"आव देखा न ताव” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Aav Dekha Na Taav Meaning In Hindi
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Aav Dekha Na Taav Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / आव देखा न ताव मुहावरे का अर्थ क्या होता है?
मुहावरा- "आव देखा न ताव" ।
( Muhavara- Aav Dekha Na Taav )
अर्थ- बिना सोचे बिचारे / बिना विचार-विमर्श के जल्दबाजी में प्रतिक्रिया देना ।
( Arth/Meaning in Hindi- Bina Soche Bichare / Bina Bichar Vimarsha Ke Jaldbaji Me Pratikriya Dena )
"आव देखा न ताव” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
"आव देखा न ताव" हिंदी भाषा का एक प्रसिद्ध मुहावरा है, जिसका उपयोग अक्सर जल्दबाजी में, बिना सोचे-समझे किए गए कार्य या प्रतिक्रिया को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। यह मुहावरा आम बोलचाल में और साहित्य में व्यापक रूप से प्रयोग होता है। इस लेख में हम इस मुहावरे का अर्थ, व्याख्या, और विभिन्न संदर्भों में इसके उपयोग को विस्तार से समझेंगे।
"आव देखा न ताव" का अर्थ
मुहावरा "आव देखा न ताव" का शाब्दिक अर्थ है किसी काम को करने से पहले बिना किसी तर्क, सोच-विचार या परिणाम पर ध्यान दिए हुए उसे अंजाम देना। इसका उपयोग उन परिस्थितियों में किया जाता है, जहाँ कोई व्यक्ति जल्दबाजी में बिना सोच-विचार के कोई कार्य कर देता है या बिना परिणामों की परवाह किए प्रतिक्रिया देता है।
मुख्य अर्थ:
1. जल्दबाजी में या आवेश में काम करना।
2. बिना परिणामों के बारे में सोचे कार्य करना।
संदर्भ:
इस मुहावरे में "आव" का अर्थ है "हवा" या "स्थिति," और "ताव" का अर्थ है "जोश" या "गर्मी।" इसका तात्पर्य यह है कि व्यक्ति ने स्थिति की परवाह किए बिना केवल जोश या गुस्से में आकर प्रतिक्रिया दी।
"आव देखा न ताव" का प्रयोग और व्याख्या
यह मुहावरा विभिन्न संदर्भों में प्रयोग किया जाता है। आइए इसके कुछ प्रमुख पहलुओं को समझें।
1. गुस्से या आवेश में प्रतिक्रिया
जब कोई व्यक्ति गुस्से में आकर बिना स्थिति को समझे तुरंत कोई प्रतिक्रिया देता है, तब इस मुहावरे का प्रयोग होता है।
उदाहरण:
राम ने गुस्से में आव देखा न ताव, और श्याम पर हाथ उठा दिया।
यहाँ राम ने बिना सोचे-समझे आवेश में प्रतिक्रिया दी।
2. जल्दबाजी में लिया गया निर्णय
कई बार लोग जल्दीबाजी में कोई फैसला लेते हैं, जिसका परिणाम नुकसानदायक हो सकता है।
उदाहरण:
सुरेश ने आव देखा न ताव और बिना योजना बनाए यात्रा पर निकल पड़ा।
इसका मतलब है कि सुरेश ने बिना सोचे समझे और योजना बनाए तुरंत निर्णय लिया।
3. खतरनाक स्थिति में बिना विचारे कदम उठाना
जब कोई व्यक्ति खतरनाक स्थिति में बिना उसके परिणामों को समझे कदम उठाता है।
उदाहरण:
आग लगते ही, उसने आव देखा न ताव और घर में कूदकर लोगों को बचाने लगा।
इस वाक्य में व्यक्ति की जल्दबाजी और साहस को दिखाया गया है।
4. समाज और रिश्तों में प्रयोग
कभी-कभी रिश्तों में लोग बिना दूसरे व्यक्ति की भावना समझे प्रतिक्रिया दे देते हैं।
उदाहरण:
सीमा ने आव देखा न ताव और अपने दोस्त की बात काट दी।
5. युद्ध या संघर्ष में प्रयोग
युद्ध और संघर्ष में जल्दबाजी और आवेश में किए गए कार्यों को भी इस मुहावरे से व्यक्त किया जा सकता है।
उदाहरण:
सैनिकों ने आव देखा न ताव और दुश्मन पर धावा बोल दिया।
"आव देखा न ताव" के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू
सकारात्मक पक्ष
1. साहस और निडरता:
यह मुहावरा साहसिक कार्यों को भी दर्शा सकता है, जैसे किसी खतरे से तुरंत निपटना।
उदाहरण: एक व्यक्ति ने आव देखा न ताव और डूबते हुए बच्चे को बचाने के लिए पानी में कूद गया।
2. त्वरित प्रतिक्रिया:
कुछ परिस्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया देना आवश्यक होता है। इस मुहावरे का उपयोग ऐसे संदर्भों में सकारात्मक रूप से किया जा सकता है।
नकारात्मक पक्ष
1. जल्दबाजी के परिणाम:
