“गले न उतरना” मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग / Gale Na Utarna Meaning In Hindi


Gale Na Utarna Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog / गले न उतरना मुहावरे का क्या मतलब होता है?



मुहावरा- “गले न उतरना”।

(Muhavara- Gale Na Utarna)


अर्थ- स्वीकार्य न होना / किसी बात का विश्वास न होना / बात न जचना ।

(Arth/Meaning in Hindi- Svikarya Na Hona / Kisi Ka Vishvas Na Hona / Bat Na Jachna)


“गले न उतरना” मुहावरे का अर्थ/व्याख्या इस प्रकार है-

“गले न उतरना” हिंदी भाषा का एक प्रचलित मुहावरा है, जिसका उपयोग तब किया जाता है जब कोई बात मन को स्वीकार्य न हो, तर्क के आधार पर समझ में न आए, या उस पर विश्वास करना कठिन हो जाए। सरल शब्दों में, यह मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करता है जब किसी व्यक्ति द्वारा कही या प्रस्तुत की गई बात दूसरों को सच्ची, उचित या तर्कसंगत नहीं लगती।


शाब्दिक अर्थ:

शाब्दिक रूप से “गले न उतरना” का अर्थ है, कोई वस्तु या चीज़ आसानी से निगली न जा सके। लेकिन मुहावरों में शब्दों का अर्थ शाब्दिक न होकर भावार्थ के आधार पर लिया जाता है। इसलिए यहाँ “गले न उतरना” से तात्पर्य है बात का मन में न समाना, अर्थात् विचार, घटना या सूचना का स्वीकार्य न होना।


भावार्थ:

जब कोई बात अस्वाभाविक, अतर्कसंगत, अविश्वसनीय या भ्रामक प्रतीत हो, तब वह व्यक्ति को “गले नहीं उतरती।” ऐसा भी कहा जा सकता है कि उस बात पर संदेह होता है, या व्यक्ति उसे गंभीरता से स्वीकार नहीं कर पाता।

उदाहरण के लिए-

यदि कोई व्यक्ति बहुत बड़ी उपलब्धि का दावा करे, लेकिन उसका व्यक्तित्व या उसका कार्य-कलाप उस दावे के अनुरूप न लगे, तो श्रोता कह सकते हैं— “उसकी बात गले नहीं उतरती।”

कोई घटना बहुत अजीब लगे या स्वभाव के विपरीत हो, तो भी यह मुहावरा उपयुक्त बैठता है।


मुहावरे की व्युत्पत्ति एवं सांस्कृतिक संदर्भ:

भारतीय भाषाओं में भोजन, पाचन और शरीर से जुड़े शब्दों का प्रयोग मानसिक स्थितियों को व्यक्त करने के लिए लंबे समय से होता आया है। जैसे “कड़वा घूँट पीना”, “दिल से उतर जाना”, “निगलना मुश्किल होना” आदि। इसी श्रेणी में “गले न उतरना” भी आता है।

संभवतः इसकी उत्पत्ति रोजमर्रा की उस अनुभूति से हुई होगी, जब कोई व्यक्ति कोई कठिन या रूचि-हीन भोजन निगल नहीं पाता। धीरे-धीरे यह मुहावरा व्यवहार और संचार में उन बातों को दर्शाने लगा जो मानसिक रूप से स्वीकार न की जा सकें।


अर्थ को समझने के विभिन्न आयाम:

1. अविश्वास की स्थिति:

बात पर भरोसा न हो और लगे कि बात में सच्चाई नहीं है, तब कहा जाता है-

“तुम्हारी यह कहानी मेरे गले नहीं उतरती।”

2. तर्कहीनता या असंगतता:

किसी विचार या निर्णय का कोई युक्तियुक्त आधार न दिखे तो भी यह मुहावरा उपयुक्त है-

“उसका दिया गया स्पष्टीकरण गले नहीं उतरता क्योंकि उसमें तर्क नहीं है।”

3. भावनात्मक अस्वीकार्यता:

कुछ बातें भावनात्मक रूप से स्वीकार करना कठिन होता है। जैसे किसी अपने का अचानक बदल जाना, कोई अप्रत्याशित घटना आदि-

“पड़ोस के शांत व्यक्ति पर चोरी का आरोप लगाना मेरे गले नहीं उतरता।”

4. सामाजिक या नैतिक विरोधाभास:

कोई कार्य सामाजिक मूल्यों के विपरीत या नैतिक रूप से अनुचित लगे-

“इतना ईमानदार माना जाने वाला व्यक्ति रिश्वत लेता है, यह बात गले नहीं उतरती।”

उदाहरण के साथ प्रयोग:

1. “उसने कहा कि उसे कुछ पता नहीं, लेकिन यह बात गले नहीं उतरती। वह मौके पर मौजूद था।”

2. “इतने कम समय में इतना बड़ा कारोबार खड़ा कर लेना गले नहीं उतरता। अवश्य ही कोई राज है।”

3. “वह कहता है कि गलती मेरी थी, लेकिन स्थिति देखकर उसकी बात बिल्कुल गले नहीं उतरती।”

4. “सरकार के कुछ फैसले जनता को गले नहीं उतरते क्योंकि उनका सीधा लाभ लोगों तक पहुँच नहीं पाता।”


मुहावरे का सामाजिक और भाषाई महत्व:

