“नमस्ते” का अर्थ क्या होता है / What is the meaning of "Namaste” in hindi


What does "Namaste" mean? / Namaste Karna Kya Hota Hai /  नमस्ते करने का क्या मतलब होता है? 

 

“नमस्ते” का अर्थ क्या होता है / What is the meaning of "Namaste” in hindi
नमस्ते का मतलब

परिचय:

भारतवर्ष में जब दो व्यक्ति एक-दूसरे से मिलते हैं, तो वे प्रायः "नमस्ते" कहते हैं। यह शब्द केवल एक साधारण अभिवादन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और विनम्रता का गहरा प्रतीक है। "नमस्ते" शब्द में एक ऐसी गरिमा और भावनात्मक गहराई है जो इसे विश्व के अन्य अभिवादन शब्दों से अलग और विशिष्ट बनाती है।


"नमस्ते" का शाब्दिक अर्थ:

"नमस्ते" संस्कृत शब्द है, जो दो भागों से मिलकर बना है:

"नमः" = नमन, वंदन, झुकना, सम्मान प्रकट करना

"ते" = तुम्हें, तेरे लिए

अतः "नमस्ते" का शाब्दिक अर्थ हुआ — "मैं तुम्हें नमस्कार करता हूँ", या "मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ।"


वैदिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से अर्थ:

संस्कृत में "नमः" का एक और गूढ़ अर्थ होता है — "अहंकार का विलोप"। जब कोई व्यक्ति "नमस्ते" कहता है, तो वह अपने अहं को छोड़कर सामने वाले के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करता है।

इसका गूढ़ अर्थ है:

"मेरे भीतर जो दिव्यता है, वह तुम्हारे भीतर की दिव्यता को नमन करती है।"

यह दृष्टिकोण अद्वैत वेदांत के उस सिद्धांत से मेल खाता है, जहाँ यह माना जाता है कि सभी जीवों में एक ही परमात्मा विद्यमान है। इस प्रकार, "नमस्ते" कहना केवल एक सामाजिक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक कृत्य भी है।


नमस्ते की शारीरिक अभिव्यक्ति (Gesture):

"नमस्ते" के साथ जुड़ा हुआ शारीरिक संकेत भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब हम "नमस्ते" कहते हैं, तो दोनों हाथों की हथेलियों को जोड़कर छाती के सामने लाते हैं। इसे "अंजलि मुद्रा" कहा जाता है।


इस मुद्रा के अनेक गहरे अर्थ होते हैं:

1. द्वैत का एकत्व: दोनों हाथों का मिलना यह दर्शाता है कि यद्यपि हम अलग-अलग हैं, फिर भी हम सब एक हैं।

2. विनम्रता का भाव: हाथ जोड़ना एक झुकाव का प्रतीक है, जो विनम्रता और आदर को दर्शाता है।

3. ऊर्जा का संतुलन: योगिक दृष्टिकोण से, हथेलियों को जोड़ने से शरीर की ऊर्जा संतुलित होती है।


भाषा, संस्कृति और समाज में "नमस्ते" की भूमिका

भारत की विविध भाषाओं में "नमस्ते" के विभिन्न रूप मिलते हैं:

संस्कृत: नमस्ते

हिन्दी: नमस्ते / नमस्कार

मराठी: नमस्कार

बंगाली: নমস্কার (Nomoskar)

तमिल: வணக்கம் (Vanakkam)

तेलुगु: నమస్తే (Namaste)

कन्नड़: ನಮಸ್ಕಾರ (Namaskara)

इन सभी अभिवादनों का मूल उद्देश्य समान है, सम्मान, स्वागत और आदर।


नमस्ते बनाम पश्चिमी अभिवादन:

वर्तमान समय में "हाय", "हैलो", "गुड मॉर्निंग" आदि शब्दों का प्रचलन बहुत बढ़ा है, लेकिन "नमस्ते" की विशेषता इन सभी से अलग है:


बिंदु-  नमस्ते, हैलो / हाय

अर्थ-  आत्मा को नमन, कोई विशेष अर्थ नहीं

भाव-  आदर, श्रद्धा, विनम्रता, सामान्य सामाजिक औपचारिकता, 

संस्कृति- भारतीय, आध्यात्मिक, पश्चिमी, सांसारिक

शारीरिक संपर्क-  नहीं (कोविड के समय में आदर्श) कभी-कभी हाथ मिलाना

इस प्रकार, "नमस्ते" न केवल एक विनम्र अभिवादन है, बल्कि यह आत्मिक जुड़ाव का प्रतीक है।