कई बार जल्दबाजी में लिए गए निर्णय नुकसानदायक होते हैं।
उदाहरण: उसने आव देखा न ताव और बिना दस्तावेज़ देखे अनुबंध पर हस्ताक्षर कर दिए।
2. परिणामों की अनदेखी:
यह मुहावरा उन स्थितियों को भी दर्शाता है, जहाँ बिना सोच-विचार के किए गए कार्यों का परिणाम नकारात्मक होता है।
साहित्य और "आव देखा न ताव"
हिंदी साहित्य में "आव देखा न ताव" मुहावरे का उपयोग कई लेखकों और कवियों ने किया है। यह पात्रों की भावनाओं और उनके त्वरित कार्यों को व्यक्त करने के लिए उपयुक्त है।
उदाहरण:
प्रेमचंद की कहानियों में यह मुहावरा उन पात्रों के लिए उपयोग किया गया है, जो गरीबी या अन्याय के खिलाफ तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं।
"आव देखा न ताव" के उपयोग के अन्य संदर्भ
1. दैनिक जीवन
हमारे दैनिक जीवन में यह मुहावरा सामान्यतः उन लोगों के लिए उपयोग किया जाता है, जो जल्दबाजी में निर्णय लेते हैं।
2. फिल्म और टेलीविजन
फिल्मों और धारावाहिकों में यह मुहावरा नायकों के साहसिक कार्यों को दिखाने के लिए उपयुक्त है।
3. राजनीति
राजनीति में भी यह मुहावरा नेताओं की त्वरित प्रतिक्रिया या निर्णयों को व्यक्त करने के लिए उपयोग किया जाता है।
“आव देखा न ताव” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Aav Dekha Na Taav Muhavare Ka Vakya Prayog.
1. गुस्से में आकर उसने आव देखा न ताव और अपने दोस्त से लड़ाई शुरू कर दी।
2. पुलिस ने आव देखा न ताव और चोर को पकड़ने के लिए तुरंत दौड़ लगा दी।
3. उसने आव देखा न ताव और बिना वजह अपने शिक्षक को जवाब दे दिया।
4. आग लगते ही फायर ब्रिगेड ने आव देखा न ताव और तुरंत आग बुझानी शुरू कर दी।
5. बच्चों ने आव देखा न ताव और बिना अनुमति के मिठाई खाने लगे।
6. झगड़े के बीच उसने आव देखा न ताव और अपने प्रतिद्वंद्वी को धक्का दे दिया।
7. उसने आव देखा न ताव और ऑफिस का काम घर पर छोड़कर छुट्टी पर चला गया।
8. परीक्षा में फेल होते ही उसने आव देखा न ताव और किताबें फाड़ दीं।
9. चोरी होते देख व्यक्ति ने आव देखा न ताव और चोर के पीछे भागा।
10. बहस के दौरान उसने आव देखा न ताव और अपने भाई को अपशब्द कह दिए।
11. गुस्से में उसने आव देखा न ताव और अपनी बाइक दीवार से टकरा दी।
12. मछुआरे ने आव देखा न ताव और डूबते नाविक को बचाने के लिए समुद्र में छलांग लगा दी।
13. बच्चा डरकर आव देखा न ताव और जोर-जोर से रोने लगा।
14. मैच हारते ही खिलाड़ियों ने आव देखा न ताव और विरोधी टीम पर आरोप लगाने शुरू कर दिए।
15. पड़ोसी ने आव देखा न ताव और मामूली झगड़े में पुलिस बुला ली।
16. गाड़ी दुर्घटना होते ही ड्राइवर ने आव देखा न ताव और गाड़ी छोड़कर भाग गया।
17. बारिश शुरू होते ही उसने आव देखा न ताव और छतरी खोल ली।
18. उसने आव देखा न ताव और बिना पूछे दूसरे के मोबाइल का इस्तेमाल कर लिया।
19. बहन ने आव देखा न ताव और भाई को डांटना शुरू कर दिया।
20. शादी में देर होते ही लड़के वालों ने आव देखा न ताव और रिश्ता तोड़ने की धमकी दे दी।
21. भूख लगते ही बच्चों ने आव देखा न ताव और खाना छीनकर खाने लगे।
22. ग्राहक ने आव देखा न ताव और दुकान वाले को गाली देनी शुरू कर दी।
23. डांट पड़ते ही उसने आव देखा न ताव और घर छोड़कर भागने की धमकी दे दी।
24. छात्र ने परीक्षा में प्रश्न कठिन देखकर आव देखा न ताव और पेन फेंक दिया।
25. दुर्घटना होते देख राहगीर ने आव देखा न ताव और घायल को अस्पताल पहुंचाया।
निष्कर्ष
"आव देखा न ताव" एक ऐसा मुहावरा है, जो हिंदी भाषा को भावनात्मक और अभिव्यक्तिपूर्ण बनाता है। यह जल्दबाजी, आवेश, और त्वरित प्रतिक्रिया को दर्शाने के लिए उपयुक्त है। इस मुहावरे का सही उपयोग संवाद और लेखन को अधिक प्रभावशाली बना सकता है।
इस मुहावरे से हमें यह सीख मिलती है कि जल्दबाजी में किए गए कार्यों के परिणाम अच्छे या बुरे दोनों हो सकते हैं। इसलिए, हमें हमेशा सोच-समझकर निर्णय लेना चाहिए।
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