मनुष्य का व्यवहार, समाज और भाषा, तीनों एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं। लोग अक्सर ऐसी बातें कहते हैं जो सुनने में आकर्षक लग सकती हैं, पर व्यावहारिक दृष्टि से विश्वसनीय नहीं होतीं। ऐसे में श्रोता की मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया यही होती है कि वह उस बात को स्वीकार नहीं करता। भाषा इस मानसिक अवस्था को एक छोटे, प्रभावी और भावपूर्ण वाक्यांश के रूप में मुहावरे के जरिए व्यक्त करती है।

“गले न उतरना” इसी प्रकार का मुहावरा है जो हिंदी भाषा को अधिक अभिव्यंजक बनाता है। यह सिर्फ संदेह ही नहीं दर्शाता, बल्कि उस भाव को भी स्पष्ट करता है जिसमें व्यक्ति तर्क, अनुभव या संवेदना के आधार पर किसी बात को नकार देता है।


आधुनिक संदर्भ में उपयोगिता:

आज के समय में जब सूचना के त्वरित प्रसार के कारण गलत सूचनाएँ, अफवाहें और असत्य दावे आसानी से फैल जाते हैं, यह मुहावरा और भी प्रासंगिक हो गया है। जब कुछ तथ्य अप्रमाणिक लगें या किसी व्यक्ति का व्यवहार संदिग्ध लगे, तब “गले नहीं उतरना” कहना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया बन जाती है।

राजनीति, मीडिया, व्यापार और सोशल मीडिया की दुनिया में इस मुहावरे का प्रयोग बड़े पैमाने पर देखने को मिलता है। यह लोगों की आलोचनात्मक सोच, विश्लेषण क्षमता और सतर्कता को भी दर्शाता है।


“गले न उतरना” मुहावरे का वाक्य-प्रयोग / Gale Na Utarna Muhavare Ka Vakya Prayog. 


1. उसकी अचानक हुई तरक्की की बात मेरे गले नहीं उतरती।

2. वह कहता है कि उसे कुछ पता नहीं, लेकिन उसकी बात गले नहीं उतरती।

3. इतने कम पैसों में इतना बड़ा काम हो जाना गले नहीं उतरता।

4. उसकी मीठी-मीठी बातें मुझे कभी गले नहीं उतरतीं।

5. यह बहाना सुनकर शिक्षक के गले नहीं उतरा।

6. उसके आँसू देखकर भी मुझे उसकी कहानी गले नहीं उतरी।

7. बिना पढ़ाई किए अच्छे अंक आना गले नहीं उतरता।

8. वह कह रहा था कि गलती उसकी नहीं है, पर बात गले नहीं उतरती।

9. उस शांत व्यक्ति पर चोरी का आरोप गले नहीं उतरता।

10. यह खबर इतनी अजीब है कि किसी के भी गले नहीं उतरेगी।

11. उसका अचानक बदल जाना मुझे गले नहीं उतरता।

12. परीक्षा में नकल न करने का दावा छात्रों के गले नहीं उतरा।

13. कंपनी का इतना बड़ा नुकसान बता देना कर्मचारियों के गले नहीं उतरा।

14. उसने कहा कि उसने ही सब काम किया, लेकिन यह बात गले नहीं उतरती।

15. बिना कारण छुट्टी माँगना प्रिंसिपल के गले नहीं उतरा।

16. उसकी झूठी तारीफें मेरे गले नहीं उतरतीं।

17. इस योजना की सफलता का दावा लोगों के गले नहीं उतर रहा है।

18. वह कहता है कि उसने सच्चाई बताई, पर कुछ भी गले नहीं उतरता।

19. इतनी जल्दी किसी का इतना बदल जाना गले नहीं उतरता।

20. डॉक्टर की रिपोर्ट देखकर भी मरीज की बात गले नहीं उतरी।

21. उसके द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण किसी के गले नहीं उतरा।

22. यह बात गले नहीं उतरती कि वह बिना वजह मुझसे नाराज है।

23. इतनी महँगी चीज़ मुफ्त में मिलना गले नहीं उतरता।

24. उसने कहा कि यह बस संयोग था, पर यह बात गले नहीं उतरती।

25. व्यापार में अचानक हुए नुकसान की कहानी गले नहीं उतरती।

26. उसने अपनी गलती दूसरों पर डाल दी, यह बात गले नहीं उतरती।

27. उसके वादे अब किसी के गले नहीं उतरते।

28. इतना बड़ा झगड़ा केवल एक छोटी-सी बात पर होना गले नहीं उतरता।

29. उसकी अचानक मदद करने की इच्छा मुझे गले नहीं उतरती।

30. रिपोर्ट में लिखा विवरण अधिकारियों के गले नहीं उतरा।


निष्कर्ष:

“गले न उतरना” एक ऐसा हिंदी मुहावरा है जो मनुष्य की मानसिक प्रतिक्रिया को बहुत संक्षिप्त लेकिन सशक्त रूप में व्यक्त करता है। जब कोई बात अविश्वसनीय, असत्य, अतर्कसंगत या अप्राकृतिक प्रतीत होती है, तो वह मन में जगह नहीं बनाती — यही इस मुहावरे का मूल भाव है।

इसके प्रयोग से भाषा अधिक प्रभावशाली, स्पष्ट और संप्रेषणीय बनती है।




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