“कालिख पोतना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Kalikh Potna Meaning In Hindi

Kalikh Potna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / कालिख पोतना मुहावरे का क्या अर्थ होता है? मुहावरा- “कालिख पोतना”। (Muhavara- Kalikh Potna) अर्थ- कलंकित करना / बदनाम करना / अपमानित करना । (Arth/Meaning In Hindi- Kalankit Karna / Badnam Karna / Apmanit Karna) “कालिख पोतना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है- अर्थ: यह हिंदी भाषा में प्रयोग किये जाने वाला एक महत्वपूर्ण मुहावरा है। इस मुहावरे का अर्थ किसी का नाम बदनाम करना, किसी की प्रतिष्ठा को नष्ट करना, किसी पर बदनामी का दाग लगा देना, अथवा अपमानित करना होता है। जब कोई व्यक्ति अपने या किसी अन्य के गलत कार्यों के कारण अपने ऊपर या किसी के चेहरे पर ‘कालिख पोत देता है’, तो उसका मतलब होता है कि उसने अपने परिवार, समाज या अपने नाम को बदनाम कर दिया है। व्याख्या: भारत में कालिख को अशुद्धि और अपवित्रता का प्रतीक माना जाता है। जब किसी व्यक्ति के चेहरे पर कालिख पोत दी जाती है, तो समाज में यह अपमान की चरम स्थिति मानी जाती है। यह दर्शाता है कि उस व्यक्ति ने ऐसा कोई कार्य कर दिया है जिससे उसका सिर नीचा हो गया है और लोग उसकी ओर देखने में भी शर्म अनुभव...

"अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा" मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Andher Nagari Chaupat Raja Take Ser Bhaji Take Ser Khaja Meaning In Hindi


Andher Nagari Chaupat Raja Take Ser Bhaji Take Ser Khaja Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / "अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा” मुहावरे का अर्थ क्या होता है?


 

"अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा" मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Andher Nagari Chaupat Raja Take Ser Bhaji Take Ser Khaja Meaning In Hindi
Andher Nagari Chaupat Raja Take Ser Bhaji Take Ser Khaja


मुहावरा- "अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा"।

( Muhavara- Andher Nagari Chaupat Raja Take Ser Bhaji Take Ser Khaja )


अर्थ- जब किसी राज्य का राजा मूर्ख होता है, तो वहां हमेशा अन्याय होता है और किसी भी वस्तु का कोई उचित मूल्य नहीं होता।

( Arth/Meaning In Hindi- Jab Kisi Rajya Ka Raja Murkh Hota Hai, Tp Waha Hamesha Anyay Hota Hai Aur Kisi Bhi Vastu Ka Koi Uchit Mulya Nahi Hota Hai )



"अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-


"अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा" यह प्रसिद्ध कहावत संत कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित नाटक "अंधेर नगरी" से ली गई है। यह मुहावरा उस शासन व्यवस्था और समाज पर व्यंग्य करता है जहाँ अराजकता, अज्ञानता और न्यायहीनता का बोलबाला होता है। इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी देश, समाज या संस्था में अव्यवस्था, असमानता और अनुचित निर्णय देखने को मिलते हैं।


इस कहावत का शाब्दिक अर्थ है— "अंधकारमय नगर, मूर्ख राजा; हर वस्तु एक समान कीमत पर बिक रही है— सस्ती सब्जी भी और महंगी मिठाई भी।" इस पंक्ति में जिस नगरी का वर्णन किया गया है, वह ऐसी जगह है जहाँ न कोई नियम है, न कोई न्याय। वहाँ राजा अज्ञानी और अनुचित फैसले लेने वाला है, जिससे व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। इस कहावत का प्रयोग उस स्थिति में किया जाता है जब शासक या प्रशासनिक व्यवस्था इतनी अयोग्य हो कि वह मूल्य निर्धारण, न्याय व्यवस्था और शासन संचालन में असफल हो जाए।


प्रसंग एवं उत्पत्ति


यह मुहावरा "अंधेर नगरी" नाटक से लिया गया है। इस नाटक की कहानी कुछ इस प्रकार है—


एक साधु और उसके दो शिष्य एक नए राज्य में प्रवेश करते हैं। साधु अपने शिष्यों को सावधान करता है कि यह राज्य अव्यवस्थित और अनुचित शासन प्रणाली का प्रतीक है। लेकिन एक शिष्य इस नगर के सस्ते बाजार को देखकर बहुत प्रसन्न होता है और यहीं रहने का निश्चय करता है।


