“अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो” Achhe Ki Asha Rakho Bure Ko Taiyar Raho Meaning In Hindi
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Achhe Ki Asha Rakho Bure Ko Taiyar Raho Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / “अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो” मुहावरे का क्या अर्थ होता है?
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अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो |
मुहावरा- “अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो”।
(Muhavara- Achhe Ki Asha Rakho Bure Ko Taiyar Raho)
अर्थ- सकारात्मक सोच के साथ कठिनाइयों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए ।
(Arth/Meaning in Hindi- Sakaratmak Soch Ke Sath Tanhaiyon Ka Samna Karne Ke Lie Hamesha Taiyar Rahna Chahiye)
“अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
“अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो” यह मुहावरा जीवन में सकारात्मकता और यथार्थवाद का अद्भुत संतुलन दर्शाता है। इसका अर्थ है कि हमें हमेशा अच्छे परिणाम की उम्मीद रखनी चाहिए, लेकिन साथ ही यह भी समझना चाहिए कि परिस्थितियाँ हमारे अनुकूल न भी हो सकती हैं, इसलिए बुरे समय के लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार रहना आवश्यक है।
मुहावरे का अर्थ और भावार्थ:
यह मुहावरा दो महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करता है:
1. सकारात्मक सोच और आशा:
जीवन में आगे बढ़ने और सफलता पाने के लिए आशावादी दृष्टिकोण अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब हम किसी कार्य को आरंभ करते हैं, तो यह विश्वास रखना कि परिणाम अच्छे होंगे, हमें प्रेरणा और ऊर्जा देता है। आशावाद हमें कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।
2. वास्तविकता की समझ और तैयारी:
केवल आशा करने से ही जीवन सफल नहीं बनता। यदि हम यह सोचकर निश्चिंत बैठ जाएँ कि सब कुछ अच्छा ही होगा, और बुरे समय के लिए कोई तैयारी न करें, तो विपरीत परिस्थितियों में हम टूट सकते हैं। इसलिए, बुरे समय के लिए मानसिक, भावनात्मक और व्यवहारिक तैयारी रखना भी आवश्यक है, ताकि जब मुश्किलें आएँ, तो हम उनका डटकर सामना कर सकें।
उदाहरण और व्याख्या:
मान लीजिए, एक छात्र परीक्षा की तैयारी कर रहा है। अगर वह केवल अच्छे परिणाम की आशा रखे, लेकिन पढ़ाई न करे, तो वह असफल हो सकता है। वहीं, अगर वह मेहनत से पढ़ाई करे, अच्छे अंक लाने की उम्मीद रखे और फिर भी नतीजा खराब आ जाए, तो वह पहले से मानसिक रूप से तैयार रहेगा और हार नहीं मानेगा।
इसी तरह, एक व्यापारी को नए व्यवसाय की शुरुआत करते समय लाभ की उम्मीद रखनी चाहिए, लेकिन साथ ही घाटे की संभावना के लिए भी योजना बनानी चाहिए। यदि व्यापार सफल होता है, तो खुशी होगी, और यदि असफलता मिलती है, तो वह पहले से तैयार रहेगा और आगे फिर से प्रयास करेगा।
जीवन में इस मुहावरे का महत्व:
यह मुहावरा हमें जीवन में संतुलन बनाए रखने की सीख देता है।
*आशा और तैयारी का मेल: केवल आशा करना अव्यवहारिक है और केवल बुरे की तैयारी करना नकारात्मकता को जन्म देता है। इसलिए दोनों का सही मिश्रण जीवन को सफल और संतुलित बनाता है।
*संघर्ष और धैर्य: बुरे समय में तैयार रहने से हम निराश नहीं होते, बल्कि धैर्यपूर्वक परिस्थितियों का सामना करते हैं।
*आत्मनिर्भरता: यह सोच कि हम किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते हैं, हमें आत्मनिर्भर और मजबूत बनाती है।
"अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो" मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Achhe Ki Asha Rakho Bure Ko Taiyar Raho Muhavare Ka Vakya Prayog.
