“कलेजा ठंडा होना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kaleja Thanda Hona Meaning In Hindi

  Kaleja Thanda Hona Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / कलेजा ठंडा होना मुहावरे का अर्थ क्या होता है? मुहावरा- “कलेजा ठंडा होना”। (Muhavara- Kaleja Thanda Hona) अर्थ- सुख संतोष मिलना / मन को आराम मिलना / हृदय को शांति मिल जाना / तसल्ली होना । (Arth/Meaning In Hindi- Sukh Santosh Milna / Man Ko Aram Milna / Hriday Ko Shanti Milna / Tasalli Hona) “कलेजा ठंडा होना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है- अर्थ: ‘कलेजा ठंडा होना’ एक बहुप्रचलित हिंदी मुहावरा है, जिसका अर्थ होता है – किसी बात से गहरी संतुष्टि या सुकून मिलना, विशेषकर तब जब किसी अन्याय का प्रतिकार हो जाए या कोई बदला पूरा हो जाए। यह मुहावरा भावनात्मक सुकून या आत्मिक संतोष की स्थिति को दर्शाता है, जो किसी लंबे समय से पल रहे दर्द, पीड़ा या अन्याय के बाद प्राप्त होती है। व्याख्या: भाषा में मुहावरों का प्रयोग विचारों को अधिक सजीव, प्रभावशाली और बोधगम्य बनाने के लिए किया जाता है। "कलेजा ठंडा होना" भी एक ऐसा ही मुहावरा है, जिसका प्रयोग भावनात्मक सन्दर्भों में किया जाता है। इस मुहावरे का प्रयोग तब होता है जब कोई व्यक्ति अपने ...

छाती पर पत्थर रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Chhati Par Patthar Rakhna Meaning In Hindi


Chhati Par Pathar Rakhna Muhavre Ka Arth Aur Vakya Prayog / छाती पर पत्थर रखना मुहावरे का अर्थ क्या होता है?

 

छाती पर पत्थर रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Chhati Par Patthar Rakhna Meaning In Hindi
छाती पर पत्थर रखना





मुहावरा- “छाती पर पत्थर रखना”।


( Muhavara- Chhati Par Patthar Rakhna )



अर्थ- चुपचाप दुःख सहन करना / हृदय कठोर कर लेना / दुख सहने के लिए दिल को कड़ा कर लेना / कठिनाई में धैर्य रखना ।


( Arth/Meaning in Hindi- Chup Chap dukh Sahan Karna / Hriday Kathor Kar Lena / Dukh Sahne Ke Liye Dil Ko Kada Kar Lena / Kathinai Me Dhairya Rakhna )






“छाती पर पत्थर रखना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


छाती पर पत्थर रखना”, यह हिंदी भाषा में प्रयुक्त होने वाला एक प्रचलित मुहावरा है । इस मुहावरे का अर्थ कठिनाई में धैर्य रखना या चुपचाप दुख सहन करना अथवा दुख सहने के लिए दिल को कड़ा कर लेना होता है ।


छाती पर पत्थर रखना मुहावरे का अर्थ दूसरे शब्दों में समझें तो, यह एक हिंदी मुहावरा है जो अभिनय के माध्यम से एक विशेष संदेश या भाव को व्यक्त करता है । यह मुहावरा अक्सर किसी की अज्ञानता, असहायता या अस्वीकृति को दर्शाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है । इसका अर्थ है कि कोई व्यक्ति अपने दिल में असहनीय या अस्वीकार्य भाव रखता है और इसे स्वभाविक रूप से प्रकट नही करता है ।


जब किसी व्यक्ति के चित्त में कोई अनपेक्षित या असहनीय भाव होते हैं, लेकिन वह उन्हें बाहरी दुनियां के सामने प्रकट नही करता है, तो उसे “छाती पर पत्थर रखना” कहा जाता है । इसका अर्थ होता है कि वह व्यक्ति अपनी अस्वीकृति या असहनीय भावनाओं को अपने दिल में छिपा कर रखता है, जिससे उसे बाहरी दुनियां में किसी को कुछ बताने की आवश्यकता नही पड़ती है ।


