“कसर बाकी न रखना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kasar Baki Na Rakhna Meaning In Hindi

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  Kasar Baki Na Rakhna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / कसर बाकी न रखना मुहावरे का क्या मतलब होता है?   Kasar Baki Na Rakhna मुहावरा- “कसर बाकी न रखना”। (Muhavara- Kasar Baki Na Rakhna) अर्थ- कार्य में कोई कमी न रखना / अपनी ओर से पुरा प्रयत्न करना । (Arth/Meaning In Hindi- Karya Me Koi Kami Na Rakhna / Apani Or Se Pura Prayatna Karna)  “कसर बाकी न रखना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है- अर्थ: इस मुहावरे का अर्थ है – कोई भी कमी न छोड़ना, पूरी मेहनत करना, अपनी ओर से पूरी कोशिश कर देना। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जब कोई व्यक्ति किसी काम को पूरे मन, पूरी ताकत और पूरे समर्पण के साथ करता है ताकि उस कार्य में कोई कमी या अधूरापन न रह जाए, तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है। विस्तृत व्याख्या: हमारे जीवन में जब हम किसी बड़े लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं, तो उसमें मेहनत और लगन सबसे अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। बहुत बार ऐसा होता है कि लोग आधी मेहनत करके काम को अधूरा छोड़ देते हैं, जिससे सफलता प्राप्त नहीं हो पाती। “कसर बाकी न रखना” मुहावरा हमें यह सिखाता है कि किसी भी काम ...

"अति किसी भी चीज की बुरी होती है” / Ati Kisi Bhi Chij Ki Buri Hoti Hai Meaning In Hindi

 

Ati Kisi Bhi Chij Ki Buri Hoti Hai Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / "अति किसी भी चीज की बुरी होती है" मुहावरे का क्या अर्थ होता है?

 

"अति किसी भी चीज की बुरी होती है” / Ati Kisi Bhi Chij Ki Buri Hoti Hai Meaning In Hindi
Ati Kisi Bhi Chij Ki Buri Hoti Hai


मुहावरा- "अति किसी भी चीज की बुरी होती है"।

(Muhavara- Ati Kisi Bhi Chij Ki Buri Hoti Hai)


अर्थ- किसी भी चीज को अत्यधिक मात्रा में करना हानिकारक होता है।

(Arth/Meaning in Hindi- Kisi Bhi Chij Ko Atyadhik Matra Me Karna Hanikarak Hota Hai)




"अति किसी भी चीज की बुरी होती है" मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


"अति किसी भी चीज की बुरी होती है" यह प्रसिद्ध हिंदी मुहावरा जीवन के संतुलन और संयम की महत्ता को दर्शाता है। इसका सीधा अर्थ है कि किसी भी चीज की अधिकता, चाहे वह अच्छी हो या बुरी, अंततः नुकसानदायक साबित होती है। यह मुहावरा हमें सिखाता है कि हर चीज एक सीमा में ही उचित और लाभदायक होती है, लेकिन जब हम उस सीमा को पार कर जाते हैं, तो वही चीज हमारे लिए हानिकारक बन जाती है।


मुहावरे का अर्थ और संदर्भ:

इस मुहावरे का अर्थ है कि जीवन में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। जब हम किसी भी कार्य, आदत, भावना, या वस्तु में अति कर देते हैं, तो उसका परिणाम नकारात्मक हो सकता है। उदाहरण के लिए, भोजन करना जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन अति भोजन करने से स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। इसी तरह, परिश्रम करना सफलता के लिए जरूरी है, लेकिन अति परिश्रम से शरीर और मन दोनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।


यह मुहावरा हमें यह भी सिखाता है कि हर चीज का एक उचित मापदंड होता है। यदि हम उस मापदंड से आगे बढ़ते हैं, तो वह चीज लाभकारी होने के बजाय हानिकारक बन जाती है। यह बात न केवल भौतिक चीजों पर लागू होती है, बल्कि भावनाओं और व्यवहारों पर भी लागू होती है। अत्यधिक गुस्सा, प्रेम, लोभ, ईर्ष्या, या अहंकार — ये सभी भावनाएं जब नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं, तो रिश्तों और जीवन में समस्याएं खड़ी कर देती हैं।


विभिन्न दृष्टिकोणों से व्याख्या:


1. स्वास्थ्य और जीवनशैली में अति:

भोजन, व्यायाम, नींद — ये सभी चीजें शरीर के लिए आवश्यक हैं। लेकिन अधिक खाना मोटापे और बीमारियों का कारण बन सकता है, अधिक व्यायाम करने से मांसपेशियों पर असर पड़ सकता है, और अधिक सोने से आलस्य बढ़ता है। इसी तरह, कम खाना, कम व्यायाम, या कम सोना भी हानिकारक है। इसलिए, संतुलन बनाए रखना जरूरी है।


2. भावनाओं में अति:

प्यार, क्रोध, खुशी, दुख — ये सभी भावनाएं स्वाभाविक हैं, लेकिन जब इनकी अति होती है, तो व्यक्ति का स्वभाव बिगड़ सकता है। उदाहरण के लिए, अत्यधिक प्रेम कभी-कभी अंधभक्ति बन जाता है, जिससे व्यक्ति सही-गलत का आकलन नहीं कर पाता। इसी तरह, अत्यधिक क्रोध रिश्तों को नष्ट कर सकता है।


3. संपत्ति और धन की अति:

