“किसी के कंधे से बंदूक चलाना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kisi Ke Kandhe Se Bandook Chalana Meaning In Hindi

 

Kisi Ke Kandhe Se Bandook Chalana Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / किसी के कंधे से बंदूक चलाना मुहावरे का क्या अर्थ होता है?



मुहावरा- “किसी के कंधे से बंदूक चलाना”।

(Muhavara- Kisi Ke Kandhe Se Bandook Chalana)


अर्थ- किसी दूसरे पर निर्भर होकर कार्य करना ।

(Arth/Meaning In Hindi- Kisi Dusare Par Nirbhar Hokar Karya Karna)


“किसी के कंधे से बन्दूक चलाना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


अर्थ:

“किसी के कंधे से बंदूक चलाना” का अर्थ है अपने स्वार्थ या उद्देश्य को पूरा करने के लिए किसी और व्यक्ति का उपयोग करना। इस मुहावरे में व्यक्ति स्वयं सीधे कार्य नहीं करता, बल्कि किसी अन्य व्यक्ति को आगे कर अपने कार्य को पूरा करता है ताकि उसे स्वयं पर दोष न आए और उसका काम भी निकल जाए।


मुहावरे की उत्पत्ति:

यह मुहावरा सेना और शिकार की भाषा से लिया गया है। जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे के कंधे पर रखकर बंदूक चलाता है, तो गोली उसके कंधे से चलती है, लेकिन निशाना और उद्देश्य पहले व्यक्ति का होता है। इसका अर्थ यही होता है कि कार्य कोई और करता है, लेकिन लाभ या उद्देश्य किसी और का पूरा होता है।


विस्तृत व्याख्या:

हमारे जीवन में कई बार लोग अपने काम और स्वार्थ सिद्ध करने के लिए दूसरों का उपयोग करते हैं। वे सामने नहीं आते, बल्कि किसी और को आगे कर देते हैं ताकि उनके इरादे और स्वार्थ पूरे हो जाएँ। यह मुहावरा ऐसे लोगों के व्यवहार को दर्शाता है, जो चालाकी और स्वार्थ से दूसरों की भावनाओं, श्रम, नाम या स्थिति का उपयोग अपने हित में करते हैं।

उदाहरण के रूप में, विद्यालय में कुछ विद्यार्थी परीक्षा में नकल करवाने के लिए किसी और विद्यार्थी से किताबें अंदर पहुँचवाते हैं। यदि पकड़े जाने पर दोष उस विद्यार्थी पर आता है, जबकि नकल करवाने वाले विद्यार्थी का काम हो जाता है। इसी प्रकार, राजनीति में भी कई नेता अपने व्यक्तिगत हित साधने के लिए अपने समर्थकों को किसी विषय पर विरोध प्रदर्शन के लिए आगे कर देते हैं, जबकि असल में उनका उद्देश्य सत्ता और लाभ प्राप्त करना होता है। यदि कुछ गलत होता है, तो दोष उनके समर्थकों पर आता है, और वे स्वयं निर्दोष बने रहते हैं।

इस मुहावरे का दूसरा पहलू यह भी है कि समाज में कई बार लोग दूसरों को भड़काकर लड़ाई करवाते हैं, ताकि उनका कोई छुपा उद्देश्य पूरा हो जाए। जैसे, दो भाइयों में किसी तीसरे व्यक्ति ने विवाद उत्पन्न कर दिया ताकि वह स्वयं लाभ उठा सके। ऐसे में कहा जाएगा कि उसने “किसी के कंधे से बंदूक चलाई”।

यह मुहावरा हमें यह भी सिखाता है कि हमें अपने जीवन में सतर्क रहना चाहिए ताकि कोई हमें अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल न कर सके। हमें किसी का मोहरा नहीं बनना चाहिए। कई बार भावनात्मक रूप से कमजोर लोग या सीधे-सादे व्यक्ति दूसरों की चाल में फँस जाते हैं और बिना सोचे समझे उनके कहे अनुसार कार्य कर बैठते हैं। परिणामस्वरूप, उन्हें ही दंड या बदनामी का सामना करना पड़ता है जबकि असली लाभ किसी और को प्राप्त होता है।

इसलिए यह मुहावरा सामाजिक चेतना का भी प्रतीक है। यह हमें बताता है कि हमें अपने कार्यों और निर्णयों को सोच-समझकर लेना चाहिए और यदि कोई हमें अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रहा है, तो समय रहते उसके इरादों को समझकर उससे दूरी बना लेनी चाहिए। साथ ही, हमें स्वयं भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे किसी अन्य व्यक्ति का दुरुपयोग हो।


“किसी के कंधे से बंदूक चलाना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Kisi Ke Kandhe Se Bandook Chalana Muhavare Ka Vakya Prayog. 


1. राम ने अपने दोस्त की कंधे से बंदूक चलाकर अपने दुश्मन से बदला ले लिया।

2. नेताओं ने जनता की कंधे से बंदूक चलाकर अपनी राजनीति चमकाई।

3. कुछ लोग हमेशा दूसरों की कंधे से बंदूक चलाकर अपना काम निकालते हैं।

4. तुम्हें उसकी बातों में आकर उसकी कंधे से बंदूक चलाने का मौका नहीं देना चाहिए।

5. उसने अपनी कंधे से बंदूक चलाकर प्रधान जी की छवि को खराब कर दिया।

6. व्यापार में कुछ लोग दूसरों की कंधे से बंदूक चलाकर बाजार में अपना स्थान बना लेते हैं।

7. चोर ने गार्ड की कंधे से बंदूक चलाकर चोरी का सारा दोष उसी पर डाल दिया।

8. आजकल कई लोग सोशल मीडिया पर दूसरों की कंधे से बंदूक चलाकर अफवाहें फैलाते हैं।

9. पड़ोसी ने तुम्हारे कंधे से बंदूक चलाकर अपने मकान का विवाद सुलझा लिया।

10. कुछ लोग दूसरों की कंधे से बंदूक चलाकर खुद सुरक्षित रहते हैं और अपना काम निकाल लेते हैं।

11. वह चालाक व्यक्ति हमेशा किसी की कंधे से बंदूक चलाता है ताकि उसका नाम खराब न हो।

12. परीक्षा में उसने अपने दोस्त की कंधे से बंदूक चलाकर नकल करवाई।

13. हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए जो हमारी कंधे से बंदूक चलाने की कोशिश करते हैं।

14. नेता ने किसानों की कंधे से बंदूक चलाकर सरकार पर दबाव बनाया।

15. अपनी कंधे से बंदूक चलाने वालों को पहचानना और उनसे दूर रहना जरूरी है।


निष्कर्ष:

“किसी के कंधे से बंदूक चलाना” मुहावरा न केवल दूसरों के द्वारा अपने स्वार्थ साधने का बोध कराता है, बल्कि हमें इस प्रकार की प्रवृत्ति से दूर रहने की शिक्षा भी देता है। यह हमें सजग, समझदार और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देता है ताकि हम दूसरों के हाथों की कठपुतली न बनें और स्वयं भी किसी अन्य व्यक्ति का दुरुपयोग कर अपने स्वार्थ की पूर्ति न करें।



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