“खून खौलना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Khoon Khaulna Meaning In Hindi

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Khoon Khaulna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / खून खौलना मुहावरे का अर्थ क्या होता है?   खून खौलना मुहावरा- “खून खौलना”। (Muhavara- Khoon Khaulna) अर्थ- अत्यधिक क्रोध आना या गुस्से से तमतमा जाना। (Arth/Meaning in Hindi- Atyadhik Krodh Aana Ya Gusse Me Tamtama Jana) “खून खौलना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है- परिचय: हिन्दी भाषा में मुहावरों का विशेष स्थान है। ये न केवल भाषा को अभिव्यक्तिपूर्ण बनाते हैं, बल्कि हमारे भावों को गहराई और प्रभाव के साथ प्रस्तुत करते हैं। "खून खौलना" ऐसा ही एक लोकप्रिय और प्रभावशाली मुहावरा है, जिसका प्रयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति को किसी बात पर अत्यधिक गुस्सा आता है और वह अंदर से तिलमिला उठता है। यह मुहावरा उस अवस्था का चित्रण करता है जब क्रोध हमारे शरीर और मन पर इस कदर हावी हो जाता है कि मानो खून उबलने लगा हो। मुहावरे का अर्थ: "खून खौलना" मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है — शरीर में बहता हुआ खून उबलने लगे। परंतु यह एक अलंकारिक अभिव्यक्ति है। असल में, जब कोई व्यक्ति गहरी मानसिक पीड़ा, अपमान या अन्याय को महसूस करता है, तो उसका मन...

आगे नाथ न पीछे पगहा मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Aage Nath Na Pichhe Pagha Meaning In Hindi

 

Aage Nath Na Piche Pagha Muhavre Ka Arth Aur Vakya Prayog / आगे नाथ न पीछे पगहा मुहावरे का अर्थ क्या होता है?

 
आगे नाथ न पीछे पगहा मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Aage Nath Na Pichhe Pagha Meaning In Hindi
Aage Nath Na Piche Pagha





मुहावरा- “आगे नाथ न पीछे पगहा” ।


( Muhavara- Aage Nath Na Piche Pagha )



अर्थ- अकेला होना / किसी प्रकार का प्रतिबन्ध न होना / जिसका संसार में कोई न हो / बेसहारा / जिसके आगे पीछे कोई न हो / असहाय ।


( Arth/Meaning In Hindi- Akela Hona / Kisi Prakar Ka Pratibandh Na Hona / Jiska Sansar Me Koi Na Ho / Besahara / Jiske Aage Piche Koi Na Ho / Asahay )






“आगे नाथ न पीछे पगहा” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है- 


“आगे नाथ न पीछे पगहा” यह हिंदी भाषा में प्रयोग किए जाने वाला एक महत्वपूर्ण मुहावरा है । इस मुहावरे का अर्थ किसी व्यक्ति या जानवर का अकेला रहना अथवा उसके उपर किसी भी प्रकार का प्रतिबन्ध न होना होता है । अर्थात कि जो असहाय हो, जिनके आगे पीछे कोई न हो या बेसहारा हो उनके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता ।


इसे दूसरे शब्दों में समझे तो “आगे नाथ न पीछे पगहा” का तात्पर्य है कि किसी व्यक्ति कि स्थिति स्पष्ट नही होती और वह न तो अपने वर्तमान स्थिति में संतुष्ट होता है और न ही पिछले अनुभवों से कोई लाभ उठा पाता है । यह मुहावरा उन लोगों के लिए प्रयोग किया जाता है जो किसी भी दिशा में निर्णय नही ले पाते और उलझन में रहते हैं । यह व्यक्ति की दुविधा, अज्ञातता और असमर्थता को दर्शाता है ।


इसका शाब्दिक अर्थ होता है कि जैसे एक आदमी नाथ (मालिक) के बिना और पगहा (टोप) के बिना अनाथ हो जाता है, वैसे हि ऐसे व्यक्ति की स्थिति भी अस्पष्ट और अनिश्चित होती है ।


जैसे-


1. रमेश अकेला है, इसलिए जितना कमाता है सब खर्च कर देता है । उसका कहना है, आगे नाथ न पीछे पगहा । फिर किसके लिए कमाऊं ।


2. गोपाल को अपने करियर में क्या करना है उसे इसकी दिशा नही मिल रही है, इस समय गोपाल पर किसी भी प्रकार का प्रतिबन्ध नही है । वह जो चाहे वह कर रहा है । गोपाल इस समय “आगे नाथ न पीछे पगहा” की स्थिति में है ।


3. गोपी की जब तक शादी नही हुई थी वह अकेला था उस पर कोई प्रतिबन्ध नही था । उस समय उसकी हालत “आगे नाथ न पीछे पगहा” के जैसे थी । पर अब वह ज़िम्मेदार हो गया है ।


4. व्यक्तिगत समस्याओं के कारण वह अपने जीवन के अगले चरण में जाने में असमर्थ है, पुरी तरह से “आगे नाथ न पीछे पगहा” की स्थिति में है ।


5. मुकेश अकेला रहता है, वह इतना स्वतंत्रत है कि उसे कोई भी रोकने टोकने वाला नही है । वह अपनी इच्छा अनुसार जो चाहे वो करता है । मुकेश की हालत ठीक वैसी ही है जैसे “आगे नाथ न पीछे पगहा” ।


6. नौकरी की खोज में वह विभिन्न विकल्पों के बिच फ़सा हुआ है, ऐसे में उसकी स्थिति “आगे नाथ न पीछे पगहा” जैसी हो गई है ।


7. सोनू जन्म से ही अनाथ है, उसके आगे पीछे कोई नही है । इसलिए वो बहोत बदमाशी करता है । लोग सोनू को डांटते हुए कहते हैं कि जिसके आगे नाथ न पीछे पगहा वह ऐसा ही होता है ।


“आगे नाथ न पीछे पगहा” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Aage Nath Na Piche Pagha Muhavre Ka Vakya Prayog. 


