मिनी कम्प्यूटर क्या होता है? / What Is Mini Computer In Hindi
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Mini Computer Kya Hota Hai / मिनी कम्प्यूटर किसे कहते है?
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Mini Computer |
मिनी कम्प्यूटर एक प्रकार का कम्प्यूटर है जो आकार और क्षमता के मामले में मेनफ्रेम कम्प्यूटर और माइक्रो कम्प्यूटर के बीच आता है। यह मुख्य रूप से छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों, शैक्षणिक संस्थानों, और विशिष्ट कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है।
मिनी कम्प्यूटर की विशेषताएं:
1. मध्यम क्षमता: मिनी कम्प्यूटर का प्रोसेसिंग पावर माइक्रो कम्प्यूटर से अधिक और मेनफ्रेम कम्प्यूटर से कम होती है।
2. बहु-उपयोगकर्ता समर्थन: यह एक समय में कई उपयोगकर्ताओं को सपोर्ट कर सकता है।
3. विशिष्ट कार्यों के लिए डिजाइन: इसे विशेष प्रकार के डेटा प्रोसेसिंग और वैज्ञानिक कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
4. कॉम्पैक्ट आकार: इसका आकार मेनफ्रेम कम्प्यूटर से छोटा होता है, जिससे इसे छोटे स्थानों में रखा जा सकता है।
5. कम लागत: मेनफ्रेम कम्प्यूटर की तुलना में इसका खर्च कम होता है।
उपयोग के क्षेत्र:
अनुसंधान और विकास (R&D)
विनिर्माण प्रक्रियाओं का नियंत्रण
डाटा प्रोसेसिंग
शैक्षणिक संस्थान
छोटे व्यवसायों का प्रबंधन
उदाहरण: PDP-11, VAX-11, IBM System/36 आदि।
मिनी कम्प्यूटर के विभिन्न पहलू:
मिनी कम्प्यूटर के सम्पूर्ण पहलुओं को समझने के लिए इसके इतिहास, तकनीकी विशेषताएं, कार्यक्षेत्र, लाभ, सीमाएं और इसके विकास के कारणों को विस्तार से जानना जरूरी है।
1. मिनी कम्प्यूटर का इतिहास
1960 के दशक: मिनी कम्प्यूटर का विकास बड़े और महंगे मेनफ्रेम कम्प्यूटर के विकल्प के रूप में हुआ।
सबसे पहला सफल मिनी कम्प्यूटर PDP-8 (1965) था, जिसे Digital Equipment Corporation (DEC) ने बनाया।
यह छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों के लिए बनाया गया, जिन्हें अधिक लागत और जटिलता के कारण मेनफ्रेम कम्प्यूटर का उपयोग करने में कठिनाई होती थी।
1970 और 1980 के दशक में मिनी कम्प्यूटर ने लोकप्रियता हासिल की, लेकिन 1990 के दशक में माइक्रोप्रोसेसर और पर्सनल कम्प्यूटर (PC) के उभरने के कारण इसका उपयोग कम हो गया।
2. तकनीकी विशेषताएं
प्रोसेसर क्षमता:
मेनफ्रेम से कम, लेकिन माइक्रो कम्प्यूटर से अधिक।
16-बिट और 32-बिट आर्किटेक्चर।
स्टोरेज:
हार्ड डिस्क और मैग्नेटिक टेप का उपयोग।
बहु-कार्य (Multitasking):
एक साथ कई प्रोग्राम चला सकता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम:
UNIX, VMS (Virtual Memory System), और अन्य कस्टम ऑपरेटिंग सिस्टम।
कनेक्टिविटी:
टर्मिनल और अन्य उपकरणों के साथ जुड़ने की क्षमता।
3. उपयोग के क्षेत्र
मिनी कम्प्यूटर का उपयोग मुख्यतः निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाता है:
1. उद्योग और विनिर्माण:
उत्पादन प्रक्रिया का नियंत्रण और निगरानी।
2. शैक्षणिक संस्थान:
अनुसंधान और डाटा एनालिसिस।
3. बैंकिंग और वित्त:
खातों का प्रबंधन और ट्रांजेक्शन प्रोसेसिंग।
4. स्वास्थ्य क्षेत्र:
मरीजों के रिकॉर्ड और डाटा प्रबंधन।
5. वैज्ञानिक अनुसंधान:
जटिल गणनाओं और सिमुलेशन के लिए।
4. मिनी कम्प्यूटर के लाभ
लागत में कमी:
मेनफ्रेम कम्प्यूटर की तुलना में सस्ता।
कॉम्पैक्ट आकार:
इसे छोटी जगहों पर आसानी से रखा जा सकता है।
बहु-उपयोगकर्ता समर्थन:
एक ही समय में कई उपयोगकर्ताओं के लिए उपयुक्त।
लचीलापन:
विभिन्न कार्यों के लिए अनुकूल।
इंटरफेस सरल:
इसे ऑपरेट करना अपेक्षाकृत आसान है।
5. सीमाएं
सीमित प्रोसेसिंग क्षमता:
बड़े और जटिल कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं।
प्रौद्योगिकी का पुराना होना:
आज के आधुनिक माइक्रोप्रोसेसर आधारित सिस्टम इसे पीछे छोड़ चुके हैं।
स्टोरेज की सीमाएं:
बड़े डाटा सेट को संभालने में कठिनाई।
महंगा रखरखाव:
नई तकनीकों के आने के कारण इसके पार्ट्स और सपोर्ट मिलना मुश्किल हो गया है।
6. मिनी कम्प्यूटर का विकास और प्रतिस्थापन
1990 के दशक में पर्सनल कम्प्यूटर (PC) और सर्वर आधारित तकनीकों के उभरने से मिनी कम्प्यूटर अप्रचलित होने लगे।
माइक्रोप्रोसेसर आधारित सिस्टम ने अधिक तेज़, सस्ता और उपयोग में आसान विकल्प प्रदान किया।
आज, मिनी कम्प्यूटर का उपयोग कम हो गया है, और इसे सर्वर, वर्कस्टेशन, और क्लाउड कम्प्यूटिंग ने बदल दिया है।
7. मिनी कम्प्यूटर के उदाहरण
PDP-11 (DEC)
VAX Series (DEC)
AS/400 (IBM)
HP 3000 (Hewlett-Packard)
निष्कर्ष
मिनी कम्प्यूटर ने कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी में क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेषकर छोटे व्यवसायों और शोध संस्थानों में। हालांकि यह अब व्यापक रूप से उपयोग में नहीं है, लेकिन इसका योगदान कम्प्यूटर इतिहास में अद्वितीय है।
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