योग और आयुर्वेद में "नमस्ते" का महत्व:

योग साधना में "नमस्ते" का प्रयोग ध्यान या प्रार्थना की शुरुआत और समाप्ति में होता है। जब योगी "नमस्ते" मुद्रा में आते हैं, तो वे अपने भीतर के अहंकार को त्याग कर एक शांति और समर्पण की स्थिति में प्रवेश करते हैं।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, हथेलियों को जोड़ना और सामने वाले की आंखों में देखकर "नमस्ते" कहना एक प्रकार की ऊर्जा विनिमय प्रक्रिया है, जिससे सकारात्मकता का संचार होता है।


धार्मिक और आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य:

"नमस्ते" शब्द का उल्लेख वेदों, उपनिषदों, और भगवद गीता जैसे ग्रंथों में भी हुआ है। उदाहरण के लिए:


भगवद गीता (11.39):

"नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वतः एव सर्व"

यहाँ अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप को देखकर हर दिशा से उन्हें "नमः" कहकर प्रणाम करते हैं।

वेदों में "नमः शिवाय" और "नमः नारायणाय" जैसे मंत्र भी इसी भाव को व्यक्त करते हैं — यानी किसी महान सत्ता के समक्ष समर्पण और वंदना।


"नमस्ते" का मनोवैज्ञानिक प्रभाव:

1. सकारात्मकता का संचार: जब हम नमस्ते कहते हैं, तो सामने वाला भी उसका उत्तर नमस्ते से देता है, जिससे आपसी संबंधों में गरिमा और अपनापन आता है।

2. क्रोध और तनाव का क्षय: हाथ जोड़ने और सिर हल्का झुकाने की क्रिया से मानसिक विनम्रता आती है, जो अहंकार, क्रोध और तनाव को कम करती है।

3. मानसिक केंद्रण: जब कोई व्यक्ति ध्यान से "नमस्ते" करता है, तो उसका मन वर्तमान क्षण में केंद्रित हो जाता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है।


आधुनिक युग में "नमस्ते" की प्रासंगिकता:

आज जब विश्व COVID-19 जैसी महामारी से गुज़रा, तब "नमस्ते" को एक वैश्विक आदर्श माना गया क्योंकि इसमें किसी प्रकार का शारीरिक संपर्क नहीं होता। विश्व के कई नेता — जैसे अमेरिका के राष्ट्रपति, फ्रांस के प्रधानमंत्री और ब्रिटेन के राजघराने के सदस्य — सार्वजनिक रूप से "नमस्ते" करते देखे गए।

इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय परंपराएं न केवल सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हैं, बल्कि आधुनिक परिस्थितियों में भी अत्यंत उपयुक्त हैं।


निष्कर्ष:

"नमस्ते" केवल एक शब्द नहीं है — यह एक भावना है, एक संस्कार है, और एक दर्शन है। यह भारतीय संस्कृति की आत्मा को दर्शाता है। यह हमें सिखाता है कि हर व्यक्ति के भीतर ईश्वर का अंश होता है और हमें उस दिव्यता को सम्मान देना चाहिए।

इस सरल-से दिखने वाले अभिवादन में गहराई, विनम्रता, प्रेम, और अध्यात्म का ऐसा संगम है जो इसे केवल शब्द से एक अनुभव बना देता है। "नमस्ते" करना मात्र एक औपचारिकता नहीं, बल्कि आत्माओं का मिलन है — बिना कहे बहुत कुछ कह देना।





Comments

Popular posts from this blog

प्रिंटर क्या होता है? परिभाषा, प्रकार और इतिहास / What Is Printer In Hindi

आस्तीन का सांप मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Aasteen Ka Saanp Meaning In Hindi

कम्प्यूटर किसे कहते हैं? / What is computer in hindi?

गागर में सागर भरना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Gagar Me Sagar Bharna Meaning In Hindi

काला अक्षर भैंस बराबर मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kala Akshar Bhains Barabar Meaning In Hindi

एक पन्थ दो काज मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Ek Panth Do Kaaj Meaning In Hindi

चिराग तले अँधेरा मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Chirag Tale Andhera Meaning In Hindi

कोल्हू का बैल मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kolhu Ka Bail Meaning In Hindi