धन कमाना और संपत्ति जोड़ना सभी की इच्छा होती है। लेकिन धन का लोभ जब हद से बढ़ जाता है, तो इंसान गलत रास्तों पर चलने लगता है। अधिक धन होने पर भी अगर इंसान संतोषी नहीं है, तो वह हमेशा तनाव में रहेगा। इसलिए, आवश्यकता से अधिक धन और संपत्ति की चाहत भी दुख का कारण बन सकती है।


4. ज्ञान और महत्वाकांक्षा की अति:

ज्ञान प्राप्त करना जरूरी है, लेकिन ज्ञान का घमंड और अहंकार व्यक्ति को दूसरों से दूर कर सकता है। इसी तरह, महत्वाकांक्षा होना अच्छा है, लेकिन जब यह लालच और अति प्रतिस्पर्धा में बदल जाती है, तो मनुष्य अपनी नैतिकता और मूल्यों को भूलकर गलत रास्तों पर चल सकता है।


प्रेरक उदाहरण और कहानियां


1. राजा मिदास की कहानी:

प्राचीन ग्रीक कथा में राजा मिदास को सोने से अत्यधिक प्रेम था। उसने भगवान से वरदान मांगा कि वह जिस चीज को छुए, वह सोना बन जाए। उसका यह लालच अंत में उसके लिए अभिशाप बन गया, क्योंकि उसका भोजन और प्रियजन भी सोने में बदल गए। यह कहानी इस मुहावरे का सटीक उदाहरण है।


2. भीष्म पितामह का त्याग:

महाभारत में भीष्म पितामह ने अपने पिता की खुशी के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया। हालांकि उनका त्याग महान था, लेकिन उनकी अति निष्ठा और प्रतिज्ञा ने अंततः कुरुवंश को विनाश की ओर धकेल दिया। यह उदाहरण दर्शाता है कि अति भलाइयों की भी बुरी परिणति हो सकती है।



"अति किसी भी चीज की बुरी होती है" मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Ati Kisi Bhi Chij Ki Buri Hoti Hai Muhavare Ka Vakya Prayog. 


1. पढ़ाई करना अच्छा है, लेकिन अति करने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है, क्योंकि अति किसी भी चीज की बुरी होती है।

2. मीठा खाना सबको पसंद होता है, लेकिन ज्यादा खाने से बीमारियाँ हो सकती हैं — अति किसी भी चीज की बुरी होती है।

3. अधिक धन कमाने की लालसा में कुछ लोग गलत रास्ता अपनाते हैं, पर वे भूल जाते हैं कि अति किसी भी चीज की बुरी होती है।

4. जरूरत से ज्यादा सोने से आलस्य बढ़ता है, अति किसी भी चीज की बुरी होती है।

5. गुस्सा आना स्वाभाविक है, मगर क्रोध की अति रिश्ते बिगाड़ देती है, इसलिए अति किसी भी चीज की बुरी होती है।

6. मनोरंजन जरूरी है, पर उसमें डूबे रहना समय की बर्बादी है — अति किसी भी चीज की बुरी होती है।

7. अधिक विश्वास कभी-कभी धोखे का कारण बन जाता है, अति किसी भी चीज की बुरी होती है।

8. स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम जरूरी है, लेकिन ज्यादा करने से शरीर पर उल्टा असर पड़ सकता है, अति किसी भी चीज की बुरी होती है।

9. मदद करना अच्छा काम है, लेकिन जब मदद की अति हो जाए, तो लोग उसका फायदा उठाने लगते हैं — अति किसी भी चीज की बुरी होती है।

10. ईर्ष्या अगर हद से बढ़ जाए, तो यह व्यक्ति को अंदर से खोखला कर देती है, अति किसी भी चीज की बुरी होती है।

11. तकनीक का इस्तेमाल जरूरी है, मगर अधिक स्क्रीन टाइम से आंखों और दिमाग पर बुरा असर पड़ता है, अति किसी भी चीज की बुरी होती है।

12. महत्वाकांक्षा अच्छी बात है, लेकिन जब यह लालच में बदल जाए, तो नुकसान ही होता है — अति किसी भी चीज की बुरी होती है।

13. दोस्तों से मेल-जोल रखना अच्छा है, मगर हर वक्त घूमना-फिरना पढ़ाई और काम पर असर डाल सकता है, अति किसी भी चीज की बुरी होती है।

14. पानी पीना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, लेकिन ज्यादा पानी पीना भी नुकसानदायक हो सकता है — अति किसी भी चीज की बुरी होती है।

15. प्रेम एक खूबसूरत भावना है, मगर जब इसकी अति हो जाए, तो यह इंसान को कमजोर बना देती है, अति किसी भी चीज की बुरी होती है।


निष्कर्ष:

"अति किसी भी चीज की बुरी होती है" मुहावरा हमें जीवन में संतुलन और संयम का महत्व सिखाता है। हर चीज की एक सीमा होती है, जिसे पार करने पर वही चीज हानिकारक बन जाती है। चाहे वह भोजन हो, भावनाएं हों, धन हो, या ज्ञान — सभी में संतुलन बनाए रखना ही वास्तविक सुख और सफलता का मार्ग है।


इसलिए, हमें जीवन में "संतुलित जीवनशैली" अपनानी चाहिए, न कि "अति जीवनशैली"। याद रखें, "अधिकता का अंत हमेशा दुःखद होता है।”






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