“किसी के आगे दुम हिलाना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kisi Ke Aage Dum Hilana Meaning In Hindi
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Kisi Ke Aage Dum Hilana Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / किसी के आगे दुम हिलाना मुहावरे का क्या अर्थ होता है?
मुहावरा- “किसी के आगे दुम हिलाना”।
(Muhavara- Kisi Ke Aage Dum Hilana)
अर्थ- खुशामद करना / अपना स्वार्थ सिद्ध करना / चापलूसी करना।
(Arth/Meaning In Hindi- Khushamad Karna / Apna Swarth Siddha Karna / Chaplusi Karna)
“किसी के आगे दुम हिलाना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-
मुहावरे का अर्थ:
“किसी के आगे दुम हिलाना” का अर्थ है किसी के सामने खुशामद करना, चापलूसी करना या स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी के आगे झुकना।
इस मुहावरे में व्यक्ति अपनी इच्छाओं या लाभ के लिए किसी प्रभावशाली या ताकतवर व्यक्ति की अनावश्यक तारीफ करता है, उसकी हर सही-गलत बात में हाँ में हाँ मिलाता है ताकि उसका कार्य निकल सके।
मुहावरे में ‘दुम हिलाना’ कुत्ते के व्यवहार से लिया गया है, जो अपने मालिक को खुश करने के लिए उसकी ओर देख कर दुम हिलाता है। इसी प्रकार जब कोई व्यक्ति अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए दूसरों के सामने आत्म-सम्मान भूलकर चापलूसी करता है, तो उसे इस मुहावरे द्वारा व्यक्त किया जाता है।
उदाहरण:
1. रमेश अपने बॉस के सामने हर समय “जी सर, बिल्कुल सर” कहता रहता है, भले ही बॉस की बात गलत हो, ताकि उसकी पदोन्नति जल्दी हो जाए। इसे देखकर लोग कहते हैं:
“रमेश तो अपने बॉस के आगे दुम हिला रहा है।”
2. कुछ छात्र अध्यापकों के आगे-पीछे घूमते रहते हैं ताकि उन्हें अच्छे अंक मिल सकें, इस पर उनके साथी कहते हैं:
“ये सब तो मास्टर जी के आगे दुम हिला रहे हैं।”
3. राजनीति में कुछ लोग बड़े नेताओं की हर बात में हाँ-में-हाँ मिलाकर उनका पक्ष लेते हैं ताकि उन्हें टिकट या पद मिल जाए, यह भी “किसी के आगे दुम हिलाना” का उदाहरण है।
विस्तृत व्याख्या:
आज के समय में यह मुहावरा बहुत ही प्रासंगिक है। समाज में ऐसे अनेक लोग होते हैं, जो किसी उच्च पद या प्रभावशाली व्यक्ति से लाभ प्राप्त करने के लिए अपनी आत्म-सम्मान और स्वाभिमान को भूलकर उनके सामने बार-बार चापलूसी करते हैं। वे केवल अपने काम निकलवाने के लिए उनके गलत निर्णयों का भी समर्थन करते हैं और दिखावे के लिए उनके सामने विनम्रता दिखाते हैं।
“किसी के आगे दुम हिलाना” का प्रयोग तब भी होता है जब कोई व्यक्ति सत्ता या पैसे वालों से संबंध जोड़ने के लिए उनकी हर बात पर हाँ कहता है। ऐसे व्यक्ति सामने से तो बहुत मीठी बातें करते हैं, पर उनके पीछे उनकी आलोचना भी कर सकते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति होता है।
यह मुहावरा हमें यह भी सिखाता है कि आत्म-सम्मान को गिरवी रखकर किसी के सामने झुकना एक प्रकार की दुर्बलता है। सच्चा और स्वाभिमानी व्यक्ति अपने आत्म-सम्मान को बनाए रखते हुए किसी के सामने झुककर चापलूसी नहीं करता। जो लोग ऐसा करते हैं, वे अपने आत्मसम्मान को गिराकर क्षणिक लाभ प्राप्त कर लेते हैं, परंतु उनके इस व्यवहार से समाज में उनकी छवि नकारात्मक बन जाती है।
आज कार्यालयों, राजनीति, और व्यापार में यह प्रवृत्ति बहुत देखी जाती है। कुछ लोग अपने पद पर बने रहने या पदोन्नति के लिए अपने अधिकारियों की चापलूसी करते रहते हैं। कुछ लोग व्यापार में बड़े लोगों से लाभ पाने के लिए उनकी हर बात मान लेते हैं। यह आदत धीरे-धीरे व्यक्ति को निर्भर और कमजोर बना देती है, और वह अपनी असली पहचान खो देता है।
“किसी के आगे दुम हिलाना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Kisi Ke Aage Dum Hilana Muhavare Ka Vakya Prayog.
1. रमेश अपने बॉस के आगे हर समय दुम हिलाता रहता है ताकि उसे तरक्की मिल जाए।
2. स्वार्थी लोग हमेशा पैसे वालों के आगे दुम हिलाते हैं।
3. चापलूस लोग बड़े अधिकारियों के आगे दुम हिला कर अपना काम निकलवाते हैं।
4. कुछ छात्र अध्यापक से नंबर लेने के लिए उनके आगे दुम हिलाते रहते हैं।
5. आजकल नेता चुनाव में बड़े लोगों के आगे दुम हिलाते हुए दिखते हैं।
6. मोहन अपने फायदे के लिए प्रधान जी के आगे दुम हिलाता रहता है।
7. जो लोग अपने स्वार्थ के लिए दुम हिलाते हैं, वे सम्मान खो बैठते हैं।
8. उसने अपने भाई के आगे दुम हिला कर उससे पैसे ले लिए।
9. दफ्तर में कई लोग साहब के आगे दुम हिलाकर छुट्टी मंजूर करवा लेते हैं।
10. राकेश ने अपने मित्र के आगे दुम हिला कर उससे नोट्स ले लिए।
11. व्यापार में कुछ लोग बड़े व्यापारियों के आगे दुम हिला कर फायदा उठाते हैं।
12. चापलूसी करना यानी किसी के आगे दुम हिलाना अच्छी बात नहीं है।
13. वह तो हर समय अमीरों के आगे दुम हिलाते हुए नजर आता है।
14. उसने अधिकारी के आगे दुम हिला कर अपनी गलती माफ करवा ली।
15. स्वाभिमानी लोग कभी भी किसी के आगे दुम नहीं हिलाते।
निष्कर्ष:
“किसी के आगे दुम हिलाना” मुहावरा हमें चापलूसी और स्वार्थ सिद्धि के लिए आत्म-सम्मान को गिरवी रखने वाले व्यवहार की ओर इंगित करता है। यह मुहावरा हमें सीख देता है कि हमें किसी भी व्यक्ति के सामने केवल अपने लाभ के लिए चापलूसी नहीं करनी चाहिए, बल्कि अपने आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास के साथ जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। ऐसे लोग जो हर समय दूसरों की खुशामद करते हैं, उन्हें समाज में सम्मान नहीं मिलता और वे दूसरों पर निर्भर रहते हैं। अतः हमें इस मुहावरे से शिक्षा लेनी चाहिए कि हमें अपने स्वार्थ के लिए कभी भी “किसी के आगे दुम हिलाना” जैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए।
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