1. परीक्षा की तैयारी करते समय रवि ने अच्छे परिणाम की उम्मीद रखी, लेकिन फेल होने की संभावना के लिए भी मानसिक रूप से तैयार रहा — अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो वाली बात सच साबित हुई।
2. किसान ने फसल अच्छी होने की प्रार्थना की, मगर सूखा पड़ने की स्थिति में उसने पहले से अनाज बचाकर रख लिया, अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो का अच्छा उदाहरण है।
3. जीवन में आगे बढ़ने के लिए अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो का मंत्र अपनाना जरूरी है।
4. रमेश ने नई नौकरी की उम्मीद तो की, लेकिन पुरानी नौकरी छूटने के डर से उसने दूसरा विकल्प भी खुला रखा — अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो सही साबित हुआ।
5. डॉक्टर ने मरीज़ के जल्द ठीक होने की उम्मीद जताई, लेकिन परिवार को मुश्किल हालात के लिए भी तैयार रहने को कहा — यह अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो का उदाहरण है।
6. व्यापारी ने मुनाफे की उम्मीद में नया व्यापार शुरू किया, लेकिन घाटे से बचने के लिए अतिरिक्त पूंजी भी संभालकर रखी — अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो की सोच काम आई।
7. सैनिक हमेशा युद्ध न होने की कामना करते हैं, मगर वे हर हालात के लिए तैयार रहते हैं — यही अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो का असली रूप है।
8. बारिश के मौसम में पिकनिक की योजना बनाते हुए बच्चों ने धूप की उम्मीद की, लेकिन छाता और बरसाती भी साथ ले गए — अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो की समझदारी दिखाई।
9. लेखक ने अपनी किताब की सफलता की उम्मीद की, मगर असफलता की स्थिति में अगली किताब की तैयारी भी शुरू रखी — यह अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो का बेहतरीन उदाहरण है।
10. परीक्षार्थी ने टॉप करने की उम्मीद रखी, लेकिन अगर कम नंबर आए तो आगे की योजना भी बना ली — अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो उस पर सही बैठा।
11. दादा जी ने हमेशा हमें सिखाया कि अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो, ताकि जीवन में किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकें।
12. टीम ने मैच जीतने की उम्मीद रखी, लेकिन हार के लिए भी मानसिक रूप से तैयार थी — अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो का सही सबक सीखा।
13. यात्रा पर निकलने से पहले मौसम साफ होने की उम्मीद थी, मगर खराब मौसम के लिए जरूरी सामान भी साथ रखा — यह अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो की समझदारी थी।
14. नई नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जा रही सीमा ने सफलता की उम्मीद की, लेकिन असफलता की स्थिति में दूसरा विकल्प भी तैयार रखा — अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो का बेहतरीन उदाहरण है।
15. मछुआरे ने बड़ी मछली पकड़ने की उम्मीद रखी, मगर खाली हाथ लौटने की स्थिति के लिए खाने का इंतजाम भी कर लिया — अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो उसकी सूझबूझ दिखाता है।
निष्कर्ष:
"अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो" एक गहरा और प्रेरणादायक मुहावरा है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में सकारात्मक सोच और व्यावहारिक तैयारी दोनों ही जरूरी हैं। न तो अति आशावाद अच्छा है और न ही निराशावाद। संतुलित दृष्टिकोण ही जीवन को सफल और सुखमय बनाता है।
“अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो” इस मुहावरे पर आधारित एक प्रेरक कहानी इस प्रकार है-
साहिल की तैयारी:
साहिल एक छोटे से गाँव का होनहार लड़का था। उसकी सबसे बड़ी ख्वाहिश थी कि वह डॉक्टर बने और अपने गाँव के लोगों का इलाज करे। उसके पिता किसान थे, जो दिन-रात मेहनत करके घर का खर्च चलाते थे। साहिल पढ़ाई में बहुत अच्छा था, लेकिन मेडिकल कॉलेज की फीस भरना उनके परिवार के लिए आसान नहीं था।
साहिल ने ठान लिया कि वह मेडिकल की परीक्षा जरूर पास करेगा। वह रोज़ देर रात तक पढ़ाई करता, सुबह सूरज उगने से पहले उठ जाता, और हर विषय पर गहराई से मेहनत करता। उसके मन में हमेशा एक उम्मीद थी — "अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो।"
उसने अच्छे नंबर लाने की पूरी तैयारी कर ली, लेकिन साथ ही यह भी सोचा कि अगर वह सफल न हुआ, तो हिम्मत नहीं हारेगा। उसने दूसरी परीक्षाओं के लिए भी तैयारी शुरू कर दी, ताकि कोई भी परिस्थिति आए, वह पीछे न हटे।
परीक्षा और परिणाम:
आखिरकार परीक्षा का दिन आ गया। साहिल ने पूरा आत्मविश्वास दिखाया और अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया। उसके माता-पिता और गाँव के लोग सभी उसके अच्छे परिणाम की आशा कर रहे थे।
जब परिणाम आया, तो साहिल ने परीक्षा पास कर ली, मगर उसकी रैंक इतनी अच्छी नहीं आई कि उसे सरकारी कॉलेज में सीट मिल सके। प्राइवेट कॉलेज की फीस बहुत ज्यादा थी, जिसे साहिल के पिता चुका नहीं सकते थे।
साहिल थोड़ा दुखी हुआ, मगर उसने हिम्मत नहीं हारी। उसे याद था — "अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो।"
साहिल ने पहले से ही दूसरा रास्ता सोच रखा था। उसने फार्मेसी की परीक्षा भी दी थी और उसमें शानदार रैंक हासिल की थी। उसे एक अच्छे कॉलेज में दाखिला मिल गया। उसने ठान लिया कि वह पहले फार्मासिस्ट बनेगा, पैसे कमाएगा, और फिर आगे डॉक्टर बनने के लिए दोबारा कोशिश करेगा।
सफलता की नई शुरुआत:
साहिल ने मेहनत जारी रखी। उसने फार्मेसी की पढ़ाई के साथ-साथ गरीबों के लिए मुफ्त दवाइयाँ बाँटने का काम भी शुरू किया। उसकी ईमानदारी और मेहनत ने उसे गाँव में हीरो बना दिया।
कुछ साल बाद, उसने अपनी पढ़ाई पूरी की, खुद का मेडिकल स्टोर खोला और साथ ही मेडिकल कॉलेज की तैयारी फिर से शुरू की। इस बार उसने न केवल परीक्षा पास की, बल्कि सरकारी सीट भी हासिल कर ली।
आज साहिल एक सफल डॉक्टर है, जो अपने गाँव में निःस्वार्थ भाव से सेवा कर रहा है। उसने साबित कर दिया कि "अच्छे की आशा रखो, बुरे को तैयार रहो" सिर्फ एक कहावत नहीं, बल्कि जीवन का मूल मंत्र है।
सीख:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में हमें हमेशा अच्छे की उम्मीद रखनी चाहिए, लेकिन बुरे समय के लिए भी तैयार रहना चाहिए। अगर साहिल ने पहले से दूसरी योजना न बनाई होती, तो वह हार मानकर बैठ जाता। मगर उसने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत से सफलता हासिल की।
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