राजा इतना मूर्ख और अन्यायी है कि वह न्याय करने के बजाय अजीबोगरीब फैसले लेता है। किसी भी अपराध के लिए दोषी को पहचानने के बजाय किसी भी निर्दोष को सजा सुना देता है। एक दिन, उस शिष्य को एक अजीब निर्णय के कारण फाँसी की सजा सुना दी जाती है। अंत में, साधु अपनी चतुराई से अपने शिष्य को बचा लेता है, लेकिन यह सिद्ध हो जाता है कि ऐसी जगह पर रहना खतरनाक है जहाँ शासन उचित न हो।


व्याख्या


यह मुहावरा मुख्यतः उन परिस्थितियों पर लागू होता है जब शासन और समाज में कोई न्यायिक संतुलन नहीं होता। इसमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदु छिपे हैं—


1. अराजकता और अव्यवस्था – जब कोई राज्य या संगठन बिना उचित नियम-कानून के चलता है, तो वहाँ अनुशासनहीनता और अराजकता फैल जाती है।


2. अयोग्य नेतृत्व – एक नासमझ राजा या नेता का शासन हमेशा जनता के लिए हानिकारक होता है। यदि नेतृत्व अयोग्य हो, तो समाज में समानता, न्याय और संतुलन की उम्मीद नहीं की जा सकती।


3. अनुचित मूल्य निर्धारण – यह कहावत यह भी दर्शाती है कि जब वस्तुओं की कीमतें बिना तर्क के तय की जाती हैं, तो आर्थिक अस्थिरता पैदा हो जाती है। यदि सस्ती चीजें महंगी और महंगी चीजें सस्ती हो जाएँ, तो समाज का संतुलन बिगड़ जाता है।


4. अन्याय और मूर्खतापूर्ण निर्णय – जब न्याय प्रणाली कमजोर होती है और बिना सोचे-समझे फैसले लिए जाते हैं, तो निर्दोष लोगों को दंड मिल सकता है और अपराधी बच सकते हैं।


5. सावधानी की सीख – यह मुहावरा हमें सिखाता है कि किसी भी राज्य, समाज या संस्था को चुनने से पहले उसकी नीतियों और व्यवस्थाओं को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए।


आधुनिक संदर्भ


आज के समय में यह कहावत उन देशों, संगठनों और संस्थाओं पर लागू होती है जहाँ शासन-व्यवस्था लचर है, भ्रष्टाचार फैला हुआ है और कानून-व्यवस्था कमजोर है। उदाहरण के लिए—


* किसी देश में यदि सरकार बिना सोचे-समझे निर्णय लेती है, तो वहाँ की अर्थव्यवस्था और समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


* जब कंपनियों में योग्य कर्मचारियों की बजाय अयोग्य लोग उच्च पदों पर बैठते हैं, तो पूरी संस्था को नुकसान उठाना पड़ता है।


* किसी बाजार में यदि वस्तुओं की कीमतें बिना किसी तर्क के निर्धारित की जाती हैं, तो ग्राहक और व्यापारी दोनों को परेशानी होती है।



"अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा" मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Andher Nagari Chaupat Raja Take Ser Bhaji Take Ser Khaja Muhavare Ka Vakya Prayog. 


1. इस बाजार में महँगी चीजें भी सस्ती मिल रही हैं और सस्ती चीजें भी महँगी— पूरी तरह "अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा" जैसा हाल है।


2. जब सरकार बिना किसी तर्क के फैसले लेने लगे, तो वही स्थिति बन जाती है, जिसे "अंधेर नगरी चौपट राजा" कहते हैं।


3. इस स्कूल में योग्य शिक्षक को कम वेतन और अयोग्य को अधिक वेतन दिया जाता है, पूरी तरह "अंधेर नगरी चौपट राजा" जैसा हाल है।


4. किसी भी देश में यदि कानून-व्यवस्था कमजोर हो जाए, तो वह "अंधेर नगरी" में बदल जाता है।


5. भ्रष्ट नेताओं के राज में देश की हालत "अंधेर नगरी चौपट राजा" जैसी हो गई है।


6. इस ऑफिस में प्रमोशन देने के कोई नियम नहीं हैं, कभी किसी को दे देते हैं तो कभी किसी को नहीं— "अंधेर नगरी चौपट राजा" का सटीक उदाहरण।


