“कबाब में हड्डी होना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kabab Mein Haddi Hona Meaning In Hindi

   Kabab Me Haddi Hona Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / कबाब में हड्डी होना मुहावरे का अर्थ क्या होता है?

कलेजे पर पत्थर रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kaleje Par Patthar Rakhna Meaning In Hindi


Kaleje Par Patthar Rakhna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / कलेजे पर पत्थर रखना मुहावरे का अर्थ क्या होता है ? 


 

कलेजे पर पत्थर रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kaleje Par Patthar  Rakhna Meaning In Hindi
कलेजे पर पत्थर रखना



मुहावरा-  “कलेजे पर पत्थर रखना” ।


( Muhavara- Kaleje Par Patthar Rakhna )



अर्थ- अत्यधिक दुःख सहना / बड़े संकट को सहन करना / दुःख में धैर्य रखना / अपने हृदय को कठोर कर लेना


( Arth/Meaning in Hindi- Atyadhik Dukh Sahna / Bade Sankat Ko Sahan Karna / Dukh Me Dhairya Rakhna / Apne Hriday Ko Kathor Kar Lena )





“कलेजे पर पत्थर रखना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


कलेजे पर पत्थर रखना” यह हिंदी भाषा में उपयोग होने वाला एक मुहावरा है । इस मुहावरे का अर्थ अत्यधिक दुःख सहना अथवा किसी बड़े संकट को सहन करना और अपनी व्यथा को न बता पाना होता है ।


इस मुहावरे का यह भी मतलब होता है किसी को ठेस पहुंचाना या किसी के साथ अत्यधिक क्रूरता दिखाना । इस मुहावरे का प्रयोग विशेषकर जब किसी व्यक्ति ने किसी के प्रति अत्याचार या बर्बरता का प्रदर्शन करता है तब किया जाता है । जैसे- उसने अपने साथी के कलेजे पर पत्थर रख दिए, वो भी बिना किसी वजह के । इस वाक्य में यह दिखाया गया है कि व्यक्ति ने अपने साथी के साथ अन्यायपूर्ण रूप से व्यवहार किया है । 



उदाहरण-


रोशन अपने माँ का एकलौता बेटा है । रोशन की माँ ने अपने कलेज़े पर पत्थर रख कर रोशन को फ़ौज में भर्ती होने के लिए जाने दिया । 


रोशन का सपना है कि वो फ़ौज में भर्ती होकर देश की सेवा में अपना योगदान दे । पर ये बात उसकी माँ को पसंद नही है । रोशन की माँ नही चाहती हैं कि रोशन फ़ौज में भर्ती हो । पर रोशन के जिद्द के आगे उनको झुकना पड़ा । रोशन की माँ न चाहते हुए भी अपने कलेजे पर पत्थर रख कर रोशन को फ़ौज में भर्ती होने के लिए जाने दिया । 




“कलेजे पर पत्थर रखना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Kaleje Par Pathar Rakhna Muhavare Ka Vakya Prayog.



कलेजे पर पत्थर रखना” इस मुहावरे का अर्थ नीचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं । जो की इस प्रकार से है-



वाक्य प्रयोग- 1.


होशीला ने कलेजे पर पत्थर रख कर अपने दोनो बेटों को पाल पोष कर बड़ा किया । 


होशीला के पति एक प्राइवेट दफ्तर में काम करते थे । एक दिन घर आते हुए रास्ते में उसके पति का अचानक एक्सीडेंट हो गया । जिसमेें उनके पैर बुरी तरह से खराब हो गये । और डॉक्टर को उनके पैर काटने पड़े । इतनी बड़ी घटना को होशीला ने कलेजे पर पत्थर रख कर सहा । और बिना किसी से अपने दुःख को बताये अपने और अपने बच्चों की सेवा करती रही । होशीला अंदर ही अंदर बहुत रोती थी पर अपने आंशु बाहर नही निकलने देती थी । उसने ये निश्चय किया कि बिना किसी शिकायत के वो दिन रात मेहनत करेगी और अपने बच्चों को पाल पोष कर बड़ा करेगी । अर्थात कि होशीला अपने पति के साथ हुयी घटना को कलेजे पर पत्थर रख कर सहा और अपने पति की सेवा की और अपने दोनो बच्चों को पाल पोष कर बड़ा किया ।



वाक्य प्रयोग- 2.


रमेश अपने कलेजे पर पत्थर रख कर समय बीतने का इंतज़ार किया ।


रमेश के पिता जी को कुछ लोग झूठे आरोप में फ़सा कर उन्हे जेल की सज़ा दिलवा दिया । इस घटना के वक़्त रमेश सहर में था । जैसे ही रमेश को इए बात का पता चला उसके उपर दुःखो का पहाड़ टूट गया । उसने कलेज़े पर पत्थर रख कर अपने घर वापस आ गया । रमेश ने बिना कोई शिकायत किए अपनी माँ की सेवा करने लगा । लोग कह रहे थे की इसके पिता को जेल हो गयी और इसको कोई फर्क नही पड़ा है । पर ये बात तो रामेश ही जानता है कि उसके पिता के जेल चले जाने से उसके उपर कितना बड़ा संकट आ गया है । और लोगो को अपने दर्द बता कर उसको क्या मिलेगा । रमेश ने फैसला किया की समय आने पर मै भी अपने पिता का बदला जरूर लूंगा । जिन लोगो ने भी मेरे पिता को झूठे आरोप में जेल भेजवाया है उन सब को भी एक दिन जेल में जाना होगा । यही कारण है कि रमेश अपने कलेजे पर पत्थर रख कर समय के बीतने का इंतज़ार करने लगा ।



वाक्य प्रयोग- 3.


संकट के समय में हमें भी अपने कलेज़े पर पत्थर रख कर दुःख को सहन करना चाहिए । 


अगर किसी व्यक्ति के उपर कोई बहुत बड़ी आपदा आ गयी है तो व्यक्ति को उस आपदा को सहन करना चाहिए । उस संकट के समय में अपनी प्रतिक्रिया देने से कोई भी लाभ नही होता है । व्यक्ति को उस दुःख की घड़ी में अपने कलेजे पर पत्थर रख कर सही समय आने का इंतेज़ार करना चाहिए । क्योंकि जब सही वक़्त आता है तो बड़े से बड़े संकट और दुःख को भी भुलाने पर मजबूर कर देता है । इसलिए व्यक्ति को दुःख के समय में हमेशा सहनशील होना चाहिए । 


दोस्तों, हम उम्मीद करते हैं की आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा । आप अपने सुझाव देने के लिए हमें कमैंट्स कर सकते हैं ।


आपका दिन शुभ हो ।





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