केवल अर्थ में सुंदर है, बल्कि इसका ध्वनि-सौंदर्य भी इसे विशिष्ट बनाता है। "कंठ" और "हार" जैसे शब्दों का मेल एक सुंदर बिंब उत्पन्न करता है, जिससे यह मुहावरा सुनने में भी आकर्षक लगता है। इसीलिए यह मुहावरा न केवल सामान्य भाषा में बल्कि कविता, कहानी और उपन्यासों में भी प्रमुखता से स्थान पाता है।


"कंठ का हार होना" मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Kanth Ka Har Hona Muhavare Ka Vakya Prayog. 


1. माँ के लिए उसका बेटा कंठ का हार है।

2. दादी के पुराने गहने उनके लिए कंठ का हार बन चुके हैं।

3. वह पुरानी डायरी मेरे जीवन की कंठ की हार है।

4. गुरु के लिए उसका शिष्य कंठ का हार बन गया था।

5. वह तस्वीर उसके दिल की कंठ की हार बन गई थी।

6. अपने देश की मिट्टी हर सच्चे नागरिक की कंठ की हार होती है।

7. प्रेमी के शब्द प्रेयसी के मन की कंठ की हार बन गए।

8. वह गीत लोगों के दिलों की कंठ की हार बन गया।

9. बचपन की यादें हर किसी के जीवन की कंठ की हार होती हैं।

10. वह पुस्तक लेखक की आत्मा की कंठ की हार थी।

11. छोटे-छोटे खिलौने भी बच्चों के लिए कंठ का हार होते हैं।

12. राम के लिए सीता कंठ की हार थीं।

13. गायकों के लिए संगीत कंठ का हार होता है।

14. सैनिकों के लिए तिरंगा उनके जीवन का कंठ का हार होता है।

15. भगवान कृष्ण राधा के हृदय की कंठ की हार थे।


निष्कर्ष:

"कंठ का हार होना" एक अत्यंत सुंदर, भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध मुहावरा है। यह केवल किसी को प्रिय बताने का तरीका नहीं, बल्कि गहराई से जुड़ी आत्मीयता और स्नेह को प्रकट करने का सशक्त माध्यम है।

इस मुहावरे का प्रयोग करके हम अपने विचारों को अधिक भावुक, प्रभावशाली और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध बना सकते हैं। हिंदी भाषा की यही विशेषता है कि वह मुहावरों के माध्यम से हमारे विचारों को एक नए आयाम में प्रस्तुत करती है। 



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