छाती पर मूंग दलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Chhati Per Moong Dalna Meaning In Hindi
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Chhati Par Mung Dalna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / छाती पर मुंग दलना मुहावरे का अर्थ क्या होता है?
मुहावरा- “छाती पर मूंग दलना” ।
( Muhavara- Chhati Par Moong Dalna )
अर्थ- पास रहकर दुःख देना / समीप रहकर निरंतर कष्ट देना / सताना / परेशान करना / सदमा पहुंचना ।
( Arth/Meaning in Hindi- Pas Rahkar Dukh Dena / Samip Rahkar Nirantar Kasht Dena / Satana / Pareshan Karna / Sadma Pahuchna )
“छाती पर मूंग दलना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
“छाती पर मूंग दलना”, यह हिंदी भाषा में प्रयुक्त होने वाला एक अतिमहत्वपूर्ण मुहावरा है । इस मुहावरे का अर्थ किसी व्यक्ति के द्वारा किसी दूसरे के सामने जानबूझ कर ऐसा आचरण या व्यवहार या काम करना जिससे उसका दिल दुखता हो । अर्थात कि इस मुहावरे का अर्थ पास रहकर दुःख देना, किसी को निरंतर कष्ट देना, सताना या परेशान करना होता है ।
छाती पर मुंग दलना, एक हिंदी मुहावरा है जिसका अर्थ है किसी को बिना किसी प्रकार के दूरी बनाए रखे ही कष्ट देना । इस मुहावरे के अंतर्गत, व्यक्ति या स्थिति जो कष्ट दे रहा है, वह अन्य व्यक्ति के समीप/निकट ही होता है, जिससे उसे और अधिक दुःख पहुंचता है । यह मुहावरा किसी की विश्वाशघात, शिकायत या दुखद अनुभव को संकेतिक करता है ।
जैसे-
1. राज ने कहा कि उसके साथ काम करना बहुत कठिन होता है, क्योंकि वह हमेशा छाती पर मूंग दलता रहता है ।
2. मेरे साथी ने समीप रहकर कष्ट दिया, उसने मेरे सपनों को तोड़ दिया और मुझे अकेला छोड़ दिया ।
3. साहित्य के अध्यन में ज्यादा कुशलता प्राप्त करने के लिए, छात्रों को एक दूसरे के छाती पर मुंग दलना पड़ता है ।
4. सरला की सास हमेशा उसके छाती पर मूंग दलती रहती है अर्थात काम के बहाने हर वक़्त सरला को परेशान करती है ।
5. ममता अपनी मुह बोली बहन के साथ ऐसा व्यवहार करती है जिससे उसका दिल दुख जाता है । अर्थात कि ममता अपनी मुहबोली बहन के छाती पर मूंग दलने का काम करती है ।
“छाती पर मूंग दलना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Chhati Par Moong Dalna Muhavare Ka Vakya Prayog.
“छाती पर मूंग दलना” इस मुहावरे का अर्थ नीचे दिए गए कुछ वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं -
वाक्य प्रयोग- 1.
भावना की जब शादी हुई तो वह अपने ससुराल में सबको खुश रखती थी । सबके मन पसंद क ख्याल रखती थी । पर अब ना जाने कौन उसका कान भर दिया है, कि अब भावना अपने ससुराल के सदस्यों के छाती पर मूंग दलती रहती है । जब कोई उसे काम करने को कहता तो वह उल्टा ही उस सदस्य को ऐसा कुछ कह देती है जिससे उस सदस्य का दिल दुख जाता है । भावना पास में ही रह कर अपने ससुराल के लोगो को कष्ट दे रही है । भावना का इस प्रकार से अपने ससुराल के सदस्यों के समीप रह कर निरंतर कष्ट देना ही छाती पर मूंग दलना कहलाता है ।
वाक्य प्रयोग- 2.
मोहन हर वक़्त अपने पिता के छाती पर मूंग दलता रहता है ।
मोहन बिना किसी काम के घर में बैठा रहता है । जब भी उसके पिता जी कोई काम करने को कहते या पढ़ाई पर ध्यान देने को बोलते तो मोहन ऐसा जबाब देता जिससे उसके पिता को सदमा लग जाता । मोहन अपने पिता से कहता कि आप मुझे क्यों पढ़ने के लिए बोलते रहते हैं । अपने कितनी पढ़ाई की है । पढ़ाई कर के अपने क्या उखाड़ लिया है । मोहन के पिता जी जब ऐसी बातें सुनते तो उन्हे बहुत दुख होता । ऐसे ही मोहन अपने पिता को हमेशा परेशान करता है । मतलब मोहन अपने पिता के पास रख कर ही उन्हे दुख देता है ।
वाक्य प्रयोग- 3.
बेटे के प्रेम प्रसंग को सुन कर उसके पिता ने उसे घर से बाहर निकाल दिया । पर बेटे ने अपनी प्रेमीका के साथ विवाह कर के वही पड़ोस के एक मकान में रह कर अपने माता-पिता के छाती पर मूंग दलने का काम किया । वह अपने माता-पिता के समीप रहकर उन्हे निरंतर कष्ट देता रहता है ।
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