7. जब अपराधी खुलेआम घूमते हैं और निर्दोष जेल में होते हैं, तो यह "अंधेर नगरी चौपट राजा" की स्थिति होती है।


8. इस होटल में 10 रुपए की चाय और 10 रुपए की मिठाई दोनों मिल रही हैं— "टके सेर भाजी, टके सेर खाजा" वाली बात है।


9. जब न्यायालय में अपराधियों को सजा देने में पक्षपात किया जाता है, तो लोग कहते हैं "अंधेर नगरी चौपट राजा"।


10. चुनाव के समय नेताओं के वादे और उनके कार्य देखकर लगता है कि हम "अंधेर नगरी चौपट राजा" में रह रहे हैं।


11. इस कंपनी में बिना अनुभव वाले लोगों को उच्च पद मिल रहे हैं और योग्य लोग संघर्ष कर रहे हैं— यह तो "अंधेर नगरी चौपट राजा" जैसा हाल है।


12. जब किसी देश में महँगाई और भ्रष्टाचार बढ़ जाता है, तो वह "अंधेर नगरी चौपट राजा" की तरह हो जाता है।


13. इस दुकान में सस्ती और महँगी दोनों चीजें एक ही कीमत पर बिक रही हैं— "टके सेर भाजी, टके सेर खाजा"।


14. जब कोई संस्थान बिना उचित प्रबंधन के चल रहा हो, तो वहाँ की हालत "अंधेर नगरी" जैसी हो जाती है।


15. इस सरकारी कार्यालय में काम करवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है, पूरी तरह "अंधेर नगरी चौपट राजा"।


16. जब स्कूलों में योग्य शिक्षकों की कमी हो और परीक्षा में नंबर पैसे देकर मिलते हों, तो वह "अंधेर नगरी चौपट राजा" का उदाहरण है।


17. किसी भी देश में यदि सरकार अपनी मनमानी करने लगे, तो जनता को "अंधेर नगरी चौपट राजा" जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है।


18. इस अस्पताल में डॉक्टर कम और दलाल ज्यादा हैं, पूरी तरह "अंधेर नगरी चौपट राजा"।


19. जब किसी क्रिकेट टीम में बिना टैलेंट वाले खिलाड़ी केवल सिफारिश पर चुने जाएँ, तो यही कहा जाएगा— "अंधेर नगरी चौपट राजा"।


20. जब किसी संस्थान में मेहनती लोगों को नजरअंदाज किया जाए और आलसी लोगों को बढ़ावा दिया जाए, तो वहाँ की स्थिति "अंधेर नगरी चौपट राजा" जैसी हो जाती है।


21. इस देश में टैक्स चुकाने वाले परेशान हैं और घोटालेबाज आराम से घूम रहे हैं— पूरी तरह "अंधेर नगरी चौपट राजा"।


22. जब कोई स्कूल डोनेशन लेकर सीट बेचता है, तो यही कहा जाता है— "अंधेर नगरी चौपट राजा"।


23. इस होटल में साधारण और विशेष थाली की कीमत एक समान है— "टके सेर भाजी, टके सेर खाजा"।


24. यदि न्यायालय में पैसे और सिफारिश से फैसले होने लगें, तो कानून व्यवस्था "अंधेर नगरी चौपट राजा" जैसी हो जाती है।


25. जब किसी जगह पर नियमों की अनदेखी होती है और व्यवस्था चरमरा जाती है, तो लोग कहते हैं— "अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा"।



निष्कर्ष


"अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भाजी टके सेर खाजा" यह मुहावरा हमें अराजकता, अनुचित शासन, मूर्खतापूर्ण निर्णयों और न्यायहीनता से बचने की सीख देता है। यह बताता है कि जब कोई शासन या व्यवस्था अनुचित और अराजक हो जाती है, तो वहाँ रहना या उस पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है। इस कहावत का प्रयोग किसी भी ऐसी स्थिति को दर्शाने के लिए किया जाता है जहाँ अव्यवस्था और अनुचित फैसले हावी हों।


शिक्षा


* हमेशा सुव्यवस्थित और न्यायप्रिय शासन या संस्था का चुनाव करें।

* अयोग्य नेतृत्व से सावधान रहें।

* निर्णय लेने से पहले परिस्थिति का आकलन करें।

* न्याय और संतुलन का महत्व समझें।


इस प्रकार, यह मुहावरा एक गहरी सामाजिक और राजनीतिक सीख देता है, जिसे समझकर हम अपने जीवन में सही निर्णय ले सकते हैं। 

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