जैसे


1. छाती पर पत्थर रखने के बजाय मीरा अपने मायके के लोगों के सामने अपने दुखों को बताने लगी कि किस प्रकार उसे घर में प्रताड़ित किया जाता है ।


2. मोहन का जब घर जल गया तो वह अपने दुखों को व्यक्त करने के बजाय उसने अपना हृदय कठोर कर लिया अर्थात कि उसने अपने छाती पर पत्थर रख लिया और सबकुछ चुपचाप सहन करता रहा ।


3. कमला का बेटा विदेश चला गया तो कमला ने अपनी छाती पर पत्थर रख लिया और वह उसके आने का इंतज़ार करने लगी ।


4. दीपक के घर में कुछ अज्ञात बदमाशों ने चोरी कर लिया, जिसमे चोरों ने दीपक के कुछ बहुमूल्य वस्तुओं को भी चुरा लिया । पर दीपक ने अपने छाती पर पत्थर रख कर चुपचाप इस दुख को सहन किया ।


5. मेले मे अपने बेटे को खो देने के बाद सरला ने अपनी छाती पर पत्थर रख लिया और धैर्य रखकर अपने बेटे के लौटने का इंतज़ार करने लगी ।



“छाती पर पत्थर रखना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Chhati Par Pathar Rakhna Muhavare Ka Vakya Prayog. 


छाती पर पत्थर रखना” इस मुहावरे का अर्थ नीचे दिए गए कुछ वकी प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं -



वाक्य प्रयोग- 1.


रेशमा अपनी छाती पर पत्थर रख कर अपने कर्तव्यों को निभाती है ।

रेशमा के पति का रोड एक्सीडेंट में मृत्यु हो जाने के बाद उसके उपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा । रेशमा ने अपने पति की मृत्यु के बाद अपने दिल को कठोर कर लिया । रेशमा अपने बच्चों और परिवार की देखभाल करने के लिए अपने कर्तव्यों से पीछे नही हटी । रेशमा चुपचाप दुख सहन करते हुए अर्थात कि अपनी छाती पर पत्थर रख कर अपने कर्तव्यों को निभाती रही ।



वाक्य प्रयोग- 2.


राज ने अपने छाती पर पत्थर रखते हुए समस्याओं का सामना किया और सफलता प्राप्त की ।

राज पढ़ने में थोड़ा कमजोर था इसलिए सभी लोग उसका मज़ाक बनाते थे । लोग कहते कि ये कभी कुछ बन नही पायेगा और ना ही इसे कोई सफलता मिलेगी । लोग जब ये बात कहते तो राज को बहुत तकलीफ होती, पर राज ने कभी भी उनको जबाब नही दिया । उसने चुपचाप इस दुख को सहा और मेहनत करता रहा । आखिरकार राज ने अपनी मेहनत के दम पर सफलता प्राप्त कर लिया और उन सबका मुह बंद कर दिया । इसलिए कहा गया है कि हमें दुख की घड़ी में धैर्य रखना चाहिए । 



वाक्य प्रयोग- 3.


शेखर को जब पुलिस पकड़ कर अपने साथ ले गई तो सरिता ने छाती पर पत्थर रख लिया ।

सहर मे किसी बड़े व्यापारी ही हत्या हुई थी । पुलिस को सूचना मिली की इस हत्या में शेखर का भी हाथ है । इसलिए पुलिस ने शेखर को पकड़ कर थाने ले गयी । शेकर के पकड़े जाने के बाद सरिता ने अपना हृदय कठोर कर लिया । सरिता ने चुपचाप सारा दुख सहन कर लिया । लोग कहने लगे की ये कैसी औरत है जो पति के पकड़े जाने पर भी अपना दुख व्यक्त नही कर रही है । सरिता ने एक महिला से कहा कि दुख सहने के लिए दिल को कड़ा करना पड़ता है ।







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