“आगे नाथ न पीछे पगहा” इस मुहावरे का अर्थ निचे दिए गए वाक्य प्रयोगों के माध्यम से समझ सकते हैं, जो कि इस प्रकार से है-



वाक्य प्रयोग- 1.


एक बार एक डाकू ने सोचा कि चलो आज जंगल की सैर करने चलते हैं । वह अकेला ही जंगल की तरफ निकल पड़ा । डाकू जैसे ही जंगल में प्रवेश किया वह रास्ता भटक गया। उसके पास न तो कोई नक्शा था और न ही कोई गाइड। उसे रोकने टोकने वाला भी कोई नही था कि तुम जंगल में प्रवेश मत करो । वह स्वतंत्र था जो मर्ज़ी में आता वो करता । अब उस डाकू को ये नही पता था कि किस दिशा में जाए। "आगे नाथ न पीछे पगहा," उसने सोचा और जंगल में ही अंधेरे में खो गया। आखिरकार उसने अपनी हिम्मत जुटाई और तारों की दिशा देखकर रास्ता खोज लिया। अर्थात कि जब किसी व्यक्ति के आगे पीछे कोई देखने वाला ना हो तो उसकी हालत ठीक वैसी ही होती है, जैसे आगे नाथ ना पीछे पगहा ।



वाक्य प्रयोग- 2.


एक किसान के पास खेती करने के लिए कोई भी संसाधन नही था । वह खेती करना चाहता था, लेकिन उसके पास न तो सही उपकरण थे और न ही बीज। उसे खेती का भी ज्यादा ज्ञान नहीं था, क्योंकि वो अकेला ही रहता था । उसके परिवार में कोई भी नही था । किसान अपनी मर्ज़ी से अपना जीवन यापन करता था । एक दिन वह किसान अपने खेत में गया और एक लोहे की छड़ से ही अपने खेत की खुदाई करने लगा । उसी रास्ते कुछ लोग जा रहे थे । उन लोगों ने देखा की एक किसान अजीब ढंग से खेत की खुदाई कर रहा है । तभी एक व्यक्ति ने कहा कि ये ऐसे खुदाई क्यू कर रहा है । तभी दूसरे व्यक्ति ने बोला की इसे खेती के बारे में बताने वाला कोई नही है कि खेती कैसे की जाती है । इसपर पहले वाले व्यक्ति ने कहा कि, जीसका संसार में कोई न हो, जो अकेला रहता हो उसकी हालत ठीक ऐसी ही होती है, मतलब कि आगे नाथ न पीछे पगहा जैसी स्थिति हो जाती है ।



वाक्य प्रयोग- 3.


एक बच्चे के माता-पिता का देहांत हो गया और वह अनाथ हो गया। उसके पास न तो कोई सहारा था और न ही कोई मार्गदर्शक। "आगे नाथ न पीछे पगहा," जैसी उसकी स्थिति हो गई । वह अपना जीवन यापन करने के लिए कोई भी छोटा मोटा काम कर लेता था । बेसहारा होने के कारण वह इधर उधर अब भटकने लगा । आगे चल कर वह बच्चा जब बड़ा हुआ तो बदमाश बन चुका था । हर दिन किसी ना किसी से लड़ाई झगड़ा करता रहता था । लोग उसकी स्थिक्ति देखकर कहने लगे कि, जिसके आगे नाथ न पीछे पगहा, हो वह आगे चल कर ऐसा ही उपद्रवी बनता है ।



वाक्य प्रयोग- 4.


राहुल ने एक नया व्यवसाय  शुरु करने का सोचा, लेकिन उसने किसी भी योजना को स्पष्ट नही किया । राहुल के पास न तो ठोस व्यवसाय थी और न ही कोई दिशा निर्देश । इसका नतीजा यह हुआ कि वह पुरी तरह से आगे नाथ न पीछे पगहा कि स्थिति में फ़सा रहा ।



वाक्य प्रयोग- 5.


भोलू के घर वाले उससे परेशान होकर उसे घर से निकाल दिए । अब उसकी स्थिति आगे नाथ न पीछे पगहा जैसी हो गयी । भोलू अब अकेला था । भोलू के उपर अब किसी भी प्रकार का कोई भी प्रतिबन्ध नही था । उसके परिवार वालों ने उसे घर से इसलिए निकला, क्योंकि वो किसी का भी बात नही मान रहा था । वो अपनी मनमानी करता था और अपने हिसाब से रहता था । इसी वजह से उसके घर वालों ने उससे कहा कि जब तुम्हे किसी की बात नही माननी है, और तुम्हे अपनी मर्ज़ी की करनी है तो इस घर से निकल जाओ । और वह घर से निकल गया ।


दोस्तों, हम आशा करतें हैं कि आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा । आप अपने सुझाव देने के लिए हमें कमैंट्स जरूर करें ।


आपका दिन शुभ हो ।











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